सोने के दाम पहुंच सकते हैं 1 लाख रुपये, निवेशकों की दिलचस्पी कायम, ज्वेलरी की मांग कमजोर: रिपोर्ट
जुलाई में सोने के दामों को लेकर एक बड़ी भविष्यवाणी सामने आई है. निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों की नजर इस रिपोर्ट पर टिकी है, जो 2025 की दूसरी छमाही में पीली धातु के भावों को लेकर बड़ा संकेत दे रही है. जानिए क्या हो सकता है अगला लेवल...
2025 के दूसरे छमाही में भारत में सोने की कीमतों में फिर से तेजी देखने को मिल सकती है. ICICI बैंक ग्लोबल मार्केट्स की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, सोने की कीमतें 98,500 रुपये प्रति 10 ग्राम से बढ़कर 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकती हैं. यह आंकड़ा निवेशकों और आम लोगों के लिए एक अहम ‘साइकोलॉजिकल लेवल’ माना जा रहा है.
घरेलू बाजार में दिख रही मजबूती
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रुपये में 0.2 फीसदी की गिरावट के बावजूद जून में घरेलू सोने की कीमतों में 0.6% की बढ़त दर्ज की गई. जबकि वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में स्थिरता रही, भारत में सोना अब भी ऊपर की ओर झुकाव दिखा रहा है.
सोने की मौजूदा कीमतें 96,500 रुपये से 98,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच हैं, लेकिन फर्म का मानना है कि दूसरी छमाही में ये रेंज 98,500 से 1,00,000 रुपये तक जा सकती है.
आयात घटा, लेकिन निवेश बना मजबूत
हालांकि ऊंची कीमतों की वजह से सोने के आयात में गिरावट आई है. मई में सोने का आयात 2.5 अरब डॉलर रहा, जो अप्रैल के 3.1 अरब डॉलर से कम है. यह दिखाता है कि जनरल कंज्यूमर मांग में कमी आई है. इसके उलट, निवेश से जुड़ी मांग मजबूत रही है. AMFI के आंकड़ों के मुताबिक, सोने के ETF में 292 करोड़ रुपये का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया, जबकि इससे पहले दो महीनों में लगातार आउटफ्लो हुआ था.
वैश्विक बाजार में क्या है स्थिति?
दुनियाभर में भी निवेशकों की दिलचस्पी बरकरार है. SPDR गोल्ड ETF में होल्डिंग जून में 930 टन से बढ़कर जुलाई में 948 टन हो गई. वहीं, सट्टेबाजों की नेट लॉन्ग पोजिशन में भी 13,000 लॉट का इजाफा हुआ है.
हालांकि, सोने की तेजी पिछले एक महीने से थमी हुई है, जिसका मुख्य कारण है भू-राजनीतिक तनावों में कमी. ईरान और इज़राइल के बीच सीजफायर, और अमेरिका द्वारा कई देशों जैसे UK, वियतनाम, भारत, जापान और EU के साथ ट्रेड डील्स पर बनी सहमति ने जोखिम की धारणा को सुधारा है.
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ज्वेलरी की मांग में नरमी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सोने की कीमतों को ऊपर बनाए रखने में मुख्य भूमिका निवेश से जुड़ी मांग की है, जबकि गहनों की मांग में नरमी आई है.
सोने की कीमतें धीरे-धीरे 1 लाख रुपये के स्तर की ओर बढ़ सकती हैं, लेकिन यह तेजी पूरी तरह से ज्वेलरी डिमांड पर नहीं, बल्कि ETF और निवेश आधारित डिमांड पर निर्भर करती है. भू-राजनीतिक शांति और व्यापार सौदों में सुधार इस बढ़त को सीमित कर सकते हैं, मगर निवेशकों की दिलचस्पी अब भी बरकरार है.