India-USA ट्रेड डील की उम्मीद बढ़ी, टैरिफ तनाव के बीच दोनों पक्षों ने समझौते पर बातचीत की तेज
भारत और अमेरिका टैरिफ से उपजे तनाव के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. केंद्रीय उद्योग मंत्री पीयूष गोयल हाल में ही अमेरिकी यात्रा से लौटे हैं. उन्होंने इस बात के संकेत दिए हैं कि दोनों देश आपसी फायदे वाला द्विपक्षीय समझौता करने को तैयार हैं.

भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ महीनों से टैरिफ को लेकर तनाव बढ़ा हुआ है. ऐसे माहौल में दोनों देशों ने मिलकर इस गतिरोध को खत्म करने के लिए बातचीत तेज की है. दोनों पक्षों ने जल्द से जल्द एक संतुलित और परस्पर लाभकारी द्विपक्षीय ट्रेड एग्रीमेंट (BTA) को अंतिम रूप देने की दिशा में कदम बढ़ाने पर सहमति जताई है. इस संबंध में केंद्रीय उद्योग मंत्रालय ने एक वक्तव्य जारी किया है. इस वक्तव्य में बताया गया है कि अमेरिका गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने समझौते के विभिन्न पहलुओं पर अमरीकी सरकार के साथ सकारात्मक बैठकें कीं. दोनों पक्षों ने समझौते की संभावित रूपरेखा पर विचारों का आदान-प्रदान किया और परस्पर लाभकारी व्यापार समझौते के शीघ्र होने के उद्देश्य से वार्ताओं को जारी रखने पर सहमित व्यक्त की है.
पीयूष गोयल की अमेरिकी यात्रा
22 से 24 सितंबर तक वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल अमेरिकी दौरे पर रहे. इस दौरान उन्होंने यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव जैमिसन ग्रीर और भारत में नियुक्त होने वाले अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर से मुलाकात की. बातचीत में द्विपक्षीय व्यापार समझौते की संभावनाओं और आगे के रोडमैप पर चर्चा हुई.
अमेरिकी निवेशकों का भरोसा
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी बिजनेस लीडर्स और निवेशकों से भी मुलाकात की थी. इस दौरान निवेशकों ने भारत की आर्थिक वृद्धि पर भरोसा जताया और भारत में अपने कारोबार को और विस्तार देने की इच्छा जाहिर की थी. अधिकारियों का मानना है कि अमेरिका में भारत को एक मजबूत और भरोसेमंद आर्थिक भागीदार के रूप में देखा जा रहा है.
टैरिफ विवाद की जड़
टैरिफ विवाद की शुरुआत जुलाई 2025 में हुई, जब अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाया. कुछ ही दिनों बाद यह बढ़ाकर अतिरिक्त 25% कर दिया गया और कुल टैरिफ 50% हो गया. अमेरिका का तर्क था कि भारत रूस से तेल आयात जारी रखे हुए है. यह ड्यूटी 27 अगस्त 2025 से लागू हो गई. इस कदम से भारतीय एक्सपोर्टर्स को बड़ा झटका लगा है.
H-1B वीजा फीस का मुद्दा
टैरिफ विवाद के साथ ही अमेरिका ने भारतीय आईटी सेक्टर पर भी असर डालने वाला कदम उठाया है. हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने घोषणा की कि H1-B वीजा की नई पिटीशन पर 100,000 डॉलर की फीस लगेगी. चूंकि H1-B वीजा धारकों में 72% भारतीय होते हैं, इसलिए इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा.
फार्मा सेक्टर पर टैरिफ
अमेरिका ने 1 अक्टूबर, 2025 से ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने का फैसला किया है. यह भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि FY25 (अप्रैल–दिसंबर) में भारत ने ₹1.87 लाख करोड़ की दवाइयां एक्सपोर्ट कीं थीं. इसके अलावा 2024-25 में कुल 30 अरब डॉलर से ज्यादा का फार्मा निर्यात हुआ. भारत अमेरिका के बाहर सबसे ज्यादा USFDA अप्रूव्ड फार्मा प्लांट्स वाला देश है. फार्मा एक्सपोर्ट में फॉर्म्यूलेशन और बायोलॉजिक्स का हिस्सा 79% है.
कहां अटकी है बात?
अमेरिका चाहता है कि भारत कृषि और डेयरी सेक्टर को विदेशी कंपनियों के लिए खोल दे. लेकिन भारत ने साफ कहा है कि ये सेक्टर बेहद संवेदनशील हैं और करोड़ों किसानों व पशुपालकों की आजीविका से जुड़े हैं. इसलिए इन सेक्टरों को किसी भी समझौते का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता.
क्या होगा आगे का रास्ता?
भारत और अमेरिका ने मार्च 2025 में BTA वार्ता की शुरुआत की थी. लक्ष्य है कि अक्टूबर-नवंबर 2025 तक इस समझौते का पहला चरण पूरा कर लिया जाए. मौजूदा तनाव के बावजूद दोनों देशों का यह ऐलान सकारात्मक संकेत देता है कि जल्द ही एक ट्रेड एग्रीमेंट संभव हो सकता है.
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