EU के प्रतिबंध के बाद लड़खड़ाई नयारा एनर्जी, अब संकट मोचक बनेगी सरकार?
एक बड़ी भारतीय रिफाइनरी इन दिनों संकट से जूझ रही है. अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बाद इस कंपनी की रोजमर्रा की गतिविधियां प्रभावित हुई हैं. अब उसने सरकार से मदद मांगी है. अगर समाधान नहीं मिला, तो देश के कुछ हिस्सों में इसका असर महसूस किया जा सकता है. पूरी कहानी जानिए यहां...
यूरोपीय संघ (EU) की हालिया प्रतिबंध के बाद रूस समर्थित निजी रिफाइनरी नयारा एनर्जी मुश्किल में आ गई है. कंपनी को भारत में अपने पेट्रोल पंपों तक रिफाइन्ड फ्यूल पहुंचाने के लिए जरूरी जहाज नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में अब नयारा ने भारत सरकार के शिपिंग मंत्रालय से मदद मांगी है. रॉयटर्स ने अपने हालिया रिपोर्ट में इस बात की जानकारी अपने सूत्रों के हवाले से दी है.
जहाजों की कमी से सप्लाई पर असर
एक सरकारी सूत्र के हवाले से रॉयटर्स ने बताया कि EU की पाबंदी के बाद कई शिपिंग कंपनियों ने नयारा से कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने की मांग की है. साथ ही, माइक्रोसॉफ्ट ने भी कुछ समय के लिए अपनी सर्विस रोक दी थी. इन हालातों के चलते कंपनी को अपनी रिफाइनरी में क्रूड प्रोसेसिंग भी कम करनी पड़ी है.
सरकार कर रही विकल्पों की तलाश
नयारा की मदद के लिए अब केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है. रिपोर्ट के मुताबिक शिपिंग, तेल और विदेश मंत्रालय जल्द ही मिलकर इस मसले पर बैठक करेंगे. सरकार यह जांच रही है कि क्या देशी जहाजरानी कंपनियों के इंडिया-फ्लैग्ड जहाज नयारा के लिए उपलब्ध कराए जा सकते हैं. हालांकि, शिप ओनर्स बीमा जैसी बाधाओं का हवाला दे रहे हैं.
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कंपनी के हालात पर नजर
नयारा एनर्जी, जिसमें रूस की सरकारी तेल कंपनी Rosneft की बड़ी हिस्सेदारी है, गुजरात के वडीनार में भारत की दूसरी सबसे बड़ी निजी रिफाइनरी चलाती है. कंपनी रोज करीब 20 मिलियन टन कच्चे तेल को प्रोसेस करती थी, लेकिन अब इसमें कटौती की जा चुकी है. EU प्रतिबंधों के बाद कई अंतरराष्ट्रीय ट्रैकर कंपनियों ने भी नयारा से दूरी बना ली है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, अगर समय रहते वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई, तो नयारा के कई रिटेल आउटलेट्स पर फ्यूल सप्लाई बाधित हो सकती है, जिससे देश के कुछ हिस्सों में सप्लाई चेन पर असर पड़ सकता है.