अरबपतियों के कुनबे से निकला एक नया सितारा! एंट्री से मची खलबली, मुकाबले में अंबानी-अडानी की NextGen
JSW पेंट बाजार में कोई खास नाम नहीं बना पाई लेकिन अब एक बड़ी डील ने पूरी पेंट इंडस्ट्री का समीकरण ही बदल दिया है. इस बार रंगों की लड़ाई सिर्फ दीवारों पर नहीं, कॉर्पोरेट जगत की टेबल पर भी लड़ी जा रही है. जानिए कैसे पार्थ जिंदल की एंट्री ने बाजार में एक नई कंपटीशन को चिंगारी दे दी है.
Who is Parth Jindal: भारतीय पेंट बाजार में नैरोलैक और एशियन पेंट्स जैसे गिने-चुने नामों का कई वक्त तक दबदबा रहा है, हाल में बिरला ओपस के एंट्री ने लोगों को एक तीसरा विकल्प भी दिया. लेकिन अब ये तस्वीर भी बदल रही है. एक युवा उद्योगपति की एंट्री ने इस पूरे खेल का रुख बदल दिया है. पार्थ जिंदल, एक ऐसा नाम जो अब तक अपने पिता सज्जन जिंदल की विरासत की छाया में था, अब खुद अपनी पहचान गढ़ने के प्रयास में है. उनकी अगुवाई में JSW Paints ने डच कंपनी Akzo Nobel India के अधिग्रहण के साथ तगड़ी बाजी मारी है. ये डील 12,915 करोड़ रुपये की रही. इसी के साथ ये संकेत मिल गया है कि अरबपतियों के कुनबे में एक नए सितारे ने एंट्री कर ली है.
जहां अंबानी-अडानी अपने संपत्ति का कार्यभार आहिस्ता आहिस्ता अपनी अगली पीढ़ी के हाथों में दे रहे हैं वहीं इस रेस में अब जिंदल परिवार का वारिस पार्थ जिंगल भी उतर चुका है.
कौन है पार्थ जिंदल?
पार्थ जिंदल, सज्जन जिंदल के बेटे, JSW समूह के यहां छह साल पहले आया नया चेहरा है. पहले उन्होंने पावर ग्रिड और इंडस्ट्रियल एयर पॉल्यूशन सेक्टर में Sulzer और GE‑Alstom Grid Solutions के साथ काम किया. यहां से मिली सीख और अनुभव ने उन्हें बड़े M&A सौदों की बारीकियां समझने में मदद की.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में JSW Paints की शुरुआत करते समय उनका टारगेट क्लीयर था कि उन्हें भारतीय पेंट बाजार में टॉप प्लेयर के तौर पर अपनी जगह बनानी है लेकिन पहले चार-पांच वर्षों में ग्रोथ धीमी रही और बाजार में तगड़ा कंपटीशन चल रहा था. जिंदल ने इस रेस में एंट्री के लिए एक्जों के साथ तेजी देखी और फिर
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एक्जो नोबेल इंडिया पर होड़
मई के मध्य तक ऐसा माना जा रहा था कि JSW Paints की पेशकश इस डील में सबसे मजबूत है. लेकिन उसी दौरान डच कंपनी Akzo Nobel NV के एम्स्टर्डम स्थित बोर्ड को Advent International और Indigo Paints के गठजोड़ की ओर से एक संशोधित, और मूल्य में 7–8 फीसदी ऊंची बोली भेजी गई. यह वाक्या उस वक्त हुआ जब JSW ग्रुप पहले ही अपनी शुरुआती पेशकश को बेहतर कर चुका था और खुद को अग्रणी स्थिति में मान रहा था.
उसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने JSW Steel के 2019 के 19,700 करोड़ रुपये BPSL रेजोल्यूशन प्लान को अस्वीकार कर दिया था, जिससे JSW समूह की विश्वसनीयता पर सवाल उठे. लेकिन पार्थ ने हिम्मत नहीं हारी.
हार्ड नेगोसिएशंस और पीछे की कहानी
JSW Paints और Dulux की केमिस्ट्री (व्यापारिक तालमेल) को लेकर बोर्ड को बताया गया कि Dulux का प्रीमियम डेकोरेटिव सेगमेंट और JSW Paints का मास मार्केट सेगमेंट मिलकर 6200 करोड़ रुपए का ज्वाइंट टॉपलाइन बनाएगा. तीसरे नंबर की कंपनी Kansai Nerolac से भी वे करीब 700 करोड़ पीछे होंगे. इस तरह, JSW‑Dulux नया चौथा सबसे बड़ा पेंट खिलाड़ी बन रहा था.
मार्केट में होगा दिग्गजों से भिड़ना होगा
बाजार में पहले से ही 45 फीसदी मार्केट शेयर वाला दिग्गज Asian Paints और नया चहेता खिलाड़ी बिड़ला ओपस ने अपना माहौल जमा रखा है. नैरोलेक भी एक स्ट्रॉन्ग दावेदार है. ऐसे में पार्थ को अपनी स्ट्रैटजी साबित करने के लिए पुराने खिलाड़ियों से मुकाबला करना होगा.
हालांकि, JSW Paints के पास ऐसे तीन मजबूत स्तंभ हैं जो उसे एक तगड़ा प्लेयर बना सकते हैं. अपने स्ट्रॉन्ग फाइनेंस के दम पर वह बाकी कंपनियों से कीमतों के पैमाने पर मुकाबला कर सकते हैं साथ ही अपनी अच्छी मार्केटिंग करा सकते हैं. इसके अलावा एक्जो के बनाए मार्केट और प्रोडक्ट क्वॉलिटी के दम पर खुद को आगे रख सकते हैं. तो कंपनी ने इस मार्केट में एंट्री तो कर ली लेकिन अब इसमें बने रहना उनके लिए असली चुनौती है.