पहलगाम आतंकी हमले के पीछे 21000 करोड़ का कनेक्शन! पाक ने ऐसे रची गुजरात से कश्मीर तक साजिश

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने सुप्रीम कोर्ट में खुलासा किया कि गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से आए 21,000 करोड़ रुपये के ड्रग्स का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को फंड करने में हुआ. इससे इतर, एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी बताया कि इन पैसों की चैनलिंग कैसे हो रही है.

एनआईए ने पहलगाम हमले को लेकर क्या बताया? Image Credit: @Money9live

From Gujrat to Pahalgam What NIA Finds: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने देश की सुरक्षा से जुड़ी एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश सुप्रीम कोर्ट के सामने किया है. दरअसल पिछले दिनों कश्मीर के पहलगाम में कुछ आतंकवादियों ने 26 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. उसके बाद से नेशनल सिक्योरिटी पर तमाम तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं. इसी को लेकर एनआईए ने बड़ा खुलासा किया है. एनआईए की जांच में पता चला है कि गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से लेकर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम तक एक संगठित ड्रग्स तस्करी का नेटवर्क फैला हुआ है.

इस नेटवर्क के जरिये करीब 21,000 करोड़ रुपये की कीमत वाली हेरोइन भारत लाई गई थी जिसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में किया जा रहा था. एनआईए ने हालिया पहलगाम आतंकी हमले को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की नार्को तस्करी प्लानिंग से जोड़ा है जिसे पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) का समर्थन मिला हुआ है.

कहां हुआ 21000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, NIA अधिकारियों ने बताया कि यह केवल एक सामान्य तस्करी का मामला नहीं है बल्कि इसके पीछे पाकिस्तान आधारित सिंडिकेट का हाथ है. ये तस्कर संगठित तरीके से भारत में ड्रग्स भेज रहे थे और उससे कमाए गए पैसों का बड़ा हिस्सा जम्मू-कश्मीर में एक्टिव आतंकवादी गुटों तक पहुंच रहा था. बाद में इन नशीले पदार्थों को देश के अलग-अलग राज्यों में सप्लाई किया जाता था. उनमें जम्मू-कश्मीर, पंजाब और दिल्ली जैसे इलाकों मुख्य थे. ड्रग्स पहुंचने के बाद स्थानीय नेटवर्क के जरिए इसे बेचा जाता था और इस कारोबार से जो भारी-भरकम रकम जुटाई जाती थी, उसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों की फंडिंग में होता था.

हवाला चैनलों के माध्यम से ये पैसे आतंकवादी संगठनों तक भेजे जाते थे ताकि हथियारों की खरीद, भर्ती अभियानों और आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया जा सके. एनआईए ने कहा, “यह मामला अवैध साधनों के जरिये भारत लाए जा रहे नार्को-पदार्थ की सबसे बड़ी खेप का मामला है. इसका इस्तेमाल न केवल जनता के बीच तबाही मचाने के लिए किया जाना था बल्कि बिक्री के जरिये मिले रमक का इस्तेमाल आतंकवाद को फंड करने के लिए भी किया जाना था.”

सुप्रीम कोर्ट में एनआईए ने किया खुलासा

टीओआई की रिपोर्ट की मानें तो, एजेंसी ने अदालत को बताया कि आतंकी संगठनों का मकसद अपने लिए पैसा जुटाना और भारत के युवाओं को नशे की लत में धकेल कर देश को कमजोर करना था. रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर गोलीबारी जैसी घटनाएं इस साजिश का हिस्सा थी.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा, देखिए पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों को गोली मारकर उन्होंने भारत के साथ क्या किया. हलफनामे के मुताबिक, इन नशीले पदार्थों को ईरानी बिचौलियों के जरिये भारत में लाजा गया था और दिल्ली के नेब सराय और अलीपुर के गोदामों में इकट्ठा किया गया था.

गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से जुड़े हैं धागे

सितंबर 2021 में गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर 2,988 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई थी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 21,000 करोड़ रुपये थी. एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह ड्रग्स तस्करी का मामला केवल नशे का व्यापार नहीं था बल्कि इसका मकसद आतंकवादी गतिविधियों को वित्तीय मदद देना था. इस खेप को अफगानिस्तान से ईरान के रास्ते भारत लाया गया था. इसे एक तालिबान से जुड़े नेटवर्क ने भेजा था जिसे लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआई ने समन्वय किया था. पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुआ आतंकी हमला अब तक का सबसे घातक हमला माना जा रहा है.

इस हमले में आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया और धार्मिक आधार पर उनकी पहचान की. जांच में सामने आया कि इस हमले के लिए पैसे और हथियारों की व्यवस्था ड्रग्स तस्करी से मिले रकम से की गई थी. एनआईए ने पाया कि मुंद्रा पोर्ट पर जब्त किए गए ड्रग्स का पैसा लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों तक पहुंचा और उन्हीं लोगों ने पहलगाम हमले को अंजाम दिया.

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पाकिस्तान से होता था संचालन

NIA की शुरुआती जांच में यह बात भी सामने आई है कि इस पूरे नेटवर्क का संचालन पाकिस्तान से किया जा रहा था. वहां से निर्देश जारी किए जाते थे और भारत में बैठे एजेंट व ड्रग्स माफिया उन्हें अमल में लाते थे. ड्रग्स के जरिए आतंकवाद को फंड करने की यह एक बेहद संगठित रणनीति थी जिसे पिछले कई सालों से अंजाम दिया जा रहा था.

(मनी9लाइव स्वतंत्र रूप से इन दावों की पुष्टि नहीं करता है. ये जानकारी टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के जरिये दी जा रही है.)