पाक के ड्रोन-मिसाइल की कौन दे रहा था सटीक जानकारी, जिसके दम पर सेना ने हवा में मचा दी तबाही
पाकिस्तान के खिलाफ भारत की ओर से चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में इंटीग्रेटेड एयर कमांड और कंट्रोल सिस्टम यानी IACCS की अहम भूमिका रही है. इसी के जरिए भारतीय सेना ने हवा में भी पाक के चक्के छुड़ा दिए. इसी के जरिए पाक की ओर से होने वाले ड्रोन और मिसाइल अटैक को रोकने में मदद मिलेगी. तो क्या है IACCS और कैसे काम करता है ये सिस्टम, जानें पूरी डिटेल.
Operation Sindoor hero IACCS: भारत-पाक के बीच चल रहा तनाव सीजफायर के बाद शांत हो गया है, लेकिन बीते कुछ दिन देश के लिए काफी हलचल भरा रहा. जम्मू-कश्मीर से लेकर पंजाब तक तमाम इलाकों में पाकिस्तान की ओर ड्रोन, मिसाइलों और एयरक्राफ्ट के जरिए हमला किया गया. मगर भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत इन सभी हमालों को एक झटके में नाकाम कर दिया. भारत की इस जवाबी कार्रवाई को कामयाब बनाने में इंटीग्रेटेड एयर कमांड और कंट्रोल सिस्टम यानी IACCS की अहम भूमिका रही है. इसी के जरिए भारत ने पाक की इन गतिविधियों पर नजर रखी और उसका मुंहतोड़ जवाब दिया. 12 मई को ऑपरेशन सिंदूर पर मीडिया ब्रीफिंग के दौरान भारतीय वायुसेना (IAF) के अधिकारियों ने IACCS नोड की तस्वीर भी शेयर की थी. तो कैसे ये सिस्टम करता है काम जानें पूरी डिटेल.
हवाई खतरों के खिलाफ अभेद्य ढाल
वायुसेना की ओर से जारी तस्वीर में दो दर्जन से ज्यादा IAF कर्मी एक बड़े स्क्रीन के सामने खड़े नजर आते हैं. वायु सेना के मुताबिक IACCS हवाई खतरों के खिलाफ एक अभेद्य ढाल की तरह है. ये एयर डिफेंस का एक मास्टरमाइंड है. ये वायु रक्षा संसाधनों की ओर से निर्मित रीयल-टाइम इंटीग्रेटेड फीड दिखा रही थी. यह सिस्टम पिछले सप्ताह भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तान से आने वाले हवाई खतरों को नाकामयाब करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ.
कैसे काम करता है IACCS?
- इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक IACCS को सार्वजनिक क्षेत्र की डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने विकसित किया है.
- यह एक ऑटोमैटिक कमांड और कंट्रोल सिस्टम है. यह जमीनी रडार, हवाई सेंसर, नागरिक रडार, संचार नोड्स और IAF के विभिन्न कमांड सेंटरों से डेटा को इंटीग्रेट करता है.
- ये रीयल-टाइम अपडेट के साथ इस जुटाए गए डेटा को सैन्य कमांडरों के साथ शेयर करता है. वो उन्हें हवाई अभियानों के दौरान व्यापक स्थिति का अपडेट देता है और उन्हें आगाह करता है.
- रियल टाइम अपडेट मिलते ही सेना दुश्मन के विमानों, ड्रोनों और मिसाइलों जैसे खतरों का तुरंत जवाब दे सकते हैं.
- यह सिस्टम सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल और डीसेंट्रलाइजेशन एग्जीक्यूशन को मुमकिन बनाता है.
- इसकी खासियत है कि सारा सिस्टम एक साथ काम करने से प्रतिक्रिया में वक्त कम लगता है और खतरे की पहचान व मूल्यांकन में तेजी आती है.
- IACCS का ओवरलैपिंग रडार और रेडियो डेटा कवरेज बेहतर एयरस्पेस मैनेजमेंट को सुनिश्चित करता है.
आर्मी का आकाशतीर सिस्टम
रिपोर्ट के मुताबिक वायु सेना के अलावा इंडियन मिलिट्री का भी एक इसी तरह का एयर डिफेंस नियंत्रण और रिपोर्टिंग सिस्टम है, जिसे आकाशतीर कहा जाता है. इसे भी BEL ने विकसित किया है. मार्च 2023 में रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए ₹1,982 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था. आकाशतीर युद्ध क्षेत्रों में निचले स्तर के हवाई क्षेत्र की निगरानी और जमीनी वायु रक्षा हथियार प्रणालियों को नियंत्रित करने में मदद करता है. वर्तमान में यह छोटे पैमाने पर काम कर रहा है, लेकिन इसे IACCS के साथ इंटीग्रेट करने की प्रक्रिया चल रही है, जिससे सेना और वायुसेना के एयर डिफेंस अभियानों में बेहतर तालमेल हो.
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कैसे 4 लेयर डिफेंस सिस्टम ने दिया मात?
भारतीय सेना की एयर डिफेंस सिस्टम बहुस्तरीय ढांचे में तैनात हैं. मुख्यतौर पर ये 4 लेयर का है. इसमें पॉइंट डिफेंस (निचले स्तर के हवाई रक्षा हथियार और कंधे पर ले जाने वाले हथियार) और क्षेत्र रक्षा (लड़ाकू विमान और लंबी दूरी की मिसाइलें) शामिल हैं. वहीं आधुनिक रडार, जैसे जमीनी रडार, AWACS (एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम), और AEW&C (एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल) सिस्टम, IACCS नेटवर्क में जुड़े हैं. ये रडार शत्रु घुसपैठियों का पता लगाने, पहचान करने, रोकने और नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
पहली परत: काउंटर-ड्रोन सिस्टम और MANPADS (मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम).
दूसरी और तीसरी परत: पॉइंट एयर डिफेंस, शॉर्ट-रेंज और मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें.
चौथी परत: लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें.