इंडिगो ने दी जीवनभर की टीस: पिता रोते-रोते मांगता रहा सैनिटरी पैड, पति के ताबूत पर रोती रही पत्नी; बेटी नहीं पहुंचा सकी पिता की अस्थियां
इंडिगो की करीब 1,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द होने से पैसेंजर्स भारी परेशानी में पड़ गए हैं. दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे बड़ों शहरों में हर जगह यात्रियों की परेशानियां एक जैसी हैं, लेकिन हर कहानी अलग है. दर्द से भरी, मजबूरी से भरी और इंतजार में डूबी हुई. आइए इन्हीं कहानियों को जानते हैं.
देश के कई बड़े हवाई अड्डों पर इन दिनों ऐसा माहौल है, जैसे किसी आपदा ने दस्तक दे दी हो. इंडिगो की लगातार देरी और कैंसिल उड़ानों ने यात्रियों की जिंदगी को मानो थामकर रख दिया है. लंबी कतारें, भरे हुए टर्मिनल, अनिश्चितता और हर तरफ हताश लोग—हालात किसी संकट से कम नहीं दिखते. पिछले कुछ दिनों में इंडिगो की करीब 1,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द होने से पैसेंजर्स भारी परेशानी में पड़ गए हैं. दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे बड़ों शहरों में हर जगह यात्रियों की परेशानियां एक जैसी हैं, लेकिन हर कहानी अलग है. दर्द से भरी, मजबूरी से भरी और इंतजार में डूबी हुई. आइए इन्हीं कहानियों को जानते हैं.
सैनिटरी पैड मांगता पिता
एक सोशल मीडिया यूजर्स अपूर्व ने अपने X प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें फ्लाइट कैंसिल होने के कारण एयरपोर्ट पर खड़े एक परेशान पिता की आवाज पूरे एयरपोर्ट में गूंज उठी. वह मदद मांगते हुए कह रहे थे—
“मेरी बेटी को सैनिटरी पैड चाहिए… नीचे से खून गिर रहा है… फ्लाइट टाइम पर नहीं चल रहा है…” यह नजारा लोगों को भीतर तक झकझोर गया.
“मेरे पति की मौत हो गई है… मुझे ताबूत ले जाना है”
इसी तरह असम के गुवाहाटी एयरपोर्ट पर एक महिला रोते हुए बोलीं— “मेरे पति का निधन हो गया है… मैं उनके ताबूत को कोलकाता ले जाने आई हूं… लेकिन इंडिगो कोई जानकारी नहीं दे रहा…” ANI को उन्होंने बताया कि उनका पति अब इस दुनिया में नहीं है और अंतिम संस्कार के लिए उन्हें घर ले जाने की हर कोशिश फ्लाइट के कैंसिल होने से अटक गई है.
पिता के अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार नहीं पहुंच सकीं नमिता
इसी तरह से बेंगलुरु एयरपोर्ट पर फंसी नमिता अपने पिता के अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार जा रही थीं. लेकिन फ्लाइट कैंसिल होने के बाद वह घंटों एयरपोर्ट पर बैठी रहीं. नेटवर्क-वाइड दिक्कत के कारण एक के बाद एक उड़ानें रद्द होती गईं और परिवार के सबसे महत्वपूर्ण संस्कार में शामिल होना असंभव हो गया. उनकी आंखों में सिर्फ एक सवाल था— “अब मैं कब पहुंच पाऊंगी?”
“पिता का कैंसर इलाज चल रहा है…”
वहीं मुंबई में फंसे एक यात्री ने अपनी मजबूरी शेयर करते हुए कहा— “मेरे पिता का टाटा मेमोरियल में कैंसर का इलाज चल रहा है… मैं फंस गया हूं… दूसरी एयरलाइन का किराया 25 हजार रुपए है. मैं कैसे दूं?” ऐसे में बीमारी की गंभीरता और अचानक बढ़े हवाई किराए ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी.
हैदराबाद एयरपोर्ट पर एक महिला 1 दिन 1 रात फंसी रही
39 वर्षीय लक्ष्मी तिरुपति से कुवैत जा रही थीं. उनके पति की मौत बिजली का करंट लगने से हो चुकी थी और अब वे कर्ज चुकाने व बेटे का फ्यूचर संभालने के लिए विदेश में काम करने जा रही थीं. लेकिन इंडिगो संकट के कारण वह एक पूरी रात और एक दिन एयरपोर्ट पर फंसी रहीं—न उड़ान का कोई अपडेट, न कोई समाधान. उन्होंने बताया कि उन्हें नहीं पता कि वे कब कुवैत पहुंच पाएंगी.
दिल्ली एयरपोर्ट पर एक महिला की बेबसी
दिल्ली में एक महिला लगातार तीन दिन से एयरपोर्ट पर फंसी रहीं. उनकी कोलकाता वाली उड़ान बार-बार पहले देरी बताई गई, फिर अचानक कैंसिल कर दी गई. उन्होंने अपनी मजबूरी व्यक्त करते हुए कहा—”दूसरी फ्लाइट का किराया 40 से 50 हजार है… कहां से लाऊं इतना? दो छोटे बच्चे हैं… कोई सही बात नहीं बता रहा.”
“कृपया मेरे बॉस से कहिए कि नौकरी से न निकाले!”
एक वायरल वीडियो में हैदराबाद एयरपोर्ट पर एक युवक रोते हुए बोला— “कृपया कोई मेरे बॉस से कहे कि मुझे नौकरी से न निकाले.”
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