भारत ने आय समानता में चीन-अमेरिका समेत G20 देशों को छोड़ा पीछे, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट
भारत में इनकम गैप में कमी आई है. दरअसल वर्ल्ड बैंक की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अमेरिका, चीन और सभी G7 और G20 देशों को पीछे छोड़ इनकम इक्वालिटी के मामले में बेहतर परफॉर्मेंस में है. भारत का गिनी इंडेक्स 25.5 है, जबकि अमेरिका का स्कोर 41.8 और चीन का 35.7 है. ऐसे में आइए जानते हैं किन वजहों से भारत को यह मुकाम हासिल हुआ.

India Income Equality: भारत अब सिर्फ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी ही नहीं, बल्कि सबसे ज्यादा इनकम इक्वालिटी वाली अर्थव्यवस्थाओं में भी शामिल हो गया है. दरअसल, वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब ग्लोबल इनकम इक्वालिटी यानी आय समानता में चौथे पायदान पर पहुंच गया है. इससे भी बड़ी बात यह है कि भारत ने अमेरिका, चीन और सभी G7 और G20 देशों को पीछे छोड़ दिया है. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का गिनी इंडेक्स अब 25.5 है. इस स्कोर के साथ भारत दुनिया का चौथा सबसे समान देश यानी लोगों के बीच कमाई का अंतर बहुत कम हो गया है. भारत से आगे केवल स्लोवाक रिपब्लिक, स्लोवेनिया और बेलारूस हैं.
क्या है गिनी इंडेक्स?
गिनी इंडेक्स (Gini Index) एक अंतरराष्ट्रीय मानक है, जिससे यह मापा जाता है कि किसी देश में इनकम या वेल्थ कितनी समान रूप से वहां के लोगों में बंटी है. इसका स्कोर 0 से 100 के बीच होता है. 0 का मतलब है पूरी समानता, जबकि 100 का मतलब है पूरी असमानता. 2011 में भारत का गिनी स्कोर 28.8 था. यानी पिछले एक दशक में इसमें लगातार सुधार हुआ है.
किन देशों को भारत ने छोड़ा पीछे
गिनी इंडेक्स में अमेरिका का स्कोर 41.8, चीन का 35.7 है. वहीं भारत का 25.5 है. यानी कि भारत में इनकम गैप अमेरिका और चीन की तुलना में कम है. खास बात ये भी है कि सभी G7 और G20 में शामिल देशों से भी भारत की स्थिति बेहतर है.
आखिर ऐसा कैसे हुआ?
रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी सबसे बड़ी वजह रही भारत की सोशल वेलफेयर स्कीम, डिजिटल तकनीक और सीधी आर्थिक मदद की रणनीति. वहीं, भारत सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि भारत की तरक्की अब सिर्फ कुछ लोगों तक सीमित नहीं, बल्कि सभी वर्गों तक पहुंच रही है. सरकार ने गरीबी घटाने, वित्तीय पहुंच बढ़ाने और ज़रूरतमंदों को सीधे मदद पहुंचाने पर फोकस किया है.
171 मिलियन लोग निकले गरीबी से बाहर
वर्ल्ड बैंक की Spring 2025 Poverty and Equity Brief के अनुसार, 2011 से 2023 के बीच 171 मिलियन भारतीयों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला गया. भारत में गरीबी दर 16.2 फीसदी से घटकर 2.3 फीसदी हो गई. यह प्रगति अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा (2.15 डॉलर/दिन) के आधार पर दर्ज की गई है.
वे सरकारी योजनाएं जो बनीं बदलाव की वजह
इस बदलाव वाली प्रमुख योजनाओं में,
प्रधानमंत्री जन धन योजना: इस योजना के तहत वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए 55 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए.
आधार: भारत की डिजिटल आईडी अब 142 करोड़ लोगों को कवर करती है, जिससे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से सीधे कल्याण पहुंचाने में मदद मिलती है, जिससे मार्च 2023 तक 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई.
आयुष्मान भारत: इस योजना के तहत परिवारों को 5 लाख रुपये का मुफ्त स्वास्थ्य कवरेज दिया गया है; 41 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए.
स्टैंड-अप इंडिया: अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों को ऋण और सहायता देता है.
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना: प्रशिक्षण और ऋण के माध्यम से कारीगरों को सहायता प्रदान करती है.
पीएमजीकेएवाई (निःशुल्क खाद्य योजना): 80 करोड़ से अधिक नागरिकों को खाद्य सुरक्षा देती है.
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