
भारत की बड़ी कंपनियों पर कानूनी खर्च का बोझ, FY25 में ₹62,000 करोड़ से अधिक
FY25 में भारत की बड़ी कंपनियां जैसे Reliance, Sun Pharma, Infosys और L\&T अकेले कानूनी मामलों पर ₹62,000 करोड़ से अधिक खर्च कर रही हैं. हर साल कॉर्पोरेट कानूनी बिल बढ़ रहे हैं, और इसके पीछे कई कारण हैं. विदेशी डील्स और निवेश सौदे, लंबे समय तक चलने वाली मुकदमेबाजी और कड़े अनुपालन नियम इस बढ़ोतरी के मुख्य कारण माने जा रहे हैं.
कंपनियों के लिए यह खर्च सिर्फ बैलेंस शीट को प्रभावित नहीं करता, बल्कि शेयरधारकों और आम जनता पर भी असर डाल सकता है. बढ़ते कानूनी खर्च से मुनाफे पर दबाव आता है और कंपनियों को निवेश या विकास योजनाओं में कटौती करनी पड़ सकती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीक और AI का इस्तेमाल इन खर्चों को कम कर सकता है. डिजिटल दस्तावेज प्रबंधन, कानूनी ऑटोमेशन और डेटा एनालिटिक्स से मामलों की तेजी और लागत में कमी आ सकती है. फिर भी, भारत की जटिल कानूनी प्रणाली और लंबित मामलों की संख्या यह तय करेगी कि क्या कंपनियां भविष्य में इस बोझ से उबर पाएंगी.
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