डाटा और रिपोर्टिंग में Deutsche AG और YES Bank की चूक पड़ी भारी, RBI ने ठोका 50 लाख तक का जुर्माना

भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को दो बड़े बैंकों के खिलाफ कार्रवाई की है. यह कदम बैंकिंग सेक्टर में बढ़ती पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है. इससे जुड़े सभी पहलुओं और मौजूदा हालात को लेकर एक अहम जानकारी सामने आई है, पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

डॉयचे बैंक पर कार्रवाई Image Credit: Money9 Live

बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता और नियमों के पालन को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है. शुक्रवार को आरबीआई ने दो प्रमुख बैंकों डॉयचे बैंक एजी (Deutsche AG) और यस बैंक (YES Bank) पर नियामकीय निर्देशों के उल्लंघन को लेकर जुर्माना लगाया है. यह कार्रवाई बैंकिंग संचालन में जवाबदेही और वित्तीय रिपोर्टिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है.

डॉयचे बैंक और यस बैंक पर लाखों की पेनाल्टी

RBI का नियम है कि देश के सभी बैंक आपस में यह जानकारी साझा करें कि उन्होंने किन-किन बड़े ग्राहकों को लोन दिया है और कितनी रकम दी है. इसका मकसद यह होता है कि अगर किसी ग्राहक ने एक से ज्यादा बैंकों से बड़ा कर्ज लिया है और वह चुका नहीं पा रहा है, तो बैंक समय रहते सतर्क हो सकें. इस व्यवस्था को “सेंट्रल डाटाबेस” या “Central Repository of Large Common Exposures” कहा जाता है.

डॉयचे बैंक ने इस व्यवस्था के तहत जरूरी जानकारी सही तरीके या सही समय पर जमा नहीं की. इसे नियम का उल्लंघन माना गया और इसी वजह से उस पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया. आरबीआई ने कहा इस कार्रवाई का उद्देश्य किसी लेनदेन की वैधता पर सवाल उठाना नहीं है.

इसी क्रम में, आरबीआई ने यस बैंक पर भी 29.60 लाख रुपये का जुर्माना ठोका है. यह जुर्माना “वित्तीय विवरण प्रस्तुति और प्रकटीकरण” से जुड़े आरबीआई के निर्देशों के उल्लंघन को लेकर लगाया गया है. यह जुर्माना स्पष्ट करता है कि नियामकीय अनदेखी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक हो या निजी.

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यस बैंक की वर्तमान स्थिति

यस बैंक ने हाल के वर्षों में खुद को एक बेहद लंबे वक्त के बाद संभाला है. बैंक ने पूंजी जुटाने, एनपीए नियंत्रण, और डिजिटल सेवाओं के विस्तार पर जोर देते हुए संचालन को स्थिर करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं. हाल में जपानी बैंक SMGC ने एसबीआई समेत 7 बैंकों ने 20 फीसदी शेयर बेचें, जिसके बाद जपानी बैंक के बाद कंपनी की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी आ गई. इस फैसले की घोषणा के बाद YES Bank के शेयरों की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है. वर्तमान में बैंक की साख में सुधार दिखा है लेकिन इस तरह की कार्रवाई यह दिखाती है कि नियामक निगरानी लगातार बनी हुई है.