यूरोप में सर्दी की आहट से भारत की रिफाइनरी इंडस्ट्री में हलचल, कई साल के शीर्ष पर पेट्रोल-डीजल निर्यात: रिपोर्ट
यूरोप में सर्दियों की आहट के बीच भारत की रिफाइनरी इंडस्ट्री में पेट्रोल-डीजल निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर. रूस से सस्ता क्रूड, ईथेनॉल ब्लेंडिंग और यूरोप की बढ़ती मांग ने भारतीय रिफाइनरों को वैश्विक बाजार में बढ़त दिलाई. पेट्रोल निर्यात 4 लाख बैरल प्रतिदिन, डीजल 6 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया है.

यूरोप में सर्दियों की शुरुआत के संकेत के साथ भारत की रिफाइनरी इंडस्ट्री में निर्यात बढ़ाने की तेजी दिख रही है. भारतीय रिफाइनर पेट्रोल और डीजल का निर्यात पिछले कई सालों के उच्चतम स्तर पर ले जा रहे हैं. इसकी वजह है क्रूड प्रोसेसिंग क्षमता में वृद्धि, घरेलू मांग में कमी और ईथेनॉल मिश्रण बढ़ना, जिससे घरेलू ईंधन का हिस्सा विदेशी बाजारों में भेजा जा सकता है.
बढ़ रहे निर्यात के अवसर
भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा क्रूड आयातक है. भारत अब अपनी जरूरत का करीब एक-तिहाई तेल रूस से आयात कर रहा है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच रूस से सस्ता क्रूड खरीदने से भारतीय रिफाइनरी इंडस्ट्री को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कई अवसर मिल रहे हैं. खासतौर पर यूरोप में सर्दियों की आहट ने भारतीय कंपनियों के लिए नए अवसर पैदा किए हैं.
पेट्रोल निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर
रिपोर्ट में बताया गया है कि कंसल्टेंसी फर्म वुड मैकेंजी के मुताबिक भारत की क्रूड प्रोसेसिंग क्षमता 5.51 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच रही है. पेट्रोल निर्यात 2025 में लगभग 4,00,000 बैरल प्रति दिन तक पहुंचने का अनुमान है. इसके अलावा ईथेनॉल ब्लेंडिंग को 12% से बढ़ाकर 20% करने से पेट्रोल की घरेलू खपत पर असर कम हुआ और निर्यात के लिए ज्यादा डीजल-पेट्रोल उपलब्ध है.
डीजल निर्यात यूरोप की ओर
भारत का डीजल निर्यात चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच रहा है. ज्यादातर आपूर्ति यूरोप की ओर जा रही है, जहां भारी रिफाइनरी रखरखाव के कारण चौथी तिमाही में सप्लाई कम होने की आशंका है. वुड मैकेंजी के अनुमान के मुताबिक, डीजल निर्यात 6,10,000–6,30,000 बैरल प्रतिदिन तक पहुंच सकता है, जबकि, दूसरी फर्म Kpler का दावा है यह आंकड़ा 5,60,000 बैरल प्रतिदिन तक जा सकता है.
सऊदी सप्लाई में गिरावट
सऊदी अरब की कई रिफाइनरियों में रखरखाव के चलते अक्टूबर-नवंबर में उनके रिफाइन्ड प्रोडक्ट की आपूर्ति 3,00,000 बैरल प्रतिदिन कम होने का अनुमान है. यह भारत के लिए यूरोप में अपनी पैठ बढ़ाने का अवसर है. भारत ने अमेरिकी प्रतिबंध और दबाव के बाद भी रूस से क्रूड खरीदने और यूरोप को रिफाइन्ड प्रोडक्ट निर्यात करना जारी रखा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भारत पर लगातार आरोप लगा रहे हैं कि भारत रूस से सस्ता क्रूड खरीदकर महंगे दामों पर बेचकर मुनाफा कमा रहा है.
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