9 महीने में ₹800 करोड़ का चूना! इस अवैध ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने भारत में किया खेल; अब ED ने पकड़ी गर्दन
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म OctaFX के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की है. जांच में सामने आया है कि कंपनी ने सिर्फ नौ महीनों में भारत से लगभग 800 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन किए, जिनका संबंध विदेशी नेटवर्क और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए हुए अपराध से है.

Illegal Trading Platform: भारत की प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अवैध ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म OctaFX के खिलाफ बड़ी जांच शुरू की है. यह कंपनी कई देशों में फैले नेटवर्क के जरिए भारत में फॉरेक्स, कमोडिटीज और क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग का कारोबार करती थी. जांच में सामने आया है कि कंपनी ने सिर्फ नौ महीनों में भारत से करीब 800 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन किए हैं, जो कथित तौर पर अपराध से कमाए गए पैसों से जुड़े हैं.
कई देशों में फैला नेटवर्क
टीओआई ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बाबत जानकारी दी है. ED की जांच के मुताबिक, OctaFX का मुख्यालय साइप्रस में है. इसके प्रमोटर रूस से काम कर रहे हैं, जबकि तकनीकी सहायता जॉर्जिया से दी जाती है. कंपनी की भारतीय गतिविधियां दुबई से नियंत्रित होती हैं और इसके सर्वर बार्सिलोना, स्पेन में मौजूद हैं. इस तरह, OctaFX एक बड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के जरिए भारत में लेन-देन कर रहा था, जिससे पैसों के असली सोर्स और गंतव्य को छिपाना आसान हो जाता था.
“फर्जी सर्विस इंपोर्ट” से पैसे की हेराफेरी
ED की रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी ने भारत से भेजे गए पैसों को “सिंगापुर से सेवाओं के आयात ” के नाम पर दिखाया. असल में यह तरीका अवैध धन को वैध दिखाने के लिए अपनाया गया था. जांच के दौरान 172 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की गई है. इनमें एक यॉट, स्पेन में एक विला, 36 करोड़ रुपये की बैंक जमा राशि, 39,000 USDT (क्रिप्टोकरेंसी), और 80 करोड़ रुपये के डिमैट व जमीन निवेश शामिल हैं.
कई प्लेटफॉर्म जांच के घेरे में
रिपोर्ट के मुताबिक, OctaFX अकेला नहीं है, मुंबई जोनल यूनिट की जांच में कई दूसरे प्लेटफॉर्म्स भी सामने आए हैं. इनमें Power Bank (बेंगलुरु), Angel One, TM Traders, Vivan Li (कोलकाता) और Zara FX (कोच्चि) शामिल हैं. इन सभी के खिलाफ देशभर में अलग-अलग FIR दर्ज हुई हैं, और सभी मामलों में निवेश धोखाधड़ी का संदेह है.
क्रिप्टो के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग का पैटर्न
ED की जांच से यह भी पता चला कि कई साइबर फ्रॉड कंपनियां, जैसे Birfa IT और उससे जुड़ी फर्में, बड़े पैमाने पर क्रिप्टोकरेंसी के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग कर रही थीं. इन कंपनियों ने अपराध से कमाए पैसे को पहले क्रिप्टो में बदला, फिर उसे चीन भेजा ताकि कम मूल्य के आयात के नाम पर पैसा बाहर भेजा जा सके. Birfa केस में ही लगभग 4,818 करोड़ रुपये की राशि हांगकांग और कनाडा की फर्जी कंपनियों को भेजी गई, जिन्हें “सर्वर लीजिंग” या “एस्क्रो सेवाओं” के नाम पर पेमेंट बताया गया.
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