HAL Tejas MK1A भारत का स्वदेशी राफेल, अमेरिकी F-16 और चीनी JF-17 को चुटकियों में चटा देगा धूल
HAL Tejas MK1A भारतीय वायुसेना के लिए कई मायनों में स्वदेशी राफेल की तरह है. फ्रेंच कंपनी Dassault के Rafale ने जिस तरह भारतीय वायुसेना को मजबूत किया है, उसी तरह अब Tejas MK1A भी भारत के आकाशवीरों की आक्रमण क्षमता को धार देगा.
HAL Tejas MK1A और Dassault Rafale दोनों ही 4.5 जेनरेशन के मल्टीरोल फाइटर जेट है. हालांकि, दोनों जेट्स में स्पीड, वजन उठाने की क्षमता और वैपन सिस्टम के लिहाज से कई अंतर हैं. जहां, राफेल एक ट्विन इंजन जेट है, वहीं तेजस MK1A सिंगल इंजन पर काम करता है. इसके अलावा, दोनों में एक बड़ा अंतर न्यूक्लियर वैपन्स का है. जहां, फ्रेंच राफेल परमाणु हमले में सक्षम है, वहीं तेजस को परमाणु हमलों के लिए नहीं बनाया गया है. असल में इसकी टक्कर राफेल से है भी नहीं, बल्कि चीन-पाकिस्तान के JF-17 और अमेरिकी F-16 से है.
HAL Tejas MK1A चीन के JF-17 और अमेरिका के F-16 को हर मोर्चे पर मात देता है. Maneuverability, Avionics, Weaponry और मल्टीरोल कैपेसिटी हर लिहाज से 4.5 जेनरेशन के फाइटर जेट्स में तेजस की तूती बोलती है. इसके अलावा अगर बिजनेस की बात करें, तो तेजस के लिए अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी रुचि दिखा चुके हैं, जबकि दर्जन भर देश ऐसे हैं, जो तेजस खरीदने कौ तैयार हैं.
दो दशक में सिर्फ एक बार क्रैश
HAL Teajs MK1A असल में Teajs MK1 एडवांस्ड वर्जन है, जिसे Indian Airforce में पहली बार साल 2001 में शामिल किया गया. Flight Safety Foundation के मुताबिक करीब ढाई दशक में पिछले वर्ष 12 मार्च को पहली बार एक तेजस क्रैश हुआ. इस हादसे में पायलट को खरोंच तक नहीं आई. वहीं, चीन का JF-17 पहली बार 2003 में चीनी वायुसेना को मिला. अब तक दर्जनों बार क्रैश हो चुका है. इसके अलावा भारत-पाकिस्तान के बीच 7 से 10 मई के दौरान हुए संघर्ष के दौरान भी पाकिस्तान की तरफ से इस्तेमाल किए गए दो JF-17 को भारत ने मार गिराया, जबकि तेजस को अब तक किसी कॉम्बैट सिचुएशन में मारा नहीं गया है. वहीं, पाकिस्तानी एयरफोर्स में JF-17 को 2007 में शामिल किया गया, जिसके बाद इसने कई दुर्घटनाएं देखी हैं. गाइड वैन, एग्जॉस्ट नोजल और फ्लेम स्टेबलाइजर्स में दरारों के कारण इन विमानों को कई बार खड़ा कर दिया गया.
भरोसे के खेल में आगे
JF-17 को पाकिस्तान और चीन ने मिलकर बनाया है. हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि चीन खुद अपने इस जेट पर भरोसा नहीं करता है और इसे इस्तेमाल नहीं करता है. वहीं, तेजस को लेकर भारत पूरी तरह कॉन्फिडेंट है और आने वाले दिनों में तेजस भारत की एयर फोर्स के फ्लीट में सबसे बड़ा हिस्सेदार होगा. वहीं, अमेरिकी भी अपने फ्लीट से F-16 को विदा कर रहा है. उसकी जगह F-35 ले रहा है. इसके अलावा अमेरिका के पास F-22 रैप्टर का फ्लीट है.
