Rupee vs USD: 7 साल के सबसे लंबे अंडरवैल्यूएशन फेज में रुपया, इंट्राडे में डॉलर के मुकाबले 89.23 पर बंद

भारतीय रुपया सात साल के सबसे लंबे अंडरवैल्यूएशन फेज में फंसा है, जहां अक्टूबर में REER 97.47 पर आ गया. कमजोर NEER, मजबूत डॉलर और जियोपॉलिटिकल चिंताओं ने दबाव बढ़ाया, हालांकि घरेलू इक्विटी रैली और क्रूड की गिरावट से गिरावट सीमित रही. इंट्राडे कारोबार में बुधवार को रुपया डॉलर के मुकाबले लगभग फ्लैट 89.23 पर बंद हुआ.

रुपये में कमजोरी Image Credit: freepik

भारतीय रुपये में इन दिनों दो तरह का ट्रेंड एक साथ दिख रहा है, एक तरफ करंसी सात साल की सबसे लंबी अंडरवैल्यूएशन फेज में फंस चुकी है, वहीं दूसरी तरफ स्पॉट मार्केट में यह बेहद संकरे दायरे में ट्रेड करते हुए बुधवार को लगभग फ्लैट 89.23 पर बंद हुआ. कमजोर नॉमिनल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट (NEER), गिरता रियल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट (REER) और मजबूत होता डॉलर तीनों मिलकर रुपये पर दबाव बनाए हुए हैं, लेकिन घरेलू इक्विटी की जबरदस्त रैली और क्रूड की गिरावट ने नुकसान को सीमित रखा.

97.47 पर REER

RBI के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में रियल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट (REER) गिरकर 97.47 पर आ गया, जो सात साल में सबसे लंबी अंडरवैल्यूएशन स्ट्रीक है. यह लगातार तीसरा महीना है, जब रुपये का REER 100 से नीचे बना हुआ है. इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि इस अंडरवैल्यूएशन की बड़ी वजह घरेलू महंगाई का बेहद कम होना है. कम CPI और हल्का करंसी डिप्रिशिएशन मिलकर REER को 100 के नीचे धकेल रहे हैं.

क्या है REER की फेयर वैल्यू

विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की ग्रोथ आमतौर पर ट्रेडिंग पार्टनर्स से तेज रहती है, और इसी वजह से 102–103 का REER ‘फेयर वैल्यू’ माना जाता है. वर्तमान स्तर पर रुपये की अंडरवैल्यूएशन एक्सपोर्टर्स के लिए लाभदायक है, क्योंकि इससे भारतीय उत्पाद वैश्विक बाजार में और कॉम्पिटिटिव बनते हैं.

NEER और स्पॉट मार्केट दोनों कमजोर

नॉमिनल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट (NEER) भी दबाव में है. अक्टूबर में NEER फिसलकर 84.58 पर पहुंच गया, जो एक साल पहले 90.85 था. यह संकेत देता है कि रुपये की कमजोरी सिर्फ डॉलर के मुकाबले नहीं, बल्कि प्रमुख ट्रेडिंग पार्टनर्स की करेंसीज के मुकाबले भी है. स्पॉट मार्केट में भी गिरावट जारी है. 1 सितंबर को रुपये का स्तर 88.3 था, जो 31 अक्टूबर तक 88.7 हो गया. नवंबर में करंसी ने नया रिकॉर्ड लो 89.49 भी छू लिया. हालांकि बुधवार को रुपया बाजार की अपेक्षा से बेहतर टिका रहा और सिर्फ 1 पैसा फिसलकर 89.23 पर बंद हुआ. सेशन में यह 89.17–89.28 के बेहद संकरे दायरे में घूमता रहा.

डॉलर इंडेक्स मजबूत

डॉलर इंडेक्स बुधवार को 0.12% चढ़कर 99.70 पर पहुंच गया, जिससे एशियाई करेंसीज पर दबाव बढ़ा. इसके बावजूद रुपये की गिरावट घरेलू मार्केट सेंटिमेंट और क्रूड की गिरावट ने सीमित कर दी. ब्रेंट क्रूड 0.13% टूटकर 62.40 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जो भारत जैसे बड़े आयातक देश के लिए राहत है.

इक्विटी मार्केट ने दिया मजबूत सपोर्ट

घरेलू शेयर बाजारों में जबरदस्त खरीदारी ने भी रुपये को सहारा दिया. सेंसेक्स 1,022.50 अंक उछलकर 85,609.51 पर पहुंचा, जबकि निफ्टी 320.50 अंक की तेजी के साथ 26,205.30 पर बंद हुआ. इक्विटी में यह तेज रैली रुपये की कमजोरी को संतुलित करने में अहम रही.

फेड कट की उम्मीदें और FPI फ्लो में सुधार

Mirae Asset Sharekhan के अनुज चौधरी का मानना है कि दिसंबर में US Fed की तरफ से संभावित रेट कट से रुपये में स्थिरता आ सकती है. उनका अनुमान है कि निकट भविष्य में USD/INR 89 से 89.50 की रेंज में रह सकता है. मंगलवार को FIIs ने 785.32 करोड़ रुपये की नेट खरीदारी की, जो रुपये के लिए सकारात्मक संकेत है.