Gensol को लोन देना PFC और IREDA को पड़ा भारी, फंसे 977 करोड़, रिकवरी के लिए लिया ये एक्‍शन

जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रमोटरों अनमोल और पुनीत जग्‍गी पर सेबी ने शिकंजा कस दिया है. दोनों पर कंपनी के फंड का दुरुपयोग करने का आरोप है. इनके खिलाफ जांच की जा रही है. ऐसे में जेनसोल को लोन देने वाले संस्‍थानों पीएफसी और IREDA का पैसा फंस गया है, तो क्‍या है पूरा मामला आइए समझते हैं.

gensol को लोन देनी वाले संस्‍थानों का फंसा पैसा Image Credit: money9

Gensol Engineering dispute: जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रमोटरों अनमोल सिंह जग्‍गी और पुनीत जग्‍गी पर फंड डायवर्जन जैसे गंभीर आरोप लगने और मार्केट में बैन के चलते ये पहले से ही मुसीबत में है. अब दोनों भाइयों की परेशानी और बढ़ने वाली है क्‍योंकि जेनसोल को भारी भरकम कर्ज देने वाले संस्‍थानों पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन यानी PFC और भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) ने जेनसोल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का मन बनाया है. क्‍योंकि प्रमोटर भाईयों पर गंभीर आरोप लगने से उनके लोन का पैसा फंस गया है, जिसे बचाने की कोशिश में ये लगे हुए हैं.

PFC और IREDA ने कितना दिया था कर्ज?

अनमोल और पुनीत जग्‍गी जेनसोन के प्रमोटर के अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों वाली राइड-हेलिंग सर्विस ब्लूस्मार्ट के भी मालिक हैं. मगर गुरुवार को यह सर्विस अचानक ठप हो गई. सेबी की शुरुआती जांच में पता चला कि 2022 से 2024 के बीच पीएफसी और आईआरईडीए ने जेनसोल को 977 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है. इसमें से 663 करोड़ रुपये इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए थे, जो जेनसोल को ब्लूस्मार्ट को पट्टे पर देना था. करीब 5,500 वाहन ब्लूस्मार्ट को पट्टे पर दिए भी गए, लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब पता चला कि जेनसोल ने जाली लेटर बनाए और दिखाया गया कि PFC और IREDA के कर्ज का भुगतान समय पर हो रहा है. ये जाली दस्तावेज क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को सौंपे गए हैं.

भेजा गया कारण बताओ नोटिस

ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक पीएफसी और आईआरईडीए ने जेनसोल को कारण बताओ नोटिस भेजकर जवाब मांगा है कि आखिर ये जाली पत्र कैसे तैयार हुए. कंपनी के जवाब के आधार पर ही दोनों संस्‍थाएं अपना अगला कदम उठाएंगी. इसके अलावा इन्‍हें सेबी के फोरेंसिक ऑडिट के नतीजों का भी इंतजार है. अगर प्रमोटरों पर धोखाधड़ी साबित हुई तो कर्ज को ‘फ्रॉड’ कैटेगरी में डालना होगा. ऐसा होने पर PFC और IREDAआईआरईडीए की रकम डूबने का खतरा हो सकता है.

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सेबी ने लगाया बैन

15 अप्रैल को सेबी ने जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रमोटरों की गड़बड़ियों को उजागर किया था. साथ ही जग्गी ब्रदर्स पर लिस्‍टेड कंपनियों में प्रबंधन की भूमिका निभाने पर रोक लगा दी थी. सेबी की जांच में सामने आया कि कर्ज के पैसे का इस्तेमाल गलत जगहों पर हुआ है. अनमोल और पुनीत जग्‍गी ने इस पैसों से हाई-एंड अपार्टमेंट और गोल्फ सेट खरीदे हैं. सेबी का दावा है कि 262 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिल रहा है.