ब्लैक मनी एक्ट में बदलाव की तैयारी, समीक्षा के लिए गठित की गई कमेटी; सख्त नियमों में दी जा सकती है ढील

भारत का ब्लैक मनी एक्ट सबसे सख्त कानूनों में से एक है. अब इस कानून को और बेहतर करने के लिए एक स्पेशल कमेटी बनाई गई है, जिसके चीफ एक वरिष्ठ इनकम टैक्स अधिकारी हैं. यह कमेटी कुछ अनुभवी टैक्स एक्सपर्ट से सलाह ले सकती है. ये एक्सपर्ट सुझाव दे सकते हैं कि कानून के कुछ सख्त नियमों को फिर से देखा जाए. जैसे, इस कानून में बहुत भारी जुर्माना लगाने और विदेशी संपत्ति की जानकारी न देने पर मुकदमा शुरू करने जैसे कठोर नियम शामिल हैं.

ब्लैक मनी एक्ट में बदलाव की तैयारी Image Credit: Canva

Review of the Black Money Act: भारत का ब्लैक मनी एक्ट सबसे सख्त कानूनों में से एक है. अब इस कानून को और बेहतर करने के लिए एक स्पेशल कमेटी बनाई गई है, जिसके चीफ एक वरिष्ठ इनकम टैक्स अधिकारी हैं. यह कमेटी इस कानून और इनकम टैक्स एक्ट के बीच तालमेल, टैक्स लगाने के अलग-अलग तरीकों, कानूनी प्रभावों और इस कानून को लागू करने में आने वाली समस्याओं को स्टडी करेगी. इसके अलावा कमेटी विदेशों से मिलने वाली भारी मात्रा में जानकारी को हैंडल करने के तरीकों पर भी विचार करेगी.

ये दो वरिष्ठ इनकम टैक्स अधिकारी करेंगे कमेटी का नेतृत्व

ET के मुताबिक यह कमेटी कुछ अनुभवी टैक्स एक्सपर्ट से सलाह ले सकती है. ये एक्सपर्ट सुझाव दे सकते हैं कि कानून के कुछ सख्त नियमों को फिर से देखा जाए. जैसे, इस कानून में बहुत भारी जुर्माना लगाने और विदेशी संपत्ति की जानकारी न देने पर मुकदमा शुरू करने जैसे कठोर नियम शामिल हैं. इनका जुर्माना इनकम टैक्स एक्ट की तुलना में कहीं ज्यादा है. कमेटी का नेतृत्व अमल पुस्प कर रहे हैं. अमल उत्तर प्रदेश (पूर्वी) क्षेत्र के Principal Chief Commissioner of Income Tax हैं. वहीं जयराम रायपुरा वाली एक अन्य समिति यह देखेगी कि कर जांच की गुणवत्ता को कैसे बेहतर किया जा सकता है.

ब्लैक मनी अधिनियम के बारे में…

ब्लैक मनी अधिनियम, 1 जुलाई 2015 से लागू हुआ था. यह कानून उस समय की नई सरकार ने बनाया था. इस कानून का मकसद था स्विस और अन्य विदेशी बैंकों, टैक्स हैवन में बने ट्रस्टों और ऐसी कंपनियों में छिपे काले धन पर नकेल कसना, जिनके असली मालिकों की जानकारी नहीं होती. लेकिन, इस सख्त कानून के बावजूद इसके तहत टैक्स वसूली उम्मीद से कम रही है. इस कानून की सबसे सख्त बात यह है कि आयकर विभाग पुरानी विदेशी संपत्तियों की जांच कर सकता है, भले ही वे दशकों पहले बनाई गई हों.

कानून के मुताबिक, जिस साल विभाग को ऐसी संपत्ति की जानकारी मिलती है, उसे उसी साल की इनकम माना जाता है. आयकर अधिनियम में विभाग केवल 5 साल पुराने मामलों की जांच कर सकता है (अगर छिपाई गई आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है) या 3 साल पुराने (अगर आय 50 लाख से कम है). लेकिन ब्लैक मनी एक्ट पुराने मामलों की भी जांच कर सकता है, भले ही संपत्ति कानून बनने से पहले की हो.

भारी जुर्माना और सजा

ब्लैक मनी एक्ट के तहत अगर कोई विदेशी संपत्ति छिपाई जाती है तो 30 फीसदी टैक्स और 90 फीसदी जुर्माना लग सकता है. यानी कुल 120 फीसदी का बोझ पड़ सकता है. वहीं, आयकर अधिनियम में अधिकतम 90 फीसदी तक का खर्च आता है. इसके अलावा, आयकर अधिनियम में टैक्स न चुकाने पर मुकदमा हो सकता है, लेकिन ब्लैक मनी एक्ट में सिर्फ विदेशी संपत्ति की जानकारी न देने पर भी मुकदमा शुरू हो सकता है, भले ही वह संपत्ति वैध तरीके से खरीदी गई हो. अगर इस कानून के तहत टैक्स की राशि तय होती है, तो यह मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध माना जाता है. ऐसे में आयकर विभाग ED से कार्रवाई करने को कह सकता है.

ये भी पढ़े: क्या पब्लिक होगी TATA Sons? कंपनी के IPO पर फिर शुरू हुई हलचल; ट्रस्ट मेंबर के फैसलों से मिल रहे ये संकेत

Latest Stories

TATA ने चंद्रशेखरन के लिए बदल दिया इतिहास, चेयरमैन की उम्र का तोड़ा नियम, जानें क्यों किया ऐसा

Gold Rate Today: सोने में तेजी जारी, चांदी भी एक दिन में ₹5000 से ज्‍यादा हुई महंगी, जानें कहां पहुंचे भाव

सोलर इंडस्ट्रीज में महाराष्ट्र के इन चार भाइयों का कमाल, कमा लिए ₹6.6 लाख करोड़, Forbes भी कर रहा सलाम

भारत और यूरोपीय संघ के बीच FTA वार्ता में तेजी, ब्रसेल्स में संपन्न हुई 14वां दौर की बातचीत; दिसंबर तक समझौते का लक्ष्य

ED ने Flipkart को दी गलती मानने और जुर्माना भरने की पेशकश, FEMA उल्लंघन मामला हो सकता है खत्म

BIS सर्टिफिकेशन ने बढ़ाई बीयर कंपनियों की टेंशन, सरकार से मांगी राहत; हर साल हो सकता 1300 करोड़ रुपये का नुकसान