16,300 करोड़ के नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन की मंजूरी, मिलेगी EV को रफ्तार !

बुधवार, 29 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई. इस बैठक में 16,300 करोड़ रुपये के नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन को मंजूरी दी गई. सरकार इस पर अगले सात सालों में 34,300 करोड़ रुपये खर्च करेगी. सरकार का लक्ष्य ग्रीन एनर्जी और बैटरी में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण खनिजों की खोज करना और इम्पोर्ट को कम करना है.

नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन Image Credit: John W. Banagan/Stone/Getty Images

National Critical Mineral Mission: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट बैठक हुई, जिसमें कई अहम फैसलों पर मुहर लगी. सरकार ने 16,300 करोड़ रुपये के नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत सात सालों में 34,300 करोड़ रुपये निवेश किए जाएंगे. इस फैसले का लक्ष्य आत्मनिर्भरता हासिल करना और ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन की दिशा में भारत की यात्रा को गति देना है. माइंस मिनिस्ट्री की एक विज्ञप्ति के अनुसार, पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज से इस मिशन में 18,000 करोड़ रुपये के योगदान की उम्मीद है, जिसका लक्ष्य देश के भीतर और विदेशों में महत्वपूर्ण खनिजों की खोज को बढ़ावा देना है.

इन पर रहेगा जोर

आज दुनिया भर में क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है. तांबा, लिथियम, निकल, कोबाल्ट और रेयर अर्थ जैसे महत्वपूर्ण खनिज तेजी से बढ़ती क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी के विकास के लिए आवश्यक कच्चे माल हैं. इनका उपयोग पवन टर्बाइनों, बिजली नेटवर्क, इलेक्ट्रिक गाड़ियों और बैटरियों के निर्माण में होता है. अब जब भारत सहित दुनिया में इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है, तो सरकार भी इसे बढ़ावा दे रही है.

यह भी पढ़ें: मुंबई मुश्किल है! रहने के लिए चाहिए कम से कम इतना पैसा, जानें किस काम पर कितना खर्च

24 क्रिटिकल मिनरल की पहचान

कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस मिशन का लक्ष्य क्रिटिकल मिनरल के इम्पोर्ट पर निर्भरता कम करना और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है. उन्होंने कहा, “यह मिशन 16,300 करोड़ रुपये का है.” साथ ही बताया कि 24 महत्वपूर्ण खनिजों की पहचान की गई है.

महत्वपूर्ण खनिजों को अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक बताते हुए उन्होंने कहा कि इस मिशन के प्रमुख उद्देश्य एक्सप्लोरेशन को बढ़ाना, इम्पोर्ट पर निर्भरता कम करना, विदेशों में खनिज ब्लॉकों का अधिग्रहण करना, महत्वपूर्ण खनिजों की प्रोसेसिंग के लिए टेक्नोलॉजी का विकास करना और खनिजों का रिसाइकिल करना है.