ट्रंप का फार्मा वॉर! अब इंपोर्टेड दवाओं पर 200% टैरिफ लगाने की तैयारी, इन भारतीय कंपनियों पर सीधा असर
दुनिया भर में टैरिफ वार से सबको चौंकाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक और बड़ा फैसला लिया है. इस बार ट्रंप प्रशासन अमेरिका में इंपोर्टेड दवाओं पर भारी भरकम टैरिफ लगाने की प्लानिंग कर रहा है. इससे भारत समेत कुछ दूसरे देशों की दवा कंपनियों को नुकसान की आशंका है. तो कितना लगेगा टैरिफ, कब से हो सकता है लागू, जानें डिटेल.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने नए कदम से दोबारा सबको चौंका दिया है. ट्रंप प्रशासन अब अब अमेरिका में इंपोर्टेड दवाओं पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने की तैयारी में है. इसके लिए प्रस्ताव रखा गया है. यह शुल्क 200% तक हो सकता है. अगर ये फैसला लागू होता है तो अमेरिका में ड्यूटी फ्री आने वाली दवाईयों पर रोक लग जाएगी, जिससे दवा कंपनियों को तगड़ा झटका लग सकता है. इससे भारतीय कंपनियों को भी नुकसान होने की आशंका है, क्योंकि अमेरिका में आयात होने वाला दवाई का लगभग आधा हिस्सा भारत से जाता है.
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले की यह जानकारी एसोसिएटेड प्रेस (AP) की रिपोर्ट में सामने आई है. इस प्रस्ताव के लागू होने पर पिछले कई दशकों से लागू ड्यूटी फ्री दवाइयों की नीति प्रभावित हो सकती है.
दवा बाजार में आ सकता है भूचाल
रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप प्रशासन ने 1962 के ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट की सेक्शन 232 के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर इस कदम को जायज ठहराया है. उनका तर्क है कि कोविड-19 महामारी के दौरान दवाओं की कमी और स्टॉकपाइलिंग की समस्या के बाद घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना जरूरी है. अप्रैल 2025 में प्रशासन ने दवा आयात पर जांच शुरू की और जुलाई में ट्रंप ने 200% टैरिफ की चेतावनी दी थी. वहीं अगस्त में उन्होंने इसे 250% तक बढ़ाए जाने की बात कही थी. हालांकि शुरुआत में वे पहले कम टैरिफ लगाने का प्लान बना रहे हैं, जो 12-18 महीने में बढ़ेगा.
कौन सी दवाएं सबसे ज्यादा खतरे में?
अमेरिका में जेनेरिक दवाओं का बोलबाला है, जो रिटेल और मेल-ऑर्डर फार्मेसी प्रिस्क्रिप्शन का करीब 92% हिस्सा बनाती हैं. इनके मैन्युफैक्चरर कम मार्जिन पर काम करते हैं, इसलिए बड़े टैरिफ को झेलना उनके लिए मुश्किल होगा. एनालिस्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि कुछ कंपनियां टैरिफ चुकाने के बजाय अमेरिकी बाजार छोड़ सकती हैं. खासकर भारत और चाइना से आने वाली जेनेरिक दवाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी, क्योंकि भारत ऐसी दवाइयों का लगभग आधा हिस्सा सप्लाई करता है. बता दें यूरोप से आने वाली दवाओं पर पहले से 15% टैरिफ लग चुका है, जो बिलियन डॉलर का बोझ डालेगा.
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इन कंपनियों को होगा नुकसान
ट्रंप के इंपोर्टेड दवाओं पर टैरिफ लगाने से चुनिंदा भारतीय कंपनियों को तगड़ा नुकसान होगा, जिनमें औरोबिंदों फार्मा से लेकर सन फार्मा जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं. डेटा के मुताबिक औरोबिंदो फार्मा ने 2023-24 में अमेरिकी बाजार में अपनी मजबूत मौजूदगी दिखाई, जहां से कंपनी का 48% राजस्व आया. कंपनी अमेरिका में जेनेरिक दवाओं की विस्तृत रेंज पेश करती है. वहीं, पिरामल फार्मा ने उत्तरी अमेरिका से अपने कुल राजस्व का 41% हासिल किया. ग्लैंड ग्रुप का 54% राजस्व भी अमेरिकी बाजार से आया. भारत की सबसे बड़ी फार्मास्यूटिकल कंपनी सन फार्मा का 2023-24 में अमेरिकी बाजार से 32% राजस्व योगदान रहा. डॉ. रेड्डीज के लिए भी अमेरिका एक महत्वपूर्ण बाजार रहा, जहां से इसके जेनेरिक्स बिजनेस का 47% राजस्व प्राप्त हुआ. बता दें वित्तीय वर्ष 2024 में, भारत ने अमेरिका को 8.7 बिलियन डॉलर (76,113 करोड़ रुपये) के फार्मा उत्पाद निर्यात किए, जो भारत के उस देश को कुल माल निर्यात का 11% से अधिक है.