तेजस की हाजिरी 75 फीसदी
सर्विसेबिलिटी के लिहाज से देखा जाए, तो तेजस चीन-पाकिस्तान के JF-17 से बहुत आगे है. फिलहाल, भारतीय वायुसेना के पास 100 तेजस का फ्लीट है, जिसमें से 75 फीसदी जेट हमेशा उड़ने के लिए तैयार रहते हैं. जबकि, JF-17 की हालत खराब है. पाकिस्तान के पास 100 JF-17 हैं, जिनमें से 40 से ज्यादा जेट अनसर्विसेबल कंडिशन में हैं. पाकिस्तान की तरह ही म्यांमार को भी अपने तमाम JF-17 को खड़ा करना पड़ा है. सर्विसेबिलिटी के लिहजा से अमेरिकी F-16 एक भरोसेमंद जेट रहा है. 1976 से अब तक कुल 4,600 F-16 बनाए गए हैं, जिनमें से फिलहाल 2,084 एक्टिव हैं.
एवियोनिक्स में कौन अव्वल
चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड का तेजस एवियोनिक्स के मामले में सबसे आगे है. जहां, JF-17 में चीन का बनाया KLJ-7 Al रडार इस्तेमाल किया जाता है, तो अक्सर एक्युरेसी और डिटेक्शन में फेल होता है. वहीं, Tejas MK1A में स्वदेशी AESA यानी एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकी स्कैन्ड ऐरे रडार का इस्तेमाल किया गया है, तो एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक वायरफेयर और डिजिटल फ्लाई-बाई-वायर सिस्टम से लैस है. इस लिहाज से यह चौथी पीढ़ी का सबसे एडवांस्ड जेट है. ये क्षमता इसे बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल से बचने और किसी एयरबॉर्न खतरे के इंटरसेप्शन में आगे रखती है.
TRS का किंग है तेजस
TRS यानी टर्न-आरउंड सर्विसिंग एक अहम फैक्टर होता है, जिससे किसी फाइटर जेट की युद्ध के मैदान में असल क्षमता दिखती है. TRS का आसान भाषा में मतलब होता है एयरक्राफ्ट के लैन्ड होने के बाद उसे फिर से एयरबॉर्न करने में लगने वाला समय. इस दौरान फ्यूल और वैपन रिफिल में जो वक्त लगता है, उसे ध्यान में रखा जाता है. तेजस के मामले में यह 30 मिनट से भी कम है, जो अपने कैटेगरी में सबसे कम है. यानी एक बार हमला करने के बाद तेजस फिर से हमले के लिए सबसे कम समय में तैयार हो जाता है.
सबसे किफायती कौनसा जेट
Tejas MK1A, JF1-17 और F-16 में भारत का तेजस सबसे किफायती प्लेन है. तेजस की एक यूनिट की औसतन कॉस्ट 3 से 3.7 करोड़ डॉलर के बीच में है, जबकि, JF-17 की कीमत 5.5 करोड़ डॉलर है. वहीं, अमेरिकी F-16 की कीमत 7 करोड़ डॉलर तक है. इस तरह भारत का तेजस न केवल जंग के मैदान में दमदार है, बल्कि किफायती भी है.
तेजस खरीदने को कई देश कतार में
F-16 फिलहाल दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले फाइटर जेट्स में शामिल है. वहीं, JF-17 फिलहाल एक्सपोर्ट के मामले में भारत के Tejas से आगे है. हालांकि, HAL की सबसे बड़ी ग्राहक भारतीय वायुसेना है. वायुसेना के ऑर्डर पूरे होने के बाद HAL की तरफ से दुनियाभर के करीब एक दर्जन देशों को Tejas एक्सपोर्ट किया जा सकता है. तेजस में दिलचस्पी दिखाने वालों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया के साथ ही मिस्र, अर्जेंटीना, फिलीपींस और नाइजीरिया शामिल हैं.