डूबे JP Group से अडानी को क्या मिलेगा, एक्सप्रेसवे, F1 ट्रैक और हजारों एकड़ जमीन का है साम्राज्य
एक्सप्रेसवे, F1 ट्रैक और हजारों एकड़ जमीन के बावजूद क्यों डूब गया JP का साम्राज्य. कर्ज, देरी और विवादों में फंसी कंपनी अब CIRP में है. ऐसे में अडानी समूह इस बिखरे इंफ्रा साम्राज्य में क्या मौका देख रहा है और कौन से एसेट्स हाथ लगा सकते हैं?
2009 में पहली बार Buddh International Circuit जगमगाया, तो यह सिर्फ भारत की पहली F1 रेस नहीं थी. यह जेपी ग्रुप की उस महत्वाकांक्षा का प्रतीक था, जो एक्सप्रेसवे, स्पोर्ट्स सिटी, गोल्फ रिजॉर्ट, होटल्स, टाउनशिप और पावर-सीमेंट साम्राज्य तक फैली थी. JP एसोसिएट्स ऐसा समूह था, जिसने 1958 में एक छोटे कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्टर के रूप में डैम और नहरें बनाना शुरू किया और 2010 आते-आते 65,000 करोड़ का इंफ्रा साम्राज्य बन गया. यमुना एक्सप्रेसवे से लेकर 5.3 किमी का F1 ट्रैक और हजारों एकड़ की जेपी स्पोर्ट्स सिटी तक, असल में JP ग्रुप NCR का सबसे बड़ा डेवलपर बन चुका था.
F1 का ग्लैमर चेहरा, असल खेल रियल एस्टेट का
भारत में एक वर्ल्ड क्लास F1 ट्रैक एक ऐसे तमगे की तरह था, जिसे सरकारें अपने विकास गाथा की ब्रांडिंग में बढ़-चढ़कर दिखा सकती हैं. लेकिन, जेपी ग्रुप के लिए यह सिर्फ एक ‘मोहरा’ था. क्योंकि, असली मकसद इसके आसपास की 1,000 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन थी, जहां जेपी स्पोर्ट्स सिटी बनाई जानी थी, जिसमें मॉल, ऑफिस टॉवर, हाई-राइज रेजिडेंशियल बिल्डिंग, इंटरनेशनल स्टेडियम, संस्थान के साथ पूरा शहर बसाना था. इससे पहले 165 किलोमीटर का यमुना एक्सप्रेसवे भी जेपी इन्फ्राटेक ने यहां बनाया, असल में इसके सहारे ही रियल एस्टेट को मॉनेटाइज करने की योजना बनाई गई. सरकार ने जमीन आवंटित की, कंपनी ने बैंकों से मोटा कर्ज लिया और एक नया इन्फ्रा-टाउनशिप मॉडल खड़ा करने की कोशिश की. लेकिन यहीं से मुश्किल शुरू हुई.
इस तरह डूब गया पूरा साम्राज्य
2011 के बाद भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर बाजार ठंडा पड़ा, ब्याज दरें बढ़ीं और JP का से शहर बसाने का मॉडल उलझन बन गया. एक्सप्रेसवे पर 13,000 करोड़, पावर प्रोजेक्ट्स में हजारों करोड़ और सीमेंट व्यवसाय में कर्ज लेकर तेज विकास किया. इसके बाद उम्मीद थी कि जब बिक्री होगी, तो कर्ज चुक जाएगा. लेकिन बिक्री रुकी, तो नकदी गायब हो गई. 2016 आते-आते JP का कर्ज बढ़कर 75,000 करोड़ तक पहुंच गया, जो 2008 में मात्र 11,000 करोड़ रुपये था.
बढ़ती गईं उलझनें
कर्ज डिफॉल्ट की वजह से नए कर्ज नहीं मिले, तो कई प्रोजेक्ट्स रुक गए. F1 सिर्फ तीन साल चला और बंद हो गया. YEIDA के साथ भूमि विवाद बढ़ा, हजारों होमबायर्स सड़कों पर उतर आए और JP के शेयर स्थिरता खोते हुए ट्रेडिंग सस्पेंशन तक पहुंच गए. बैंक एक दशक तक रिस्ट्रक्चरिंग, मॉरेटोरियम और एसेट सेल की कोशिश करते रहे. आखिरकार 2024 में JP Associates को NCLT ने दिवालिया प्रक्रिया (CIRP) में भेज दिया. 57,000 करोड़ से अधिक के क्लेम, बिजनेस के बिखरा हुए ढांचे के साथ और पूरा समूह बिक्री के लिए रखा गया.
