RBI के लिए रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती सबसे अच्छा विकल्प, खुदरा महंगाई दर नरम बने रहने की उम्मीद

MPC Repo Rate: रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026-27 के लिए CPI के आंकड़े अब लगभग 4 फीसदी या उससे कम के आसपास हैं. केंद्रीय बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) 29 सितंबर से तीन दिन तक विचार-विमर्श के लिए बैठक करेगी.

होने वाली है MPC की बैठक. Image Credit: Getty image

MPC Repo Rate: आगामी मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में प्रमुख रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती करना केंद्रीय बैंक के लिए उचित एवं तर्कपूर्ण होगा, क्योंकि अगले वित्त वर्ष 2026-27 में भी खुदरा महंगाई दर के नरम बने रहने की उम्मीद है. सोमवार को जारी भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की स्टडी में यह बात कही गई.

महंगाई दर में गिरावट

कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित महंगाई दर में गिरावट के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) फरवरी से अब तक रेपो रेट में एक फीसदी की कटौती कर चुका है. लगातार तीन बार रेपो रेट में कटौती करने के बाद आरबीआई ने अगस्त में इसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया था.

कब होगी MPC की बैठक?

केंद्रीय बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) 29 सितंबर से तीन दिन तक विचार-विमर्श के लिए बैठक करेगी. बैठक में लिए फैसले की घोषणा एक अक्टूबर को की जाएगी.

एमपीसी बैठक की प्रस्तावना

भारतीय स्टेट बैंक के इकोनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट की रिसर्च रिपोर्ट ‘एमपीसी बैठक की प्रस्तावना’ में कहा गया, ‘सितंबर में ब्याज दरों में कटौती करना उचित एवं तर्कसंगत है, लेकिन इसके लिए आरबीआई द्वारा सोच-समझकर विचार-विमर्श की आवश्यकता होगी, क्योंकि जून के बाद ब्याज दरों में कटौती की संभावना वास्तव में अधिक होगी.

CPI के आंकड़े

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026-27 के लिए CPI के आंकड़े अब लगभग 4 फीसदी या उससे कम के आसपास हैं. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को युक्तिसंगत बनाने के साथ अक्टूबर में सीपीआई 1.1 फीसदी के करीब हो सकता है, जो 2004 के बाद सबसे कम होगा.

कटौती ही बेहतर विकल्प

एसबीआई की रिसर्च में कहा गया, ‘सितंबर में ब्याज दरों में कटौती RBI के लिए सबसे अच्छा विकल्प है जो इसे एक दूरदर्शी केंद्रीय बैंक के रूप में भी पेश करेगा.’ एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष द्वारा लिखित रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि जीएसटी को युक्तिसंगत बनाए जाने से सीपीआई मुद्रास्फीति में 0.65 से 0.75 फीसदी की और गिरावट आ सकती है. सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सीपीआई दोनों तरह दो फीसदी घट-बढ़ के साथ 4 फीसदी पर बनी रहे.

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