GDP: हर ग्रोथ की कहानी हमसे ही… 2025 में चुनौतियों के पार उतरे हम… अब 2026 की बारी
आसान जीवन और आसान बिजनेस के थीम को आगे बढ़ाते हुए, बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के अगले बजट में कैपिटल खर्च और प्राइवेट फंडिंग को बढ़ावा देने के लिए नए उपायों की घोषणा होने की उम्मीद है. भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.
दनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, भारत अच्छी ग्रोथ, कम महंगाई और मजबूत बैंकिंग परफॉर्मेंस के साथ-साथ सुधारों की पहल के दम पर ‘गोल्डीलॉक्स’ दौर बनाए रखने के लिए तैयार है, जिससे 2025 के दौरान देखी गई आर्थिक गति बनी रहेगी. आसान जीवन और आसान बिजनेस के थीम को आगे बढ़ाते हुए, बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के अगले बजट में कैपिटल खर्च और प्राइवेट फंडिंग को बढ़ावा देने के लिए नए उपायों की घोषणा होने की उम्मीद है, जिससे टैरिफ और जियो-पॉलिटिकल अनिश्चितताओं के बीच देश एक आकर्षक निवेश डेस्टिनेशन बन सके.
तेज हुई जीडीपी ग्रोथ
असली GDP ग्रोथ लगातार तिमाहियों में तेज हुई. 2025-26 की दूसरी तिमाही में 8.2 फीसदी तक पहुंच गई, जबकि साल के आखिर में रिटेल महंगाई रिजर्व बैंक की 2 फीसदी की निचली टॉलरेंस बैंड से नीचे चली गई. एक सरकारी नोट में कहा गया है कि 4.18 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की GDP के साथ, भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अगले 2.5 से 3 साल में जर्मनी को तीसरे सबसे बड़े रैंक से हटाने के लिए तैयार है. 2030 तक अनुमानित GDP 7.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होगी.
इसमें आगे कहा गया है, ‘मौजूदा मैक्रोइकोनॉमिक स्थिति ऊंची ग्रोथ और कम महंगाई का एक दुर्लभ ‘गोल्डीलॉक्स पीरियड’ पेश करती है.’
बेस ईयर में होगा बदलाव
सरकार नेशनल अकाउंट्स के लिए बेस ईयर को 2011-12 से बदलकर 2022-23 करने पर भी काम कर रही है, जिससे इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) द्वारा ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) डेटा की गणना के तरीके के बारे में उठाई गई चिंताओं को प्रभावी ढंग से दूर किया जा सके.
घरेलू करेंसी के मामले में इक्विटी मार्केट से विदेशी पोर्टफोलियो आउटफ्लो के कारण रुपये पर दबाव पड़ा. फिर भी नवंबर में रुपये की अस्थिरता पिछले महीने की तुलना में कम हुई.
सर्विसेज में तेजी, मैन्युफैक्चरिंग में सुस्ती
रिजर्व बैंक के अर्थव्यवस्था की स्थिति के आकलन के अनुसार, 2025 में चुनौतीपूर्ण और अनिश्चित वैश्विक माहौल के बीच मजबूत लचीलापन दिखा और पूरे साल ग्रोथ में तेजी आई. सप्लाई साइड पर, सर्विसेज में लगातार बढ़ोतरी जारी रही, जबकि मैन्युफैक्चरिंग में पहले की सुस्ती के बाद सुधार देखने को मिला, हालांकि साल के आखिरी हिस्से में इसमें थोड़ी नरमी के संकेत मिले.
अच्छी स्थिति में कृषि
कृषि की स्थिति अच्छी बनी रही. खरीफ की पैदावार ज्यादा हुई और खाद्यान्न का स्टॉक भी आरामदायक रहा, जिससे कीमतों पर दबाव कम करने में मदद मिली. प्रमुख सेक्टरों में व्यापक तेजी को देखते हुए, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने FY 2025-26 के लिए अपने GDP ग्रोथ के अनुमान को 6.8 फीसदी से बढ़ाकर 7.3 फीसदी कर दिया है.
वर्ल्ड बैंक, IMF, मूडीज, OECD, फिच और S&P जैसी इंटरनेशनल एजेंसियों ने भी इस उम्मीद को दोहराया है.
बाहरी चुनौतियों का खतरा
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ग्रोथ थोड़ी धीमी हो सकती है, लेकिन मजबूत घरेलू बुनियाद, आसान फाइनेंशियल स्थितियों और चल रहे सुधारों की वजह से यह मजबूत बनी रहेगी. उन्होंने यह भी कहा कि ग्लोबल ट्रेड में अनिश्चितताओं और एक्सपोर्ट पर उनके असर से बाहरी चुनौतियां आ सकती हैं. हालांकि, महत्वाकांक्षी भारत-अमेरिका ट्रेड डील के पूरा होने से एक्सपोर्ट और इकोनॉमी को और बढ़ावा मिल सकता है.
