GST कटौती के बावजूद ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स नहीं कर रहे कीमतें कम, सरकार ने दी सख्त चेतावनी; रहेगी पैनी नजर

सरकार अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर FMCG प्रोडक्ट्स जैसे शैम्पू, दाल, टूथपेस्ट और अन्य रोजमर्रा की चीजों की कीमतों की कड़ी निगरानी कर रही है. इसका मकसद यह देखना है कि GST दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुच रहा है या नहीं. हाल ही में GST ढांचे को सरल बनाकर कीमतें कम करने का फैसला हुआ था.

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सरकार की सख्ती Image Credit: @Canva/Money9live

E Commerce Platform and GST Cut: सरकार अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर बिकने वाले रोजमर्रा के जरूरी सामान जैसे शैम्पू, दाल, टूथपेस्ट और दूसरे FMCG प्रोडक्ट्स की कीमतों पर पैनी नजर रख रही है. इसका उद्देश्य यह देखना है कि GST में हुई हालिया दरों की कटौती का फायदा  क्या असल में ग्राहकों तक पहुंच रहा है या नहीं. सरकार के इस सख्ती के पीछे बड़ी वजह भी है.

क्यों बढ़ी सरकार की चिंता?

पिछले दिनों शिकायतें मिली थीं कि कुछ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर जरूरी सामानों की कीमतों में GST दरों की कटौती के हिसाब से कमी नहीं की गई. इसके बाद सरकार ने ऐसे ऑपरेटर्स को अनौपचारिक रूप से चेतावनी दी है. ईटी ने अपनी एक रिपोर्ट में सोर्स के हवाले से लिखा, “सरकार चाहती है कि GST कटौती का फायदा ग्राहकों तक सही तरीके से पहुंचे. राजस्व विभाग लगातार इस बात की निगरानी कर रहा है कि टैक्स कटने के बाद कीमतों में उचित कमी की गई है या नहीं.”

कंपनियों के बहाने और सरकार की सख्ती

जब सरकार ने प्रोडक्ट्स की पुरानी और नई कीमतों में अंतर को लेकर सवाल किया, तो कुछ ई-कॉमर्स कंपनियों ने इसे “तकनीकी गड़बड़ी” बताया. लेकिन रिपोर्ट की मानें तो सरकार इस मामले पर बेहद सख्त है और कीमतों पर लगातार निगरानी कर रही है. मालूम हो कि कुछ दिन पहले जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में जीएसटी के दरों को लेकर बड़ा बदलाव किया गया जिसे 22 सितंबर से देशभर में लागू कर दिया गया.

GST ढांचे में क्या हुआ था बड़ा बदलाव?

22 सितंबर से GST दरों को सरल बनाया गया है.
पहले चार स्लैब (5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी) थे. अब इन्हें घटाकर सिर्फ दो स्लैब कर दिया गया है- 5 फीसदी और 18 फीसदी. इस बदलाव से करीब 99 फीसदी रोजमर्रा की चीजों की कीमतें कम होनी चाहिए.

निगरानी की नई व्यवस्था

हालांकि अभी तक एंटी-प्रॉफिटियरिंग मैकेनिज्म (यानी शिकायत दर्ज कर मुनाफाखोरी रोकने की आधिकारिक व्यवस्था) एक्टिव नहीं है, लेकिन सरकार ने खुद कीमतों पर नजर रखना शुरू कर दिया है. कई कंपनियों ने भी आगे आकर कहा है कि वे GST कटौती का फायदा ग्राहकों को कीमत घटाकर दे रही हैं. 9 सितंबर को वित्त मंत्रालय ने सेंट्रल GST अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे 54 रोजमर्रा की चीजों की कीमतों का मासिक रिपोर्ट तैयार करें. इस रिपोर्ट में हर ब्रांड के हिसाब से MRP की तुलना की जाएगी और इसे CBIC यानी Central Board of Indirect Taxes and Customs को सौंपा जाएगा.

किन-किन चीजों पर रखी जाएगी नजर?

सरकार ने जिन 54 सामानों की कीमतों की निगरानी का आदेश दिया है, उनमें मक्खन, शैम्पू, टूथपेस्ट, टमाटर केचप, जैम, आइसक्रीम, टीवी, एसी, सीमेंट, डायग्नोस्टिक किट्स, ग्लूकोमीटर, थर्मामीटर, बैंडेज, बच्चों की चीजें जैसे इरेजर और क्रेयॉन्स शामिल हैं.

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