PSB ने 3 साल में 4.48 लाख करोड़ के बैड लोन किए राइट-ऑफ, SBI सबसे आगे; सरकार बोली- लोन माफी नहीं

सरकारी बैंकों ने पिछले चार सालों में 4.48 लाख करोड़ रुपये के बैड लोन राइट-ऑफ किए हैं. सबसे ज्यादा राइट-ऑफ SBI ने किया है. सरकार ने स्पष्ट किया कि यह लोन माफी नहीं है, वसूली प्रक्रिया जारी है. हालांकि, सरकार ने यह नहीं बताया कि कितनी राशि वसूली गई है.

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया Image Credit: @Tv9

पिछले चार सालों में भारत के सरकारी बैंकों ने 4.48 लाख करोड़ से ज्यादा के बैड लोन (NPA) को राइट-ऑफ कर दिया है. यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में दी. इनमें सबसे ज्यादा राइट-ऑफ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने किया है. SBI ने FY22 से FY25 के बीच कुल 80,197 करोड़ के NPA राइट-ऑफ किए हैं. इसके बाद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने 68,557 करोड़, पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने 65,366 करोड़ और बैंक ऑफ बड़ौदा ने 55,279 करोड़ रुपये. वहीं केनरा बैंक ने 47,359 करोड़ और इंडियन बैंक ने 29,949 करोड़ के लोन राइट-ऑफ किए हैं.

क्या होता है NPA और Write-Off?

NPA यानी Non-Performing Asset ऐसा लोन जिसमें कर्ज लेने वाला (borrower) कई महीनों से EMI या ब्याज नहीं चुका रहा. जब 90 दिन से ज्यादा समय तक पेमेंट नहीं होता, तो बैंक उस लोन को एनपीए घोषित कर देता है. वहीं राइट-ऑफ का मतलब होता है कि बैंक यह मान लेता है कि अब यह लोन वापस आना मुश्किल है, इसलिए इसे अपने बहीखाते से हटा देता है. इससे बैंक की बैलेंस शीट साफ दिखती है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि लोन माफ कर दिया गया. बैंक कानूनी तरीकों से वसूली की कोशिशें जारी रखते हैं.

किन बैंकों ने कितना राइट-ऑफ किया?

बैंक का नामराइट-ऑफ की राशि (₹ करोड़ में)
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)₹80,197 करोड़
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया₹68,557 करोड़
पंजाब नेशनल बैंक (PNB)₹65,366 करोड़
बैंक ऑफ बड़ौदा₹55,279 करोड़
केनरा बैंक₹47,359 करोड़
इंडियन बैंक₹29,949 करोड़
The Tribune की रिपोर्ट के अनुसार (FY22 से FY25 के बीच)

राइट-ऑफ का मतलब लोन माफी नहीं: सरकार

सरकार ने कहा है कि ये राइट-ऑफ तकनीकी प्रक्रिया के तहत की गई है, जो रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार होती है. इसका मतलब यह नहीं कि कर्जदार की जिम्मेदारी खत्म हो गई. चार साल तक बैड लोन पर प्रोविजनिंग के बाद बैंकों को इसे राइट-ऑफ करने की अनुमति होती है. मंत्रालय ने बताया कि लोन की वसूली अब भी चल रही है और इसके लिए इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC), सरफेसी कानून, डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल (DRT) और सिविल कोर्ट जैसे कानूनी विकल्पों का सहारा लिया जा रहा है. हालांकि सरकार ने यह साफ नहीं किया कि इन राइट-ऑफ के बाद बैंकों ने कितनी रकम वसूल की है।

NPA में गिरावट आई है

वहीं जुलाई में ही सरकार ने संसद में बताया था कि सरकारी बैंकों के कुल ग्रॉस NPA मार्च 2021 में जहां 9.11 फीसदी थे, वहीं मार्च 2025 तक घटकर 2.58 फीसदी पर आ गए हैं. यानी कर्जों की क्वालिटी में सुधार हुआ है.

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