बजट में हो सकती है सुधारों की घोषणा
ऐसी उम्मीदें हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण फरवरी में यूनियन बजट में सुधारों को और गहरा करने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त उपायों की घोषणा करेंगी. पिछली बार उन्होंने घरेलू और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के उपायों के साथ-साथ टैक्सपेयर्स को काफी राहत दी थी.
निवेश का ऐलान
कुछ बड़ी ग्लोबल कंपनियां जिन्होंने बड़े इन्वेस्टमेंट की घोषणा की है, उनमें Microsoft (2030 तक USD 17.5 अरब), Amazon (अगले पांच साल में USD 35 अरब), और Google (अगले पांच साल में USD 15 अरब) शामिल हैं.
इसके अलावा, iPhone बनाने वाली कंपनी Apple, साउथ कोरिया की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी Samsung, और ArcelorMittal Nippon Steel India ने बड़े विस्तार योजनाओं की घोषणा की है. विशेषज्ञों ने कहा कि भारत ने जो फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन किए हैं, उनसे भी अर्थव्यवस्था को बढ़ने में मदद मिलने की उम्मीद है.
भारत-अमेरिका ट्रेड डील
प्रस्तावित भारत-अमेरिका ट्रेड डील, जिसके जल्द ही पूरा होने की संभावना है, एक्सपोर्ट और इंडस्ट्री, जिसमें MSMEs भी शामिल हैं, के लिए एक उत्प्रेरक का काम करेगी. 2025 के बाद के महीनों में सरकार ने GST दरें कम कीं और नए लेबर कोड लागू किए.
बाजारों में डायवर्सिफिकेशन
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, ‘2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने जबरदस्त मजबूती दिखाई, भले ही साल के ज्यादातर हिस्से में टैरिफ का साया बना रहा. उन्होंने कहा, ‘यह बहुत मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था के कारण हुआ. दिलचस्प बात यह है कि एक्सपोर्ट भी ठीक रहा है, जिससे पता चलता है कि एक्सपोर्टर्स ने अमेरिकी ग्राहकों के साथ कुछ हद तक बातचीत की है और साथ ही बाजारों में भी डायवर्सिफिकेशन लाया है.’
सरकार अपने कैपेक्स टारगेट को बनाए रखकर इसमें योगदान देगी, जिससे कुल इन्वेस्टमेंट बढ़ेगा. इस साल कम अनिश्चितता होनी चाहिए, क्योंकि टैरिफ का मुद्दा एक डील से सुलझ जाएगा और हम एक स्थिर रुपये की उम्मीद कर सकते हैं.
आउटलुक पर ICRA की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा, ‘अगले कई क्वार्टर में ग्रोथ 6.5-7 फीसदी के आसपास अच्छी रहने की उम्मीद है, जिसे इनकम टैक्स और GST में कटौती, साथ ही पॉलिसी रेट में 125 बीपीएस की कटौती के रूप में पॉलिसी सपोर्ट से मदद मिलेगी.‘
जबकि CPI महंगाई का ट्रेंड भी ऊपर की ओर जाने की उम्मीद है, लेकिन इसके आरामदायक लेवल पर बने रहने की संभावना है, जो FY2027 में औसतन 4 फीसदी से थोड़ा ज्यादा रहेगा. नायर ने कहा, ‘ऐसे ग्रोथ-महंगाई के नतीजे काफी अच्छे होंगे, भले ही वे हाल के परफॉर्मेंस से कम अच्छे हों, और उन्होंने आगे कहा कि निकट और मध्यम अवधि में ग्रोथ के नतीजों को सपोर्ट करने के लिए फॉर्मल सेक्टर में लगातार रोजगार पैदा होना बहुत जरूरी होगा.
उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन
क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिस्ट धर्मकीर्ति जोशी का भी यही मानना था कि 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया, ग्रोथ उम्मीद से ज्यादा रही और महंगाई भी अनुमान से कम रही.
उन्होंने कहा, ‘हालांकि भारत की बाहरी कमजोरी तुलनात्मक रूप से कम है, लेकिन उसे अमेरिका के कुछ सबसे ज्यादा टैरिफ का सामना करना पड़ा, जिससे विदेशी निवेशकों का भरोसा कम हुआ. नतीजतन, कैपिटल इनफ्लो को लेकर चुनौतियां सामने आईं और करेंसी कमजोर हुई.’
जोशी ने आगे कहा, ‘आगे देखें तो, हम फिस्कल 2027 में GDP ग्रोथ 6.7 फीसदी और महंगाई (जो ज्यादातर बेस इफेक्ट की वजह से है) 5 फीसदी रहने का अनुमान लगा रहे हैं. हमारा मानना है कि कमजोर कैपिटल इनफ्लो और करेंसी की तेज गिरावट कुछ समय के लिए होने वाली घटनाएं हैं.’
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