मोदी सरकार ने रिलायंस–BP से मांगा ₹2.5 लाख करोड़ का हर्जाना, कम गैस उत्पादन पर बड़ा एक्शन
कृष्णा-गोदावरी (KG-D6) बेसिन के डी1 और डी3 गैस फील्ड्स में कम उत्पादन को लेकर भारत सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और BP से 30 अरब डॉलर से अधिक के (₹2.5 लाख करोड़) हर्जाने की मांग की है. 2016 से चल रही मध्यस्थता में सरकार ने कुप्रबंधन से गैस भंडार नुकसान का आरोप लगाया है. इस मामले में मिड 2026 में फैसला आने की उम्मीद है.
रॉयटर्स के मुताबिक, भारत सरकार ने देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट विवादों में से एक में रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसकी साझेदार ब्रिटिश कंपनी BP से करीब 30 अरब डॉलर (लगभग ₹2.5 लाख करोड़) के हर्जाने की मांग की है. यह दावा कृष्णा-गोदावरी (KG-D6) बेसिन के डी1 और डी3 गैस फील्ड्स से तय अनुमान के मुकाबले कम गैस उत्पादन को लेकर चल रही मध्यस्थता (आर्बिट्रेशन) में किया गया है. इस मामले की सुनवाई साल 2016 से जारी है और ट्रिब्यूनल से मिड 2026 तक फैसला आने की उम्मीद है.
क्या है सरकार का आरोप
रॉयटर्स के मुताबिक, सरकार का आरोप है कि रिलायंस और BP की गलत प्रबंधन रणनीतियों के चलते गैस भंडार का बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया. सरकार का कहना है कि इन फील्ड्स से मिलने वाली गैस राष्ट्रीय संपत्ति थी और उसका अपेक्षित उत्पादन नहीं हो पाने से सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हुआ. इसी आधार पर सरकार कंपनियों से गैस उत्पादन में आई कमी के बराबर राशि की वसूली चाहती है.
क्या है विवाद
KG-D6 ब्लॉक, जो आंध्र प्रदेश के तट से दूर बंगाल की खाड़ी में स्थित है, इसे भारत की पहली बड़ी डीपवॉटर गैस परियोजना माना जाता है. साल 2000 में यह ब्लॉक रिलायंस इंडस्ट्रीज को प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट (PSC) के तहत आवंटित किया गया था. शुरुआती आकलन में डी1 और डी3 फील्ड्स में करीब 10.3 ट्रिलियन क्यूबिक फीट (TCF) गैस होने का अनुमान लगाया गया था, जिसे बाद में घटाकर 3.1 TCF किया गया.
सरकारी पक्ष का दावा है कि रिलायंस ने लगभग 10 TCF गैस होने का अनुमान दिया था, लेकिन वास्तविक प्रोडक्शन इसका केवल 20% ही हो सका. सरकार ने आरोप लगाया कि कंपनियों ने तय योजना के मुताबिक 31 कुओं के बजाय केवल 18 कुओं से गैस निकाली और वह भी पर्याप्त बुनियादी ढांचे के बिना. इससे जल प्रवेश (वॉटर इंग्रेस) और रिजर्वॉयर प्रेशर जैसी समस्याएं पैदा हुईं, जिससे गैस भंडार को नुकसान पहुंचा.
रिलायंस और BP ने सरकार के दावे को किया खारिज
वहीं, आर्बिट्रेशन में रिलायंस और BP ने सरकार के दावे को सिरे से खारिज किया है. कंपनियों का कहना है कि उन्होंने अनुबंध के सभी प्रावधानों का पालन किया और सरकार को कोई भुगतान देय नहीं है. रिलायंस ने फरवरी 2020 में सार्वजनिक बयान में कहा था कि KG-D6 ब्लॉक से कुल उत्पादन करीब 3 TCF गैस समकक्ष रहा है. हालांकि इसमें डी1 और डी3 का अलग-अलग ब्योरा स्पष्ट नहीं किया गया था.
क्यों अहम है यह दावा
यह दावा इसलिए भी अहम है क्योंकि यह भारत सरकार द्वारा किसी निजी कंपनी के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा मुआवजा दावा माना जा रहा है. अगर फैसला सरकार के पक्ष में जाता है, तो इसका असर न केवल रिलायंस और BP पर बल्कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र में भविष्य की प्रोडक्शन शेयरिंग नीतियों पर भी पड़ सकता है. फिलहाल सभी की निगाहें मिड-2026 में आने वाले ट्रिब्यूनल के फैसले पर टिकी हैं.
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