15 फीसदी रह जाएगा अमेरिकी टैरिफ! भारत-अमेरिका के बीच बड़ी ट्रेड डील की तैयारी; PM मोदी और ट्रंप लगाएंगे मुहर
India-US Trade Agreement: भारत और अमेरिका लंबे समय से लंबित व्यापार समझौते के करीब पहुंच रहे हैं, जिसके तहत भारतीय निर्यात पर मौजूदा टैरिफ को 50 फीसदी से घटाकर 15-16 फीसदी किया जा सकता है. समझौते की व्यापक रूपरेखा तैयार हो चुकी है, लेकिन कृषि और ऊर्जा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में समझौते की घोषणा से पहले राजनीतिक मंजूरी की आवश्यकता है.
India-US Trade Agreement: भारत और अमेरिका के रिश्तों में टैरिफ के चलते आई कड़वाहट अब कम होने के करीब पहुंच रही है, क्योंकि दोनों देश एक ट्रेड एग्रीमेंट पर सहमत होने की दहलीज पर पहुंच गए हैं. दरअसल, भारत और अमेरिका लंबे समय से लंबित व्यापार समझौते के करीब पहुंच रहे हैं, जिसके तहत भारतीय निर्यात पर मौजूदा टैरिफ को 50 फीसदी से घटाकर 15-16 फीसदी किया जा सकता है. एनर्जी और कृषि वार्ता के मेज पर प्रमुख मुद्दों के रूप में उभरने के साथ, भारत रूसी तेल के अपने आयात को धीरे-धीरे कम करने पर सहमत हो सकता है.
रूस से कम हो सकता है तेल का आयात
मिंट ने इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के हवाले लिखा कि भारत समझौते के तहत रूस से क्रू़ड के आयात को कम कर सकता है. इस खरीद के कारण भारतीय निर्यात पर 25 फीसदी का दंडात्मक शुल्क लगाया गया था, जो अप्रैल में घोषित 25 फीसदी पारस्परिक शुल्कों के अतिरिक्त है. मौजूदा समय में भारत के कच्चे तेल के आयात में रूस का योगदान लगभग 34 फीसदी है. देश में मौजूदा तेल और गैस की जरूरतों का लगभग 10 फीसदी (वैल्यू के हिसाब से) अमेरिका से लिया जाता है.
अमेरिकी मक्का और सोयामिल को मिल सकती है जगह
भारत अपने बाजारों में और अधिक नॉन-जेनेटिकली रूप से मोडिफाइड (GM) अमेरिकी मक्का और सोयामिल को भी जगह दे सकता है. इसके अलावा, वह समझौते में समय के साथ टैरिफ और बाजार पहुंच पर दोबारा विचार करने के लिए एक मैकेनिज्म पर जोर दे रहा है.
ट्रंप टैरिफ और भारत
इसमें एक प्रमुख फैक्टर व्यापार, टैरिफ और अमेरिकी मक्के पर चीन की बढ़ती हठधर्मिता है. चीन ने अमेरिकी मक्के के आयात को 2022 के 5.2 अरब डॉलर से घटाकर 2024 में केवल 33.1 करोड़ डॉलर कर दिया है. कुल अमेरिकी मक्के का निर्यात 2022 के 18.57 अरब डॉलर से घटकर 2024 में 13.7 अरब डॉलर रह जाने के साथ, वाशिंगटन नए खरीदारों की तलाश में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
सूत्रों के अनुसार, भारत अमेरिका से नॉन-जीएम मक्का आयात का कोटा बढ़ाने पर विचार कर रहा है. हालांकि, इन आयातों पर शुल्क 15 फीसदी पर बरकरार रहेगा. अमेरिकी मक्के के आयात का वर्तमान कोटा 0.5 मिलियन टन वार्षिक है. पोल्ट्री फीड, डेयरी इनपुट और इथेनॉल उद्योगों की बढ़ती घरेलू मांग के मद्देनजर भारत, अमेरिकी मक्के के लिए अधिक बाजार पहुंच की अनुमति देने के अमेरिकी अनुरोध पर विचार कर सकता है.
अमेरिकी टीम की प्रमुख मांग
मिंट ने सूत्र के हवाले से लिखा, ‘मानव और पशुधन दोनों के उपभोग के लिए नॉन-जीएम सोयामील के आयात की अनुमति देने पर भी बातचीत आगे बढ़ रही है. हालांकि, हाई क्वालिटी वाले पनीर सहित डेयरी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ में कटौती को लेकर अभी भी कोई अंतिम स्पष्टता नहीं है, जबकि यह अमेरिकी टीम की एक प्रमुख मांग है.’ भारत चाहता है कि स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ अमेरिका के साथ व्यापार समझौते का हिस्सा हों.
