सिटीग्रुप का बड़ा फैसला, चीन से नौकरियों में कटौती, भारत में शिफ्ट किए 1000 टेक जॉब
वैश्विक बैंकिंग दिग्गज Citigroup ने चीन से 1,000 टेक नौकरियां भारत स्थानांतरित करने का बड़ा निर्णय लिया है. यह कदम उसकी वैश्विक टेक रणनीति और लागत प्रबंधन योजना का हिस्सा है. H-1B वीजा शुल्क बढ़ोतरी के बाद भारत स्थित ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) का महत्व तेजी से बढ़ा है. फिलहाल Citigroup भारत में 33,000 से अधिक लोगों को रोजगार देता है और नए शिफ्ट से उसकी मौजूदगी और मजबूत होगी.

Citigroup India Jobs: वैश्विक बैंकिंग दिग्गज सिटीग्रुप (Citigroup) ने अपनी टेक रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए लगभग 1,000 टेक नौकरियों को भारत स्थित अपने केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम इस साल की शुरुआत में घोषित उस वैश्विक पुनर्गठन योजना का हिस्सा है, जिसके तहत चीन में लगभग 3,500 टेक नौकरियां समाप्त की गई थीं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, यह स्थानांतरण सिटीग्रुप की वैश्विक तकनीकी संचालन को सरल बनाने, लागत कम करने और जोखिम प्रबंधन एवं डेटा प्रबंधन में सुधार लाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है.
बैंक ने चीन में नौकरी कटौती की घोषणा करते समय कहा था कि इन भूमिकाओं को उसके अन्य तकनीकी केंद्रों में स्थानांतरित किया जाएगा, हालांकि तब स्थानों के नाम स्पष्ट नहीं किए गए थे.
H-1B वीजा शुल्क बढ़ोतरी ने बढ़ाया भारत का महत्व
इस निर्णय की पृष्ठभूमि में अमेरिका में H-1B वीजा नीति में आया बदलाव भी एक प्रमुख कारण है. ट्रंप प्रशासन द्वारा नए H-1B वीजा आवेदनों पर 100,000 डॉलर के भारी शुल्क की घोषणा के बाद से ही विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे थे कि वॉल स्ट्रीट की बैंकों सहित अमेरिकी कंपनियां भारत स्थित ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) पर अधिक निर्भर होंगी और नई भूमिकाओं के लिए स्थानीय स्तर पर भर्ती को बढ़ावा देंगी. सिटीग्रुप का यह कदम उसी रुझान की पुष्टि करता है. विदेशों में कर्मचारियों को भेजने की लागत बढ़ने की तुलना में, भारत में पहले से मौजूद टैलेंट पूल और स्थिर ऑपरेशन लागत ने इसे स्पष्ट विकल्प बना दिया है.
भारत में सिटीग्रुप की मजबूत मौजूदगी
सिटीग्रुप पहले से ही भारत में बड़ा नियोक्ता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी भारत में लगभग 33,000 लोगों को रोजगार देती है, जिनमें से अधिकांश बेंगलुरु, चेन्नई, पुणे और मुंबई जैसे शहरों में स्थित ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) में कार्यरत हैं. 1,000 अतिरिक्त टेक भूमिकाओं के स्थानांतरण से न केवल भारत में उसकी मौजूदगी और मजबूत होगी, बल्कि देश के जीसीसी इकोसिस्टम को भी गति मिलेगी.
भारत का बढ़ता जीसीसी लैंडस्केप
यह घटनाक्रम भारत में जीसीसी उद्योग के तेजी से बढ़ते महत्व को रेखांकित करता है. नैसकॉम (Nasscom) के अनुसार, भारत वर्तमान में लगभग 1,760 जीसीसी है और अगले वर्ष तक यह संख्या 2,000 से अधिक होने का अनुमान है. ईवाई (EY) का अनुमान है कि वर्तमान में 64 अरब डॉलर के इस इंडस्ट्री का मार्केट साइज 2030 तक 110 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. ये केंद्र अब केवल बैक-ऑफिस संचालन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि R&D, एनालिटिक्स, डिजाइन और एआई जैसी तकनीकों पर भी काम कर रहे हैं.
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