टैरिफ के खिलाफ सरकार का एक्शन, एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए ₹45000 करोड़ करेगी खर्च
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए 45,060 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई है. इस छह वर्षीय योजना के तहत 20,000 करोड़ रुपये क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर एक्सपोर्टर्स (CGSE) के विस्तार में खर्च किए जाएंगे, जबकि 25,060 करोड़ रुपये एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (EPM) पर खर्च होंगे. इस मिशन का उद्देश्य MSME सेक्टर, नए निर्यातकों और लेबर-इंटेंसिव इंडस्ट्रीज को सशक्त बनाना है.
Export Promotion Mission: भारत सरकार ने निर्यात क्षेत्र को मजबूत बनाने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिलाने के लिए 45,060 करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में इस मिशन को छह वर्षों के लिए हरी झंडी दी गई. इस योजना पर कुल 45,060 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिसमें से 20,000 करोड़ रुपये क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर एक्सपोर्टर्स (CGSE) के विस्तार के लिए आवंटित किए गए हैं, वहीं एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (EPM) के लिए 25,060 करोड़ रुपये दिए गए हैं. यह पहल भारत के MSME सेक्टर, नए निर्यातकों और लेबर-इंटेंसिव इंडस्ट्रीज को सीधी सहायता प्रदान करेगी.
Export Promotion Mission का लक्ष्य
एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (EPM) का उद्देश्य भारत के निर्यात को संरचनात्मक रूप से सशक्त बनाना, क्रेडिट एक्सेस आसान करना और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मानकों के अनुरूप निर्यात उत्पादों की क्वालिटी को बढ़ाना है. यह मिशन FY 2025–26 से FY 2030–31 तक चलेगा.
मिशन का फोकस उन उद्योगों पर रहेगा जो हाल के वैश्विक टैरिफ एस्केलेशन से प्रभावित हुए हैं, जैसे टेक्सटाइल, लेदर, जेम्स एंड ज्वेलरी, इंजीनियरिंग गुड्स और मरीन प्रोडक्ट्स. सरकार का लक्ष्य निर्यात ऑर्डर बनाए रखना, नए बाजारों में प्रवेश करना और लाखों रोजगारों की रक्षा करना है.
निर्यात प्रोत्साहन और निर्यात दिशा दो योजनाएं
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि यह मिशन दो इंटीग्रेटेड उप-योजनाओं निर्यात प्रोत्साहन और निर्यात दिशा के माध्यम से संचालित होगा. निर्यात प्रोत्साहन के तहत MSMEs को सस्ती और सुलभ ट्रेड फाइनेंस उपलब्ध कराने पर ध्यान दिया जाएगा.
इसके लिए इंटरेस्ट सबवेंशन, क्रेडिट कार्ड फॉर ई-कॉमर्स एक्सपोर्टर्स, फैक्टरिंग सपोर्ट और क्रेडिट एन्हांसमेंट जैसे साधनों को शामिल किया गया है. निर्यात दिशा योजना का उद्देश्य गैर-वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जैसे एक्सपोर्ट क्वालिटी और कंप्लायंस सपोर्ट, अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग, ट्रेड फेयर में भागीदारी, लॉजिस्टिक्स सपोर्ट, और ट्रेड इंटेलिजेंस प्रोग्राम्स.
क्रेडिट गारंटी स्कीम से मिलेगा बल
कैबिनेट ने क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर एक्सपोर्टर्स (CGSE) को भी मंजूरी दी है. इस स्कीम के तहत नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) निर्यातकों को 100 फीसदी क्रेडिट गारंटी कवरेज प्रदान करेगी. इसके माध्यम से बैंकों को 20,000 करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त कर्ज की गारंटी दी जाएगी.
इससे निर्यातकों, खासकर MSME सेक्टर, को कोलेट्रल-फ्री फाइनेंसिंग की सुविधा मिलेगी. इससे उनकी लिक्विडिटी में सुधार होगा और भारत के 1 ट्रिलियन डॉलर एक्सपोर्ट टारगेट को हासिल करने में मदद मिलेगी.
भारत के लिए रणनीतिक महत्व
सरकार के अनुसार, FY2025 तक निर्यात भारत के GDP में लगभग 21 फीसदी का योगदान देते हैं और करीब 4.5 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करते हैं. MSME सेक्टर भारत के कुल निर्यात का लगभग 45 फीसदी हिस्सा रखता है. EPM के जरिए भारत के निर्यात क्षेत्र को नई ऊर्जा मिलेगी और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को और मजबूती मिलेगी.
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