RBI ने HDFC और श्रीराम फाइनेंस पर लगाया जुर्माना, जानें- पकड़ी गई कौन सी गड़बड़ी

Penalty on HDFC Bank and Shriram Finance: रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि उसने अपने ग्राहक को टर्म लोन देते समय भारत में विदेशी निवेश से संबंधित कुछ नियमों के पालन में गड़बड़ी पाए जाने पर एक्शन लिया है.

रिजर्व बैंक ने एचडीएफसी बैंक पर लिया एक्शन. Image Credit: Getty image

Penalty on HDFC Bank and Shriram Finance: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एचडीएफसी बैंक और श्रीराम फाइनेंस पर तगड़ा एक्शन लिया है. केंद्रीय बैंक ने दोनों लेंडर्स पर नियमों के पालन में चूक के खिलाफ लाखों रुपये का जुर्माना लगाया है. रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि उसने अपने ग्राहक को टर्म लोन देते समय भारत में विदेशी निवेश से संबंधित कुछ मानदंडों का उल्लंघन करने के चलते एचडीएफसी बैंक पर 4.88 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. केंद्रीय बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक (डिजिटल लोन) निर्देश, 2025 के कुछ प्रावधानों का पालन न करने के लिए श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड पर भी 2.70 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.

जुर्माना लगाना उचित

अधिकृत डीलर बैंक एचडीएफसी बैंक पर जुर्माने के संबंध में RBI ने कहा कि उसने बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसके जवाब में बैंक ने लिखित जवाब दिया था और मौखिक रूप से भी सबमिशन दिया था. RBI ने कहा कि मामले के तथ्यों और एचडीएफसी बैंक लिमिटेड द्वारा दिए गए जवाब पर विचार करने के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उल्लंघन साबित हो गए हैं और जुर्माना लगाना उचित है.

जारी किया गया था नोटिस

श्रीराम फाइनेंस का वैधानिक निरीक्षण RBI द्वारा 31 मार्च 2024 तक उसकी वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किया गया था. RBI के निर्देशों का पालन न करने और उससे संबंधित पत्राचार के पर्यवेक्षी निष्कर्षों के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें उसे कारण बताओ नोटिस जारी कर यह बताने को कहा गया था कि उक्त निर्देशों का पालन न करने पर उस पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए.

सही साबित हुए आरोप

नोटिस पर कंपनी के जवाब, उसके द्वारा दिए गए अतिरिक्त सबमिशन और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान दिए गए मौखिक सबमिशन पर विचार करने के बाद, RBI ने पाया कि अन्य बातों के साथ-साथ, कंपनी के विरुद्ध आरोप सही साबित हुए हैं, जिसके लिए जुर्माना लगाना आवश्यक है.

RBI ने कहा कि कंपनी ने कर्ज चुकौती किसी तीसरे पक्ष के खाते के माध्यम से की, न कि उधारकर्ताओं द्वारा सीधे कंपनी के खाते में कर्ज चुकौती जमा की गई.

बैंकों के काम पर नहीं पड़ेगा असर

दोनों ही मामलों में केंद्रीय बैंक ने कहा कि जुर्माना नियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य संस्थाओं द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर निर्णय देना नहीं है. यानी ग्राहकों के काम पर रिजर्व बैंक के इस फैसले का कोई असर नहीं होगा.

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