पैरासिटामोल से लेकर खांसी की दवा तक, CDSCO की रिपोर्ट में 112 दवाओं में पाया गया मानक का उल्लंघन
भारत में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर गंभीर चिंता सामने आई है. हालिया रिपोर्ट में कई आम इस्तेमाल की दवाइयां मानक पर खरी नहीं उतरी हैं. यह मामले स्वास्थ्य सुरक्षा और बच्चों की जान से जुड़ा है. सरकार और WHO दोनों ने इसे लेकर सख्त चेतावनी दी है.
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की सितंबर मासिक रिपोर्ट में सामने आया कि भारत में कुल 112 दवाइयां और फॉर्मुलेशन मानक के अनुरूप नहीं हैं. लाइवमिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें पैरासिटामोल जैसी दवाइयां भी शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल भारी मात्रा में होता है. इस आंकड़े में 52 सैंपल केंद्रीय ड्रग लैबोरेट्रीज द्वारा और 60 सैंपल राज्य स्तरीय ड्रग टेस्टिंग लैब्स द्वारा जांच में फेल पाए गए.
बच्चों की मौत के बाद बढ़ी चिंता
यह रिपोर्ट उस समय आई है जब मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हुई खांसी की दवा से बच्चों की मौत का मामला ताजा है. 24 बच्चों की जान चली गई थी, इनके जांच में पता चला कि बच्चों को कोल्डरिफ नाम की दवा दी गई थई. जांच में इस दवा में 48.6 फीसदी डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) मिला, जो इस मात्रा में जानलेवा कैमिकल है.
कोल्डरिफ को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 13 अक्टूबर को स्वास्थ्य सलाह में वॉर्निग लिस्ट में शामिल किया. WHO ने दुनिया भर के देशों को इस तरह की दूषित दवाइयों की जानकारी देने का निर्देश भी दिया.
पिछली घटनाएं और उद्योग पर असर
2023 के अंत में भारत में बनी खांसी की दवाओं से अफ्रीका और मध्य एशिया में 140 से अधिक बच्चों की मौत हुई थी. तब सरकार ने सभी दवा कंपनियों को WHO के मानक अनुसार अपने प्लांट अपडेट करने का आदेश दिया. कोल्डरिफ बनाने वाली Sresan Pharmaceutical Manufacturer जैसी कुछ छोटी कंपनियों ने सुविधा अपडेट नहीं कराई थी.
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नई नीति और फार्मा उद्योग
इस महीने की शुरुआत में CDSCO ने भारत में नए दवा अनुमोदन प्रक्रिया की समीक्षा शुरू की. इसके तहत पहले आवेदन करने वालों और बाद के आवेदकों के बीच के अंतर को दूर करने के लिए सुझाव आमंत्रित किए गए हैं. इस बदलाव का असर ₹3.4 लाख करोड़ के भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग पर पड़ सकता है, खासकर उन कंपनियों पर जो नई दवाओं में निवेश और नवाचार करती हैं.