डैम का बदला मेगा डैम से, चीन को सबक सिखाएगा भारत, अरुणाचल प्रदेश में बड़ी तैयारी
चीन ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी सियांग पर यक्सिया नाम से एक बड़ा डैम बना रहा है. 167 अरब डॉलर की इस परियोजना को डूअल यूज प्रोजेक्ट माना जा रहा है, क्योंकि चीन इस प्रोजेक्ट का इस्तेमाल भारत के खिलाफ हथियार के तौर पर भी कर सकता है. इससे बचने के लिए भारत ने तैयारी शुरू कर दी है.

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के बाद अब पानी पर भी जंग के संकेत दिखने लगे हैं. ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी सियांग (तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो) पर चीन 167 अरब डॉलर की यक्सिया हाइड्रोपावर परियोजना बना रहा है. चीन का दावा है कि यह हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट डाउनस्ट्रीम देशों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, लेकिन भारत को आशंका है कि इसका वॉटर बम की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. यही वजह है कि भारत कोई भी जोखिम लेने और चीन की बातों पर भरोसा करने की जगह उस स्थिति से निपटने की तैयारी कर रहा है, जो चीन की तरफ से खड़ी की जा सकती है.
क्या है चीन का यक्सिया प्रोजेक्ट?
चीन तिब्बत से निकलने वाली सियांग नदी पर यक्सिया प्रोजेक्ट बना रहा है. यह प्रोजेक्ट पांच कैस्केड हाइड्रोस्टेशनों वाला है. इसे दुनिया का सबसे बड़ा और महंगा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट माना जा रहा, जिसकी कुल लागत लगभग 167 अरब डॉलर बताई जा रही है. इसके हाइड्रोपावर उत्पादन की क्षमता सालाना लगभग 300 बिलियन kWh है, जो कि चीन के फेमस थ्री गॉर्जेज डैम की क्षमता का करीब तीन गुना है. प्रोजेक्ट की संरचना मल्टी डैम सिस्टम और टनलिंग/डाइवर्सन पर आधारित है. इसका आकार और विशाल स्टोरेज क्षमता भारत और अन्य डाउनस्ट्रीम देशों के लिए रणनीतिक चिंता का कारण बनती है.
क्या है भारत की चिंता?
चीन डैम में पानी रोककर या मोड़कर भारत के निचले हिस्सों में जल आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है. मानसून के बाद अगर पानी कम छोड़ा गया, तो इससे भारत में कृषि, पेयजल और बिजली उत्पादन प्रभावित हो सकता है.
वॉटर बम की तरह इस्तेमाल: अगर चीन अचानक डैम का पानी छोड़ दे, तो भारत में फ्लैश फ्लड की स्थिति बन जाएगी, जिससे लाखों लोगों को जान-माल का नुकसान हो सकता है.
पर्यावरणीय और सैडिमेंट प्रभाव: डैम नदी के सैडिमेंट ट्रांसपोर्ट को बदल सकते हैं. इससे नदी चैनल, मछली पालन, कृषि भूमि और बाढ़ पैटर्न प्रभावित होते हैं. ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी नदियों में यह प्रभाव लंबे समय तक बना रह सकता है.
सैन्य तनाव: चीन-भारत सीमा विवाद और परियोजना की पारदर्शिता न होने की वजह से यह प्रोजेक्ट सैन्य और कूटनीतिक तनाव बढ़ा सकता है.
क्या है भारत की जवाबी तैयारी?
चीनी अधिकारी और मीडिया भले ही इस प्रोजेक्ट से डाउनस्ट्रीम में किसी तरह का कोई खतरा नहीं होने की बातें कर रहे हैं. लेकिन, चीन के अतीत को देखते हुए भारत के लिए इन बातों पर भरोसा करना संभव नहीं है. लिहाजा, इस खतरे से निपटने के लिए भारत ने अरुणाचल प्रदेश में एक मेगा डैम प्रोजेक्ट की तैयारी कर रहा है.
कितना बड़ा होगा भारत का मेगा डैम?
AFP की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का प्रस्तावित प्रोजेक्ट 280 मीटर ऊंचा होगा और इसमें करीब 9.2 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी स्टोर किया जा सकेगा. यह आंकड़ा कितना बड़ा इसका अंदाजा इस बात से होता है कि यह करीब 40 लाख ओलंपिक साइज के स्विमिंग पूल जितना पानी होगा. यह प्रोजेक्ट 11,200-11,600 मेगावॉट तक हाइड्रोपावर पैदा कर सकता है, लेकिन पावर जनरेशन इसकी प्राथमिकता नहीं है. नेशनल हाइड्रोपावर कॉरपोरेशन (NHPC) के इंजीनियरों के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट मुख्य रूप से जल सुरक्षा और बाढ़ से निपटने के लिए है, ताकि चीन के डैम से संभावित खतरे का सामना किया जा सके.
सुरक्षा बनाम पर्यावरण जोखिम
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरत बताया है. वहीं, विशेषज्ञों का भी मानना है कि चीन की आक्रामक नीतियों को देखते हुए भारत को सुरक्षात्मक कदम उठाने होंगे. जहां, एक तरफ IIT गुवाहाटी की प्रोफेसर और ट्रांस-बॉर्डर वॉटर गवर्नेंस विशेषज्ञ डॉ. अनामिका बरुआ कहती हैं कि डैम के बदले डैम की रणनीति उलझन बढ़ा सकती है. इसके बजाय भारत को इस मामले में कूटनीतिक समाधान पर जोर देना चाहिए.
भारत का ठोस रक्षात्मक कदम: वहीं, बीजिंग में भारत के पूर्व राजदूत रहे अशोक के. कंठ का कहना है कि चीन का प्रोजेक्ट लापरवाही भरा है. ऐसे में भारत का डैम बिजली उत्पादन के साथ-साथ, पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के संभावित प्रयासों के खिलाफ एक ठोस रक्षात्मक उपाय होगा.
भारत के पास दूसरा रास्ता नहीं: सिंगापुर यूनिवर्सिटी में हिमालयन इकोसिस्टम के एक्सपर्ट महाराज के. पंडित कहते हैं कि चीन की आक्रामक जल संसाधन विकास नीति, नदी के निचले हिस्से के देशों के लिए इसे नजरअंदाज करने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ती है. वहीं, भूगर्भीय विशेषज्ञ बताते हैं कि अरुणाचल प्रदेश भूकंप के लिए संवेदनशील क्षेत्र है. इतना बड़ा डैम खतरा बढ़ा सकता है. लेकिन, व्यापक सुरक्षा हितों को देखते हुए सरकार इस प्रोजेक्ट से पीछे नहीं हटेगी.
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