Global Investment Risk & Resilience Index: निवेश के लिहाज से स्विट्जरलैंड सबसे सुरक्षित, जानें कितने नंबर पर है भारत

Henley & Partners और Alpacgio की 2025 Global Investment Risk & Resilience Index रिपोर्ट में स्विट्जरलैंड दुनिया का सबसे सुरक्षित और फ्लेक्सिबल देश बना, जबकि भारत को 226 देशों में 155वां स्थान मिला है. रिपोर्ट बताती है कि भारत आर्थिक और नियामक जोखिमों के प्रति अधिक संवेदनशील है. BRICS देशों में चीन 49वें स्थान के साथ शीर्ष पर है, जबकि रूस, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील भी भारत से आगे हैं.

ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिस्क & रेजिलिएंस इंडेक्स 2025 Image Credit: money9live.com

Global Investment Risk & Resilience Index 2025: निवेशकों के लिए पैसा रखने के नजरिए से स्विट्जरलैंड दुनिया का सबसे सुरक्षित और फ्लेक्सिबल देश बनकर उभरा है. Henley & Partners और Alpacgio द्वारा जारी ‘2025 Global Investment Risk & Resilience Index’ में स्विट्जरलैंड शीर्ष पर है, जबकि भारत को 226 देशों में 155वां स्थान मिला है, जो BRICS देशों में सबसे खराब प्रदर्शन है. यह सूचकांक देशों की आर्थिक, भू-राजनीतिक और पर्यावरणीय झटकों का सामना करने तथा उनसे उबरने की क्षमता को मापता है.

स्विट्जरलैंड और छोटे यूरोपीय देशों का दबदबा

सूचकांक में शीर्ष दस स्थानों पर ज्यादातर छोटे, लेकिन मजबूत शासन वाले यूरोपीय देशों का कब्जा है. इस लिस्ट में पहले नंबर पर स्विट्जरलैंड, दूसरे पर डेनमार्क, तीसरे पर नॉर्वे, चौथे पर सिंगापुर, पांचवें पर स्वीडन, छठे पर लक्जमबर्ग, सातवें पर फिनलैंड, आठवें पर ग्रीनलैंड, नौवें पर नीदरलैंड और दसवें पर जर्मनी रहा. वहीं, सूची में सबसे निचले पायदान पर दक्षिण सूडान, लेबनान, हैती, सूडान और पाकिस्तान जैसे देश हैं, जो ज्यादा जोखिम और सीमित संस्थागत रेजिलिएंस को दिखाता हैं.

भारत की स्थिति चिंताजनक

भारत का 155वां स्थान देश में व्याप्त सिस्टमिक रिस्क्स और उसकी आर्थिक क्षमता की तुलना में सीमित रेजिलिएंस को उजागर करता है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का कुल रेजिलिएंस स्कोर 49.76 (मध्यम) है, जो BRICS सदस्यों में सबसे कम है. वहीं, इसका रिस्क स्कोर 40.91 (उच्च) है, जो आर्थिक, नियामक और राजनीतिक जोखिमों के प्रति देश की ज्यादा संवेदनशीलता को दर्शाता है. दिलचस्प बात यह है कि BRICS समूह में चीन 49वें स्थान के साथ सबसे आगे है, जिसकी वजह उसकी मजबूत स्टेट क्षमता, बुनियादी ढांचा और तकनीकी बढ़त बताई गई है. रूस 94वें, दक्षिण अफ्रीका 145वें और ब्राजील 150वें स्थान पर हैं.

क्यों पिछड़ रहा है भारत?

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होने के बावजूद, भारत इंस्टीट्यूशनल (संस्थागत), एन्वायर्नमेंटल (पर्यावरणीय) और इंफ्रास्ट्रक्चरल (बुनियादी ढांचागत) चुनौतियों से जूझ रहा है. ये चुनौतियां देश को क्लाइमेट डिसरप्शन, एनर्जी डिपेंडेंसी, रेगुलेटरी अनसर्टेन्टी और सामाजिक-आर्थिक असमानता जैसे झटकों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती हैं.

रिपोर्ट में भारत की निम्नलिखित कमजोरियों की ओर इशारा किया गया है:

हालांकि, रिपोर्ट में भारत के इनोवेशन इकोसिस्टम, डेमोग्राफिक डिविडेंड और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को देश की लॉन्ग-टर्म रेजिलिएंस को मजबूत करने वाले सकारात्मक कारणों के रूप में भी रेखांकित किया गया है, बशर्ते इनके साथ बेहतर शासन और टिकाऊ बुनियादी ढांचे में निवेश को जोड़ा जाए.

बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भी पीछे

सूचकांक के नतीजे निवेश की सुरक्षा के बारे में कुछ पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती देते हैं. शीर्ष रेजिलिएंस सुनिश्चित करने के लिए बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जरूरी नहीं हैं. उदाहरण के लिए, अमेरिका 32वें, ब्रिटेन 23वें, जापान 35वें और इटली 48वें स्थान पर है. शीर्ष 10 में लक्जमबर्ग और फिनलैंड जैसे छोटे देशों का दबदबा इस बात का संकेत है कि अनुकूलन क्षमता, शासन और इनोवेशन की अहमियत आर्थिक आकार या सैन्य शक्ति से कहीं अधिक है.

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