बेमिसाल है JP का एसेट यूनिवर्स
बैलेंस शीट पर डूबने के बावजूद JP के पास भारत का सबसे अनोखा इंफ्रा-रियल एस्टेट पोर्टफोलियो है. यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे हजारों एकड़ की स्पोर्ट्स सिटी, F1 ट्रैक, प्रीमियम जेपी ग्रीन्स गोल्फ रिजॉट्र, UP-MP में फैले सीमेंट प्लांट और 12 लाइमस्टोन खानें, 279 MW का थर्मल प्लांट, होटल्स का विशाल पोर्टफोलियो और JP पावर वेंचर्स में 24% की हिस्सेदारी. असल में यह एक ऐसा एसेट नेटवर्क है, जो किसी भी बड़े समूह को नया इंफ्रा इंजन दे सकता है.
अडानी ने क्यों लगाया दांव?
Adani Enterprises ने 12,500 से 14,500 करोड़ की बिना शर्त बोली लगाकर JP के लिए सबसे मजबूत दावेदारी पेश कर यह सौदा हासिल किया है. अडानी का मजबूत अतीत, सरकार के साथ अच्छा तालमेल क्रेडिटर्स को भरोसा देता है. वहीं, अडानी के लिए JP की सीमेंट क्षमता अंबूजा–ACC नेटवर्क में सीधी फिट होती है. लाइमस्टोन खानें दुर्लभ संसाधन हैं, EPC डिवीजन अडानी की इंफ्रा क्षमता को मजबूत करेगी. थर्मल हाइड्रो माइनिंग वाला JP पावर वेंचर अडानी के पावर पोर्टफोलियो से जुड़ता है. इसके बाद सबसे बड़ा आकर्षण है यमुना एक्सप्रेस वे, जेवर एयरपोर्ट कॉरिडोर का लैंड बैंक, जहां भविष्य में NCR का एक नया शहर बसने की संभावना है, जिसे ग्रुप अपने रियल एस्टेट और इंफ्रा मॉडल में आसानी से प्लग कर सकता है. ये सब उस कीमत पर मिल रहा है जो असल में लिक्विडेशन वैल्यू के आस-पास है.
क्या अडानी को क्या-क्या मिलेगा?
फिलहाल, इस सवाल का सीधा-सीधा जवाब नहीं है. खासतौर पर स्पोर्ट्स सिटी और F1 ट्रैक JP के एसेट तो हैं, लेकिन YEIDA के साथ विवाद के चलते इनकी स्थिति स्पष्ट नहीं है. NCLT, YEIDA और राज्य सरकार की मंजूरी के बाद ही इनका ट्रांसफर अडानी हो होगा. हालांकि, बाकी एसेट्स जिनमें सीमेंट प्लांट, होटल्स, पावर, खानें, अडानी को मिलना तय माने जा रहे हैं.
| जेनी के एसेट | अडानी को क्या मिल सकता है | स्थिति |
|---|---|---|
| सीमेंट प्लांट्स | यूपी और एमपी में 4 प्लांट, कुल क्षमता 5.6–6.5 MTPA | क्रेडिटर्स की मंजूरी में शामिल |
| लाइमस्टोन खानें | 12 से अधिक लीज्ड खानें | Ambuja–ACC नेटवर्क में फिट |
| थर्मल पावर प्लांट | 279 MW का कैप्टिव प्लांट | ऑपरेशनल, अडानी पावर पोर्टफोलियो में ऐड होगा |
| JP पावर वेंचर्स में हिस्सेदारी | लगभग 24% इक्विटी | पावर, हाइड्रो और माइनिंग एक्सपोजर |
| NCR लैंड बैंक | नोएडा/ग्रेटर नोएडा में प्राइम लैंड, हजारों एकड़ | CIRP में शामिल, उच्च वैल्यू |
| यमुना एक्सप्रेसवे-जेवर कॉरिडोर लैंड | स्पोर्ट्स सिटी, टाउनशिप वाली भूमि | टाइटल विवाद व YEIDA क्लियरेंस लंबित |
| F1 ट्रैक | स्पोर्ट्स सिटी का हिस्सा, संभावित ट्रांसफर | YEIDA–NCLT मंजूरी के बाद स्थिति स्पष्ट होगी |
| जेपी ग्रीन्स (Golf+ Township) | प्रीमियम प्रॉपर्टी, विला, गोल्फ रिजॉर्ट | अडानी के रियल्टी मॉडल में उपयोगी |
| होटल और हॉस्पिटैलिटी एसेट्स | 867 कमरों का पोर्टफोलियो | NCR, आगरा, मसूरी में फैला |
| EPC/ इन्फ्रा बिजनेस | JP की निर्माण यूनिट्स और इंजीनियरिंग वर्कफोर्स | अडानी इंफ्रा प्रोजेक्ट्स में डायरेक्ट उपयोग |
| रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स | मॉल, ऑफिस टॉवर, अटके प्रोजेक्ट्स | CIRP के तहत ट्रांसफर-एनेबल्ड |
| फाइनेंशियल एसेट्स/कंट्रोल | ₹12,500–14,535 करोड़ की बोली के अनुसार पूरी कंपनी का नियंत्रण | NCLT अप्रूवल के बाद फाइनल |