कब हो सकता है एग्रीमेंट का ऐलान
सूत्रों ने बताया कि इस महीने के अंत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय ट्रेड एग्रीमेंट (BTA) को अंतिम रूप दिए जाने की घोषणा होने की संभावना है. हालांकि, दोनों में से किसी ने भी शिखर सम्मेलन में अपनी भागीदारी की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है.
मीडिया द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा, ‘व्यापार वार्ता से संबंधित सभी प्रश्नों के लिए दूतावास यूएसटीआर के अधीन है.’
तैयार हो चुकी है समझौते की रूपरेखा
सूत्रों के अनुसार, समझौते की व्यापक रूपरेखा तैयार हो चुकी है, लेकिन कृषि और ऊर्जा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में समझौते की घोषणा से पहले राजनीतिक मंजूरी की आवश्यकता है. भारत की ओर से, इस समझौते पर वाणिज्य मंत्रालय पीयूष गोयल विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ऑफिस के साथ बातचीत चल रही है.
हालांकि दोनों पक्ष पहले ही घोषणा कर चुके हैं और डेडलाइन चूक गए हैं. भारतीय पक्ष नवंबर 2025 तक समझौते को पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है.
रूसी तेल की खरीद को कम करने पर विचार
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय पक्ष इथेनॉल आयात की अनुमति देने और रूसी तेल की खरीद को धीरे-धीरे कम करने पर विचार कर रहा है, जिसके बदले में अमेरिका एनर्जी व्यापार में रियायतें दे सकता है. इस मामले में भारतीय पक्ष शायद कोई औपचारिक घोषणा न करे. इसके बजाय, सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियों को अनौपचारिक रूप से अमेरिका की ओर कच्चे तेल की आपूर्ति में विविधता लाने की सलाह दी जा सकती है.
टॉप भारतीय अधिकारियों ने मास्को का दौरा किया है और अपने रूसी समकक्षों को बताया है कि भारत रूस से कच्चे तेल का आयात कम करेगा. हालांकि, व्हाइट हाउस अभी तक रूस द्वारा दी जा रही छूट के बराबर छूट देने पर सहमत नहीं हुआ है. इससे पहले, अमेरिकी प्रशासन के अधिकारियों ने स्पष्ट किया था कि राष्ट्रपति ट्रंप ने व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए रूसी तेल आयात को रोकना एक पूर्व शर्त रखी है.
कीमतों के अंतर में तेजी से आई कमी
8 अक्टूबर की ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में रूसी कच्चे तेल पर कम होती छूट की ओर इशारा किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया, ‘रूसी और बेंचमार्क कच्चे तेल के बीच कीमतों का अंतर तेजी से कम हुआ है. 2023 के 23 डॉलर प्रति बैरल से अक्टूबर के मध्य तक सिर्फ 2-2.50 डॉलर प्रति बैरल रह गया है. इससे मिडिल ईस्ट और अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतें अधिक प्रतिस्पर्धी हो गई हैं.’
15 अक्टूबर को वाणिज्य सचिव अग्रवाल ने कहा था कि अगर घरेलू रिफाइनरियों के लिए कीमतें व्यवहार्य रहती हैं, तो भारत अमेरिका से अपने कच्चे तेल और गैस के आयात को बढ़ाने के लिए तैयार है.
कितना तेल आयात करता है भारत?
भारत हर साल औसतन अमेरिका से 12-13 अरब डॉलर की वैल्यू का कच्चा तेल और गैस आयात करता है. अग्रवाल ने कहा था कि रिफाइनरी कॉन्फिगरेशन में किसी भी बदलाव की आवश्यकता के बिना अतिरिक्त 12-13 अरब डॉलर की खरीद की गुंजाइश है. उन्होंने आगे कहा कि भारत कॉस्ट डायनामिक्स को ध्यान में रखते हुए और अधिक ऊर्जा उत्पाद खरीदने पर विचार करेगा.
पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के अनुसार, कुल मिलाकर भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 25) में 137 अरब डॉलर मूल्य का कच्चा तेल आयात किया, जबकि वित्त वर्ष 24 में यह 133.4 अरब डॉलर था.
भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में 71.41 अरब डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही के 63.89 अरब डॉलर से 11.8% अधिक है. अमेरिका को निर्यात 13.4% बढ़ा, जो वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही के 40.42 अरब डॉलर से बढ़कर 45.82 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 9% बढ़कर 23.47 अरब डॉलर से 25.59 अरब डॉलर हो गया.