आठवां वेतन आयोग लागू करने से पहले रेलवे का कटौती प्लान, 30000 करोड़ का प्रेशर, जानें कहां-कहां घटेगा खर्च

रेलवे के सामने आने वाले सालों में एक बड़ा वित्तीय इम्तिहान है. वेतन, पेंशन और खर्च के बीच संतुलन बनाए रखना आसान नहीं होगा. लेकिन पर्दे के पीछे कुछ ऐसे फैसले लिए जा चुके हैं, जो आगे की तस्वीर को पूरी तरह बदल सकते हैं.

8th Pay Commission Railway Image Credit: Money9 Live

8th Pay Commission Railway: भारतीय रेलवे आने वाले दो साल को लेकर एक सधी हुई रणनीति पर काम कर रहा है. वजह साफ है, आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों से कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर बड़ा बदलाव. ऐसे में रेलवे पहले से ही अपने खर्चों पर लगाम कसने, ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ाने और अतिरिक्त आमदनी के रास्ते मजबूत करने में जुट गया है. रेलवे का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि वेतन बढ़ोतरी का असर उसकी सेहत पर भारी न पड़े और वित्तीय संतुलन बना रहे.

आठवां वेतन आयोग और बढ़ता खर्च

आठवां वेतन आयोग जनवरी 2024 में गठित हुआ था और उसे 18 महीनों के भीतर अपनी सिफारिशें देनी हैं. मौजूदा सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल जनवरी 2026 में समाप्त हो रहा है. पिछली बार सातवें वेतन आयोग के लागू होने से रेलवे कर्मचारियों के वेतन में 14 से 26 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई थी. उस समय रेलवे पर वेतन और पेंशन का कुल अतिरिक्त बोझ करीब 22,000 करोड़ रुपये का पड़ा था. अब अनुमान है कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर रेलवे का सालाना खर्च करीब 30,000 करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है.

खर्च घटाने पर जोर

अब ऐसे में टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपने रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि इस संभावित दबाव को देखते हुए रेलवे ने मेंटेनेंस, प्रोक्योरमेंट और एनर्जी सेक्टर में खर्च घटाने की योजनाएं तेज कर दी हैं. अधिकारियों का कहना है कि अगले दो साल में खर्च नियंत्रण पर खास फोकस रहेगा, ताकि 2027-28 में वेतन बढ़ोतरी का झटका आसानी से संभाला जा सके.

रेलवे का मानना है कि नेटवर्क के पूर्ण विद्युतीकरण (Complete electrification) के बाद हर साल करीब 5,000 करोड़ रुपये की ऊर्जा बचत संभव होगी, जिससे बड़ी राहत मिलेगी.

वित्त वर्ष 2024-25 में रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो 98.90 प्रतिशत रहा, यानी कमाई के मुकाबले खर्च काफी ज्यादा रहा. इस दौरान रेलवे की नेट रेवेन्यू 1,341.31 करोड़ रुपये रही.वहीं 2025-26 के लिए रेलवे ने ऑपरेटिंग रेशियो को घटाकर 98.43 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है और नेट रेवेन्यू 3,041.31 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद जताई है.

कम उधारी, ज्यादा आंतरिक संसाधन

रेलवे अधिकारियों ने TOI के हवाले से बताया है कि फिलहाल नई शॉर्ट-टर्म उधारी लेने की कोई योजना नहीं है. हाल के वर्षों में पूंजीगत खर्च को ग्रॉस बजटरी सपोर्ट से पूरा किया गया है, जिससे 2027-28 के बाद IRFC को सालाना भुगतान घटने की उम्मीद है.

इसके अलावा, जब ऊंचे वेतन का बोझ आएगा, तब तक रेलवे की फ्रेट कमाई में सालाना करीब 15,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होने का अनुमान है.

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वेतन, फिटमेंट फैक्टर और आगे की राह

सातवें वेतन आयोग में 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू हुआ था, जिससे न्यूनतम बेसिक सैलरी 7,000 रुपये से बढ़कर 17,990 रुपये हो गई थी. अब ट्रेड यूनियन 2.86 फिटमेंट फैक्टर की मांग कर रही हैं, जिससे रेलवे का वेतन बिल 22 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ सकता है. रेलवे ने 2025-26 के लिए स्टाफ कॉस्ट 1.28 लाख करोड़ रुपये तय किया है, जो पिछले साल 1.17 लाख करोड़ रुपये था. पेंशन फंड के लिए भी 68,602 करोड़ रुपये रखे गए हैं.

रेलवे अधिकारियों का मानना है कि आंतरिक संसाधन, बचत और बढ़ती कमाई के दम पर रेलवे इस अतिरिक्त बोझ को संभाल लेगा और उसकी वित्तीय स्थिति मजबूत बनी रहेगी.