सरकार का बड़ा फैसला, 14 BIS क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स लिए वापस; केमिकल, प्लास्टिक्स और टेक्सटाइल सेक्टर को बड़ी राहत
भारत सरकार ने केमिकल, प्लास्टिक्स और टेक्सटाइल सेक्टर को राहत देते हुए 14 बी.आई.एस. क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स तुरंत प्रभाव से वापस ले लिए हैं. इस फैसले से कच्चे माल की अवेलिबिलिटी बढ़ेगी, इम्पोर्ट कन्सट्रेन्ट्स कम होंगे और एम.एस.एम.ई. की लागत घटेगी. यह कदम कंप्लायंस बोझ कम कर इंडस्ट्री की ऑपरेशनल एफिशिएंसी और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को मजबूत करेगा.
BIS quality control withdrawal: भारत सरकार ने केमिकल, प्लास्टिक्स और टेक्सटाइल इंडस्ट्री को राहत देते हुए बड़ा कदम उठाया है. केंद्र ने कुल 14 बी.आई.एस. क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स तुरंत प्रभाव से वापस ले लिए हैं. गैजेट पब्लिकेशन की तारीख से यह निर्णय लागू हो जाएगा और इसके लिए किसी भी तरह की ट्रांजिशन डिले नहीं रखी गई है. सरकार का यह फैसला उन प्रमुख उद्योगों पर सीधा प्रभाव डालेगा जो टेरेफ्थैलिक एसिड, एथिलीन ग्लाइकोल, पॉलिएस्टर यार्न्स और फाइबर्स, पॉलीप्रोपाइलीन, पॉलीएथिलीन, पी.वी.सी., ए.बी.एस. और पॉलीकार्बोनेट जैसे महत्वपूर्ण रॉ मैटेरियल पर निर्भर हैं. ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इससे MSME यूनिट्स के लिए कच्चे माल की अवेलिबिलिटी बढ़ेगी, इम्पोर्ट कन्सट्रेन्ट्स कम होंगे और लागत में कमी आएगी.
कच्चे माल की सप्लाई में सुधार
सरकार द्वारा वापस लिए गए 14 क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स उन कच्चे माल से जुड़े हैं जो भारत के प्लास्टिक, टेक्सटाइल और केमिकल इंडस्ट्री की रीढ़ माने जाते हैं. विशेष रूप से टेरेफ्थैलिक एसिड और एथिलीन ग्लाइकोल पॉलिएस्टर उद्योग के सबसे महत्वपूर्ण इंटरमीडिएट हैं, जबकि पॉलीप्रोपाइलीन, पॉलीएथिलीन, पी.वी.सी., ए.बी.एस. और पॉलीकार्बोनेट पैकेजिंग, इंजीनियरिंग प्लास्टिक्स, इंजेक्शन मोल्डिंग और टेक्सटाइल फाइबर सेगमेंट में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होते हैं.
इन ऑर्डर्स के हटने के बाद अब उद्योगों को अधिक सप्लायर विकल्प मिलेंगे, जिसकी वजह से रॉ मैटेरियल अवेलिबिलिटी में सुधार और सप्लाई चेन का दबाव कम होने की उम्मीद है.
MSME की लागत घटेगी, कंप्लायंस भी हुआ आसान
सूत्रों के अनुसार सरकार का उद्देश्य खासतौर पर छोटे और मध्यम उद्योगों की लागत में कमी लाना है. मेंडेटरी बी.आई.एस. सर्टिफिकेशन हटने से इंडस्ट्री को टेस्टिंग डुप्लिकेशन, लंबी अप्रूवल प्रक्रिया और अतिरिक्त डॉक्यूमेंटेशन से राहत मिलेगी.
अब इम्पोर्टर्स और मैन्यूफैक्चरर्स कच्चे माल की सप्लाई तेजी से सुनिश्चित कर सकेंगे, जिससे ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ेगी.
पैकेजिंग, टेक्सटाइल, प्लास्टिक मोल्डिंग और अन्य डाउनस्ट्रीम उद्योग इस फैसले से सबसे अधिक फायदा लेंगे.
कम कंप्लायंस बोझ की वजह से उद्योग अब लागत को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर पाएंगे और अपना उत्पादन अधिक प्रतिस्पर्धी दरों पर जारी रख सकेंगे.