FY26 Q1 में FDI 15 फीसदी बढ़ा, टैरिफ टेंशन के बीच USA सबसे बड़ा निवेशक; 5.61 अरब डॉलर किए इन्वेस्ट

अप्रैल-जून 2025 में भारत में FDI 15% बढ़कर 18.62 बिलियन डॉलर पहुंच गया है. इस दौरान अमेरिका सबसे बड़ा निवेशक बनकर उभरा है, जबकि सिंगापुर और मॉरीशस भी प्रमुख स्रोत हैं. जानें कुल FDI आंकड़े, विशेषज्ञ राय और भविष्य की संभावनाएं.

भारत में FDI में बढ़ोतरी Image Credit: getty images

भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में 15 प्रतिशत बढ़कर 18.62 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. सरकार की तरफ से बुधवार को जारी किए गए डाटा के मुताबिक पिछले वर्ष की समान तिमाही की तुलना में इस वर्ष विदेशी निवेश बढ़ा है. कुल मिलाकर अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में FDI में तेजी भारत की आर्थिक मजबूती और वैश्विक निवेशकों की भरोसेमंद स्थिति को दर्शाती है. अमेरिका और अन्य प्रमुख देशों से आने वाले निवेश ने भारतीय बाजार में नई उम्मीदें और आर्थिक संभावनाओं का संकेत दिया है.

अमेरिका शीर्ष निवेशक बना

अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ विवाद जारी है. लेकिन, इसके बावजूद अमेरिका इस तिमाही में भारत में सबसे बड़ा FDI स्रोत बनकर उभरा है. अमेरिका से निवेश लगभग तीन गुना बढ़कर 5.61 अरब डॉलर हो गया है. यह पिछले साल की इसी अवधि में 1.50 अरब डॉलर था. विशेषज्ञों का मानना है कि यह संकेत है कि अमेरिकी निवेशकों का भारत की विकास कहानी पर भरोसा अभी भी मजबूत है.

इन देशों का अहम योगदान

अमेरिका के बाद सिंगापुर ने 4.59 अरब डॉलर का निवेश किया है. इसके अलावा मॉरीशस से 2.08 अरब डॉलर, साइप्रस से 1.1 अरब डॉलर और UAE से 1 अरब डॉलर का निवेश हुआ. वहीं, कैयमैन द्वीप से 67.6 करोड़ डॉलर, नीदरलैंड से 66.7 करोड़ डॉलर, जापान से 55.1 करोड़ डॉलर और जर्मनी से 19.1 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ है. यह आंकड़े भारत की वैश्विक निवेशकों के बीच बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाते हैं.

कुल FDI में वृद्धि

जब इक्विटी इनफ्लो और रिइन्वेस्टमेंट को जोड़ा जाता है, तो इस तिमाही में कुल FDI 25.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. यह पिछले साल इसी अवधि के 22.5 बिलियन डॉलर की तुलना में स्पष्ट वृद्धि है. विश्लेषकों का कहना है कि यह विकास भारत की निवेशनीय नीतियों और आर्थिक मजबूती का परिणाम है. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी निवेश में इतनी बड़ी वृद्धि यह दर्शाती है कि भारत में टेक्नोलॉजी, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में विदेशी निवेश की संभावनाएं मजबूत हैं. इसके साथ ही, यह संकेत है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत विदेशी पूंजी आकर्षित करने में सफल रहा है.