भारत ने रेयर अर्थ मैग्नेट सप्लाई पर चीन से बातचीत तेज की, पाबंदियों के बीच ऑटो सेक्टर की बढ़ रही परेशानियां
भारत और चीन के बीच एक ऐसे कच्चे माल को लेकर बातचीत चल रही है, जिसकी अहमियत आज के तकनीकी युग में किसी सोने से कम नहीं. इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर रक्षा उपकरणों तक इसका इस्तेमाल होता है, और इसकी सप्लाई पर मंडराता खतरा उद्योग जगत को बेचैन कर रहा है.

Rare Earth Supply: भारत ने चीन के साथ रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई को लेकर बातचीत तेज कर दी है. दरअसल, इन मैग्नेट्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर स्मार्टफोन और मिसाइल तकनीक तक में होता है, और चीन ने अप्रैल में इनकी एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगाते हुए खास लाइसेंस अनिवार्य कर दिया था. ऐसे में भारतीय उद्योग, खासकर ऑटोमोबाइल सेक्टर, सप्लाई चेन पर असर को लेकर चिंतित हैं. लेकिन इन कारोबारियों के लिए सरकार जल्द ही कोई राहत की खबर ला सकती है.
वीजा मंजूरी और सप्लाई चेन की कोशिशें
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, हाल ही में चीन के दूतावास ने भारतीय कंपनियों को वीजा जारी किया है ताकि वे वहां जाकर जरूरी प्रक्रिया पूरी कर सकें. अधिकारी ने बताया कि भारतीय कंपनियां और चीनी अधिकारी आपस में ऐसे रास्ते तलाश रहे हैं जिससे सप्लाई चेन बाधित न हो. सरकार भी इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है.
ऑटो सेक्टर की चिंता
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ने केंद्र से मांग की है कि चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट आयात की मंजूरी जल्द दिलाने में मदद की जाए. इन मैग्नेट्स का इस्तेमाल पैसेंजर कारों, इलेक्ट्रिक मोटर्स और ब्रेकिंग सिस्टम में होता है.
कौन-कौन से हैं अहम मैटेरियल
चीन की पाबंदियों का असर सामेरियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डिस्प्रोसियम और ल्यूटेशियम जैसे रेयर अर्थ मेटल्स पर पड़ा है. ये सामग्री न केवल ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स में बल्कि रक्षा उपकरणों में भी अहम भूमिका निभाती है. भारत के लिए इनकी निर्बाध सप्लाई बनाए रखना रणनीतिक और आर्थिक, दोनों दृष्टि से जरूरी है.
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