डिफेंस सेक्टर में बड़ा बदलाव करेगी सरकार, प्राइवेट कंपनियों को मिलेंगे ज्यादा मौके; नॉमिनेशन टेंडर सिस्टम होगा आसान
सरकार रक्षा क्षेत्र में सुधार की तैयारी कर रही है ताकि निजी कंपनियों और MSME को अधिक अवसर मिल सकें. अभी कई रक्षा सौदे नॉमिनेशन आधारित तरीके से सरकारी कंपनियों को दिए जाते हैं लेकिन अब ओपेन टेंडर का रास्ता अपनाने की योजना है. साथ ही ऑफसेट नीति और डिफेंस एक्विजिशन प्रोसीजर की समीक्षा भी की जा रही है ताकि नियम अधिक लचीले बनाया जा सकें.
Defence sector Reforms: सरकार डिफेंस सेक्टर में सुधार की तैयारी कर रही है ताकि प्राइवेट कंपनियों को ज्यादा अवसर मिल सकें. अभी तक कई अहम कॉन्ट्रैक्ट सीधे पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को दिए जाते हैं लेकिन अब इसमें बदलाव की योजना है. सरकार नॉमिनेशन आधारित सिस्टम को आसान बनाकर नॉमिनेशन टेंडर की ओर बढ़ना चाहती है. इससे प्राइवेट कंपनियों और MSME की भागीदारी बढ़ेगी और कंपटीशन के साथ इनोवेशन को भी बढ़ावा मिलेगा.
नॉमिनेशन बेस्ड सिस्टम में बदलाव की तैयारी
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल रक्षा मंत्रालय कई बड़े कॉन्ट्रैक्ट सीधे सरकारी कंपनियों जैसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को दे देता है. इससे रणनीतिक परियोजनाओं की सुरक्षा तो होती है लेकिन समय पर सप्लाई मिलने में देरी होती है और इससे प्राइवेट क्षेत्र की भागीदारी सीमित रह जाती है. सरकार अब इस सिस्टम में बदलाव कर प्राइवेट कंपनियों के लिए रास्ता खोलना चाहती है.
नॉमिनेशन टेंडर से बढ़ेगी कंपटीशन
नॉमिनेशन टेंडर लागू होने पर प्राइवेट कंपनियों को रक्षा सौदों में ज्यादा मौके मिलेंगे. इससे कंपटीशन बढ़ेगी और डोमेस्टिक इंडस्ट्री को नई ऊर्जा मिलेगी. छोटे और मीडियम इंडस्ट्री भी सीधे हिस्सेदारी कर सकेंगे और सब- कॉन्ट्रैक्टिंग तक सीमित नहीं रहेंगे. इससे डिफेंस सेक्टर में तेज इनोवेशन की संभावना भी बढ़ेगी.
ऑफसेट नीति में होगा बदलाव
सरकार रक्षा खरीद की ऑफसेट नीति की भी समीक्षा कर रही है. इस नीति के तहत विदेशी कंपनियों को बड़े सौदे जीतने पर कॉन्ट्रैक्ट प्राइस का 30 फीसदी भारत में निवेश करना होता है. इसका मकसद रक्षा सौदों से डोमेस्टिक इंडस्ट्री को लॉन्ग टर्म में फायदा दिलाना है. विदेशी कंपनियों को स्थानीय कंपनियों से पुर्जे खरीदने, टेक्निक ट्रांसफर या प्रोडक्शन यूनिट लगाने जैसी शर्तें पूरी करनी होती हैं.
डिफेंस एक्विजिशन प्रोसीजर में सुधार
रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एक्विजिशन प्रोसीजर यानी डीएपी नियमों को भी इंडस्ट्री के अनुकूल बनाने की कोशिश की जा रही है. इसमें मेक इन इंडिया, ऑफसेट नियम और घरेलू व विदेशी विक्रेताओं के लिए मॉडल शामिल हैं. डीएपी 2020 में MSME सोर्सिंग, सेक्टर इंवेस्टमेंट और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसे प्रोविजन जोड़े गए थे जिन्हें अब और आसान बनाने की योजना है.
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9.53 फीसदी बढ़ा रक्षा बजट
वित्त वर्ष 2026 के लिए रक्षा मंत्रालय को 6.8 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. यह कुल बजट का 13.45 फीसदी है और पिछले साल की तुलना में 9.53 फीसदी ज्यादा है. सरकार उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में डिफेंस कॉरिडोर भी विकसित कर रही है. इन कदमों का मकसद आयात पर निर्भरता घटाना और देश में रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है.