ट्रंप टैरिफ बेअसर? नई एक्सपोर्ट स्कीम से बढ़ेगा निर्यात, जानें क्या है पूरी प्लानिंग और किन कारोबारियों को होगा फायदा

अमेरिका की ओर से भारतीय सामानों पर 50 फीसदी तक टैक्स लगाने के बाद भारत सरकार नई एक्सपोर्ट स्ट्रैटेजी पर काम कर रही है. इस योजना के तहत निर्यातकों को यूरोप, ब्रिटेन, ब्राजील, पेरू जैसे नए बाजारों में व्यापार बढ़ाने के लिए इंसेंटिव्स मिलेगा. खासतौर पर श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे टेक्सटाइल, लेदर, फूड प्रोडक्ट्स आदि को फायदा मिलने की उम्मीद है.

ट्रंप टैरिफ और भारत की तैयारी Image Credit: @Tv9

Trump Tariff and India’s Export Scheme: अमेरिका ने भारत से आने वाले सामानों पर 50 फीसदी तक टैक्स (टैरिफ) लगा दिया है. इसके बाद भारत सरकार अब एक नई योजना बना रही है जिससे भारतीय कारोबारी (एक्सपोर्टर्स) अमेरिका की बजाय दूसरे देशों में सामान बेच सकें. सरकारी सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्रालय एक नई स्कीम पर काम कर रहा है जिसमें निर्यातकों को यूरोप, ब्रिटेन, पेरू, चिली, ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे देशों में व्यापार बढ़ाने के लिए मदद दी जाएगी.

यह योजना खासतौर पर हाथ से बनी चीजें या जहां ज्यादा मजदूरों की जरूरत होती है, ऐसे सामानों पर ध्यान देगी. जैसे कि टेक्सटाइल, लेदर प्रोडक्ट्स, फूड प्रॉडक्ट्स, खिलौने, गारमेंट्स वगैरह. लेकिन यह मदद हर किसी को नहीं मिलेगी. सरकार सिर्फ उन्हीं को फायदा देगी जो सच में नए बाजारों में निर्यात करना चाहते हैं.

क्या है तैयारी?

मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्रालय नई एक्सपोर्ट स्ट्रैटेजी स्कीम पर काम कर रहा है. इस स्कीम का मकसद यह होगा कि भारत के निर्यातक पारंपरिक बाजारों से आगे बढ़क दूसरे प्रमुख बाजारों की ओर एक्सपोर्ट बढ़ाए. हालांकि, इस महीने की अंत तक अमेरिका के साथ संभावित ट्रेड डील के फैसले के बाद ही फैसला लिया जाएगा. रिपोर्ट में इस मुद्दे से जुड़े सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि सरकार नए बाजारों की दिशा में निर्यात बढ़ाने के लिए कुछ इंसेंटिव्स देने पर भी विचार कर रही है. कई निर्यातक पहले से ही अमेरिका से परे नए बाजारों की ओर रुख कर चुके हैं या कर रहे हैं. ऐसे में अगर सरकार कुछ मदद कर तो निर्याताकों को बड़ा फायदा हो सकता है.

कितना मिलेगी इंसेंटिव्स?

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने फिलहाल साफ किया है कि इस स्कीम के लिए कितनी धनराशि दी जाएगी, इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है क्योंकि यह मुद्दा अभी शुरुआती दौर में है. हालांकि, मालूम हो कि 2025-26 के बजट में सरकार ने एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत 2,250 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है लेकिन यह स्कीम अभी तक शुरू नहीं हुई है.

अमेरिका से बातचीत जारी, लेकिन दिक्कतें हैं

भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है. सरकार चाहती है कि अमेरिका टैक्स कम करे, लेकिन खेती और दूध से जुड़े मुद्दों पर अभी भी दोनों देशों की सोच अलग है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा है कि किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं होगा, चाहे इसकी कितनी भी कीमत चुकानी पड़े. इससे इतर, भारत रूस से काफी मात्रा में सस्ता तेल खरीद रहा है. अमेरिका इसी बात से नाराज है और उसने जवाब में भारत पर और टैक्स लगा दिया है. चीन के बाद रूस से तेल खरीदने वालों में भारत अभी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है.

ब्रिटेन और यूरोप से उम्मीदें और निर्यात घाटे की आशंका

भारत और ब्रिटेन के बीच एक समझौता हो चुका है, जिससे भारतीय सामानों को वहां बिना टैक्स के बेचा जा सकेगा. लेकिन इसे लागू होने में एक साल तक लग सकता है. इससे इतर, यूरोपीय यूनियन के साथ भी बात चल रही है, और उम्मीद है कि इस साल के अंत तक समझौता हो जाएगा. हाल ही में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ हुई बैठक में निर्यातकों ने सरकार से पुरानी सब्सिडी योजनाओं को फिर से शुरू करने और ‘एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन’ के तहत आवंटित फंड को जल्द से जल्द जारी करने की मांग की. निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका की ओर से भारत पर लगाया गया टैरिफ वियतनाम और बांग्लादेश जैसे प्रतियोगियों की तुलना में कहीं अधिक है, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो रही है. ऐसे में सरकार की ओर से जल्द राहत न मिलने पर भारत का निर्यात घाटे में भी जा सकता है.

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