HAL ने GE Aerospace से किया बड़ा सौदा, तेजस Mk1A लड़ाकू विमानों के लिए खरीदे जाएंगे 113 इंजन
HAL ने GE Aerospace से 113 F404 इंजन खरीदने का करार किया. इनमें से 97 इंजन तेजस Mk1A विमानों में लगाए जाएंगे. इनकी डिलीवरी 2027 से शुरू होने हो जाएगी और 2030 तक डिलीवरी पूरी हो जाएगी. इससे इंडियन एयरफोर्स की क्षमता में इजाफा होगा.
भारत की रक्षा स्वदेशीकरण नीति को नई गति देते हुए हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने शुक्रवार को अमेरिकी कंपनी GE Aerospace के साथ एक बड़ा करार किया है. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक इस समझौते के तहत HAL अपने तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) Mk1A कार्यक्रम के लिए 113 F404-GE-IN20 जेट इंजन खरीदेगा. ये इंजन भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होने वाले 97 नए तेजस लड़ाकू विमानों के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे.
2027 से शुरू होगी डिलीवरी
रिपोर्ट के मुताबिक HAL के अधिकारियों का कहना है कि इंजन की डिलीवरी 2027 से शुरू होगी और 2032 तक आपूर्ति पूरी कर दी जाएगी. इन इंजनों के साथ HAL तेजस Mk1A विमानों के उत्पादन और इंडक्शन की रफ्तार को और तेज करेगा. यह सौदा भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण कार्यक्रम में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है.
कितना बड़ा है तेजस कार्यक्रम
सितंबर 2025 में रक्षा मंत्रालय ने HAL के साथ 62,370 करोड़ रुपये की मेगा डील साइन की है. इसके तहत भारतीय वायुसेना को 97 तेजस Mk1A विमान मिलने हैं. यह अब तक का HAL और रक्षा मंत्रालय के बीच सबसे बड़ा घरेलू विमानन करार है. नए इंजनों की आपूर्ति इस योजना के तहत ही की जाएगी, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी बड़ा बल मिलेगा.
एयर डिफेंस और स्ट्राइक मिशन में सक्षम
तेजस भारत का स्वदेशी रूप से विकसित सिंगल-इंजन, मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है, जो एयर डिफेंस, ग्राउंड स्ट्राइक और मैरीटाइम रिकॉनिसेंस (समुद्री निगरानी) जैसे मिशनों में सक्षम है. इसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और HAL ने मिलकर डिजाइन किया है. तेजस के Mk1A वेरिएंट में आधुनिक एवियोनिक्स, बेहतर रडार सिस्टम और उच्च युद्ध क्षमता शामिल की गई है.
GE-HAL पार्टनरशिप से बढ़ेगी भारत की क्षमता
GE Aerospace और HAL के बीच यह साझेदारी केवल इंजनों की आपूर्ति तक सीमित नहीं है. दोनों कंपनियां भविष्य में भारत में जेट इंजन निर्माण के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने की योजना बना रही हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि रक्षा विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह डील भारत को एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग साबित हो सकती है.
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि HAL-GE डील से भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमता में भारी इजाफा होगा. यह समझौता न केवल तेजस परियोजना को गति देगा, बल्कि भविष्य में आने वाले एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) जैसे स्वदेशी विमानों के लिए भी तकनीकी आधार तैयार करेगा.