तीन महीने के सबसे धीमी रफ्तार पर पहुंचा PMI मैन्युफैक्चरिंग, लेकिन सर्विस सेक्टर से उम्मीदें बरकरार
भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ी ताजा रिपोर्ट्स ने निवेशकों और पॉलिसी निर्माताओं को चौंका दिया है. जहां एक तरफ कुछ संकेतक रिकॉर्ड स्तर छूते नजर आए, वहीं दूसरी ओर एक अहम इंडेक्स में गिरावट दर्ज की गई है. सर्विस सेक्टर से जुड़ी उम्मीदें अभी बाकी हैं.

देश की आर्थिक तस्वीर में एक नया मोड़ सामने आया है. जहां एक ओर जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ दर 7.4 फीसदी तक पहुंची और मजबूत आर्थिक संकेत दिए, वहीं दूसरी ओर मई में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार धीमी पड़ती दिखी है. HSBC की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मई में गिरकर 57.6 पर आ गया, जो पिछले तीन महीनों में सबसे निचले स्तर है. अप्रैल में यह आंकड़ा 58.2 था.
मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार थमी
HSBC इंडिया की चीफ इकोनॉमिस्ट प्रांजल भंडारी के मुताबिक, “मई में भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ बनी रही है, लेकिन नई ऑर्डर और प्रोडक्शन की रफ्तार में कुछ कमी देखी गई है.” जारी रिपोर्ट में कहा गया कि यह गिरावट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्कों (reciprocal tariffs) के चलते आयात लागत में भारी इजाफे के वजह से आई है, जो लगभग एक सदी में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है.
मजबूत GDP ग्रोथ बनी सहारा, सर्विस सेक्टर में उम्मीदें
हालांकि सर्विस सेक्टर को लेकर उम्मीदें अब भी बनी हुई हैं. 4 जून को जारी होने वाले आंकड़ों से पहले प्री-लिमिनरी डेटा इशारा कर रहा है कि सर्विस PMI बीते 14 महीनों में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच सकता है.
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जनवरी-मार्च तिमाही में 7.4 फीसदी की GDP ग्रोथ ने पूरे साल की विकास दर को 6.5 फीसदी पर ला खड़ा किया है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुमान के अनुरूप है. RBI इस फिस्कल ईयर के लिए भी 6.5 फीसदी ग्रोथ का लक्ष्य बनाए हुए है, जबकि Market Consensus पोल में शामिल 20 अर्थशास्त्रियों ने औसतन 6.3 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया है.
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