HAL से थर्राए चीन-पाकिस्तान, हवाई हमले से पहले 100 बार सोचने को होंगे मजबूर! भारत को मिला अपना राफेल
भारतीय डिफेंस सेक्टर का रीढ़ कहलाने वाली कंपनी HAL जल्द ही वायु सेना को LCA Mk1A डिलीवर करेगी. आधुनिक शैली में तैयार होने वाला ये फाइटर जेट फ्रांस के बनाए राफेल से कम नहीं होगा. इसमें मौजूद फीचर्स दुनिया के टॉप फाइटर जेट्स से लोहा लेने में सक्षम होंगे. तो आखिर इस हाइटेक फाइटर प्लेन को तैयार करने वाली कंपनी एचएएल कैसे कर रही ग्रो और कैसे हुई इसकी शुरुआत आइए जानते हैं.
HAL Tejas LCA Mk1A: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारत के एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर की सबसे बड़ी ताकतों में से एक है. 85 सालों से यह सरकारी कंपनी भारत की एयरोनॉटिकल इंडस्ट्री की रीढ़ बनी हुई है. हाल ही में भारत-पाक तनाव के बीच इस डिफेंस कंपनी ने खूब सुर्खियां बंटोरी थीं. इसके बनाए तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) और एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) जैसे स्वदेशी विमानों का लोहा पूरा दुनिया मानती है. अब कंपनी आधुनिक फाइटर जेट विमान बनाएगी. HAL इस साल के आखिर तक वायु सेना को 12 LCA Mk1A की डिलीवरी करेगी. इससे न सिर्फ भारतीय वायु सेना की ताकत बढ़ेगी, बल्कि भारत के पास खुद का राफेल जैसा हाईटेक फाइटर जेट होगा, जिससे यूएस, पाकिस्तान और चीन जैसे देश थर-थर कांपेंगे. तो आखिर कैसे हुई HAL की शुरुआत, किन प्रोडक्ट्स के लिए है मशहूर और कैसे ये खुद को कर रही अपग्रेड यहां, देखें पूरी डिटेल.
टूटेगा चीन-यूएस समेत दूसरे देशों का गुरूर
फाइटर जेट टेक्नोलॉजी में संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व में सबसे पहले नंबर पर है. इसके बनाएं F-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग इसके शीर्ष उदाहरण हैं. वहीं चीन भी अपने नए J-35A और J-36 के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है, इसमें यूनीक स्टेल्थ डिजाइन है. इसके अलावा रूस भी Su-57 के साथ टॉप पर है. वहीं भारत की सुरक्षा के लिए गेमचेंजर साबित होने वाले राफेल विमान भी फ्रांस की देन है. इसे दसॉल्ट एविएशन कंपनी बनाती है. मगर जल्द ही अब भारत के पास खुद का राफेल जैसा सॉलिड फाइटर जेट होगा, जिसका नाम LCA Mk1A है, इसे HAL बना रही है.
क्या होगी LCA Mk1A की खासियत?
- एलसीए Mk1A भारत के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस का अपग्रेडेट वर्जन है. ये 4.5 जनरेशन का मल्टी फंग्शनल फाइटर जेट होगा, जिसमें अत्याधुनिक लड़ाकू क्षमताएं और दक्षता होगी.
- इसका मकसद ऑपरेशनल और कॉम्बैट क्षमताएं बढ़ाना हैं.
- इसमें सक्रिय इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, ए4एम और बीवीआर मिसाइलों और हवा से हवा में ईंधन भरने की सुविधा होगी.
- एचएएल की ओर से विकसित किए जाने वाले इस फाइटर जेट के निर्माण से न सिर्फ वायु सेना की ताकत बढ़ेगी. बल्कि इससे भारत दूसरे देशों के मुकाबले एक महाशक्ति बनकर भी उभरेगा.
कैसे हुई थी शुरुआत?
HAL यानी हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड की नींव 23 दिसंबर 1940 को बेंगलुरु में पड़ी थी. इसे उद्यमी वालचंद हीराचंद ने तत्कालीन मैसूर सरकार के साथ मिलकर शुरू किया था. इसका लक्ष्य भारत में विमानों का निर्माण करना था. मार्च 1941 में भारत सरकार ने कंपनी में हिस्सेदारी ली और 1942 में इसका मैनेजमेंट अपने हाथ में ले लिया. उस समय कंपनी ने अमेरिका की इंटर कॉन्टिनेंटल एयरक्राफ्ट कंपनी के साथ मिलकर हार्लो ट्रेनर, कर्टिस हॉक फाइटर और वल्टी बॉम्बर विमानों का निर्माण शुरू किया था. जनवरी 1951 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड को रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में लाया गया.
अगस्त 1963 में एयरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड (AIL) की स्थापना हुई, जो सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी थी और इसका मकसद मिग-21 विमानों का लाइसेंस के तहत निर्माण करना था. 1 अक्टूबर 1964 को भारत सरकार के आदेश के तहत हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड और एयरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड का मर्जर हुआ और इसका नाम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) रखा गया.
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मजबूत ऑर्डर बुक से बढ़ा कारोबार
HAL का ऑर्डर बुक लगातार बढ़ रहा है. FY25 के अंत में इसका ऑर्डर बुक 1.2 ट्रिलियन रुपये से अधिक हो गया, जो FY24 में 94,000 करोड़ रुपये और FY22 में 82,000 करोड़ रुपये था. पिछले तीन सालों में HAL का शुद्ध मुनाफा 26% की CAGR से बढ़ा है, जो इसके मजबूत ऑर्डर बुक और समय पर प्रोजेक्ट्स के एग्जीक्यूशना का नतीजा है. इसके अलावा मजबूत सरकारी समर्थन और बड़े ऑर्डर मिलने की वजह से कंपनी लगातार आगे बढ़ रही है.