अब मिला रेयर अर्थ का असली हीरा, भारतीय कंपनियां बनाएंगी मैग्नेट, रेस में ये 5 दिग्गज
जिंदल, वेदांता, ऑटो पार्ट्स कंपनी सोना कॉम्स्टार, हैदराबाद की मिडवेस्ट कंपनी और एक अन्य कंपनी ने सरकार से रेयर अर्थ एलिमेंट्स और मैग्नेट प्रोडक्शन के लिए 2,500-3,000 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद मांगी है. यह योजना 3 से 5 साल में लागू होगी और अभी सरकार के मंत्रालय इसे अंतिम रूप दे रहे हैं.

Rare Earth: रेयर अर्थ मिनरल्स पर आज पूरी दुनिया की टेक्नोलॉजी और डिफेंस सिस्टम टिका हुआ है. इस मामले में चीन सबसे बड़ा खिलाड़ी है. रेयर अर्थ का असली हीरा भारत को अब मिलेगा. दरअसल, भारतीय कंपनियां रेयर अर्थ से मैग्नेट बनाएगी. इसमें जिंदल, वेदांता, ऑटो पार्ट्स कंपनी सोना कॉम्स्टार, हैदराबाद की मिडवेस्ट कंपनी और एक अन्य कंपनी शामिल है. इन्होंने सरकार से रेयर अर्थ एलिमेंट्स और मैग्नेट प्रोडक्शन के लिए 2,500-3,000 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद मांगी है. ये कंपनियां भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट में आत्मनिर्भर बनाना चाहती हैं, ताकि चीन की पाबंदी से होने वाली परेशानी खत्म हो और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मैग्नेट की कमी न रहे.
चीन की पाबंदी
चीन ने 7 रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर रोक लगा दी है. इससे भारत के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माताओं को परेशानी हो रही है. अप्रैल से आपूर्ति बंद है और जुलाई तक स्टॉक खत्म हो सकता है. यहीं कारण है कि भारतीय कंपनियां सरकार से वित्तीय मदद की गुहार लगा रही हैं। इनमें जिंदल, वेदांता, मिडवेस्ट, सोना कॉम्स्टार और एक अन्य कंपनी शामिल है. इसने मैग्नेट बनाने के लिए सरकार से संपर्क किया है.
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सोना कॉम्स्टार भारत में रेयर अर्थ एलिमेंट्स और मैग्नेट प्रोडक्शन का बड़ा आयातक और सप्लायर है. वेदांता ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स की खदानें हासिल की हैं और दोनों कंपनियां प्रोसेसिंग तकनीक के लिए साझेदारी तलाश रही हैं. मिडवेस्ट ने सरकारी कंपनी IREL से तकनीकी सहयोग और फंडिंग हासिल की है और श्रीलंका में खदानें भी ली हैं. वह इस साल के अंत तक उत्पादन शुरू कर सकती है. सोना कॉम्स्टार ने चीन से मैग्नेट आयात की अनुमति मांगी है.
भारत की ताकत
भारत के पास 70 लाख टन रेयर अर्थ एलिमेंट्स का भंडार है. यह दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है लेकिन भारत के पास इन्हें प्रोसेस करने की तकनीक नहीं है. इसलिए, भारत 3,600 टन मैग्नेट आयात करता है. इसमें से 870 टन ऑटोमोबाइल कंपनियां इस्तेमाल करती हैं. इस प्लान में 2,500-3,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. कंपनियों को पहले साल में बिक्री का 30 फीसदी प्रोत्साहन मिलेगा, दूसरे साल में 27%, तीसरे साल में 25% और चौथे साल में 20-22% और पांचवें साल में 20 फीसदी से कम मिलेगा. ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग कंपनी एटेरो अगले 12-24 महीनों में 100 करोड़ रुपये निवेश करके अपनी रिसाइक्लिंग क्षमता को 300 टन से 30,000 टन तक बढ़ाएगी.
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