सोलर पैनल एजेंसी या डीलरशिप, जानें किस बिजनेस में कितना पैसा, और कैसे मिलता है लाइसेंस

भारत में सोलर इंडस्ट्री तेजी से आगे बढ़ रही है. ऐसे में अगर आप सोलर बिजनेस शुरू करने की योजना बना रहे हैं, तो आपके पास दो बड़े रास्ते हैं. एक सरकारी मान्यता प्राप्त सोलर पैनल एजेंसी तो दूसरा किसी प्राइवेट ब्रांड के साथ मिलकर सोलर डीलरशिप शुरू करना. इनकी प्रकृति, इन्वेस्टमेंट, इन्हें शुरू करने का तरीका और मुनाफे का तरीका अलग है. चलिए समझते हैं.

Solar Agency vs Solar Dealership: भारत में सोलर इंडस्ट्री तेजी से आगे बढ़ रही है. जो देश में क्लीन एनर्जी के लिए छोटे निवेशकों व नए इंटरप्रेन्योर के लिए बेहतरीन मौके दे रही है. ऐसे में अगर आप सोलर बिजनेस शुरू करने की योजना बना रहे हैं, तो आपके पास दो बड़े रास्ते हैं. एक सरकारी मान्यता प्राप्त सोलर पैनल एजेंसी खोलना वहीं दूसरा किसी प्राइवेट ब्रांड के साथ मिलकर सोलर डीलरशिप शुरू करना. दोनों ही मॉडल भारत में क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देने का अहम जरिया हैं, लेकिन इनकी प्रकृति, इन्वेस्टमेंट, इन्हें शुरू करने का तरीका और मुनाफे का तरीका अलग है. चलिए समझते हैं.

क्या होता है सोलर पैनल एजेंसी मॉडल?

सोलर कंपनी APN SOLAR की रिपोर्ट के मुताबिक, सोलर पैनल एजेंसी मॉडल में सरकार के साथ मिलकर बड़े लेवल की सोलर प्रोजेक्ट्स पर काम करना होता है. ये MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) या राज्य की नोडल एजेंसियों के साथ रजिस्टर्ड होती हैं. ये एजेंसियां बड़े-बड़े सोलर प्रोजेक्ट्स को जमीन पर उतारती हैं. ये खासतौर पर रूफटॉप सोलर सिस्टम और ऑफ-ग्रिड प्रोजेक्ट्स को लागू करने में मदद करती हैं.

कैसे करती हैं काम?

इनका सबसे बड़ा काम होता है, सरकारी टेंडर में भाग लेना और बड़े-बड़े सोलर इंस्टॉलेशन प्रोजेक्ट्स को पूरा करना. सब्सिडी और फंडिंग से जुड़े सरकारी विभागों से सीधे तालमेल रखना. साथ ही तकनीकी रिपोर्ट, डाटा और प्रोजेक्ट डॉक्यूमेंटेशन को मैनेज करना.

कितने तरह की होती है सोलर एजेंसी?

सोलर एजेंसियां तीन तरह की होती हैं. इनमें पहला है MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) अप्रूव्ड एजेंसी, ये ऑफिशियली मान्यता प्राप्त होती हैं. ये एजेंसियां देश भर में ग्रिड और ऑफ ग्रिड सौर परियोजनाओं को लागू करती हैं. दूसरा है EPC (Engineering, Procurement, Construction) एजेंसी. ये एजेंसियां आमतौर पर कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल कस्टमर्स के लिए साइट सर्वे और डिजाइन से लेकर इसके इंस्टालेशन और कमीशनिंग तक सौर परियोजना की पूरी प्रोजेक्ट प्रक्रिया संभालती हैं. वहीं तीसरी हैं इंडिपेंडेंट कंसल्टेंट्स. ये छोटे फर्म जो तकनीकी सलाह व सरकारी प्रक्रिया में मदद करते हैं.

क्या होती है सोलर पैनल डीलरशिप?

सोलर डीलरशिप एक पर्सनल बिजनेस मॉडल है. जिसमें आप किसी सोलर ब्रांड (जैसे APN Solar, Loom Solar, Tata Power Solar) से जुड़कर उनके प्रोडक्ट बेचते हैं और इंस्टॉलेशन सर्विस देते हैं. अगर आप सोलर एनर्जी का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं और कम खर्च में शुरुआत करना चाहते हैं, तो सोलर डीलरशिप या फ्रैंचाइजी मॉडल आपके लिए बढ़िया ऑप्शन हो सकता है.

इसमें क्या करना होता है?

इस मॉडल में आपको किसी बड़े ब्रांड के साथ मिलकर काम करने का मौका मिलता है. ब्रांड की तरफ से आपको पूरा प्रशिक्षण, मार्केटिंग सपोर्ट और तकनीकी मदद मिलती है. सोलर पैनल, इन्वर्टर, बैटरी जैसे प्रोडक्ट्स को थोक कीमत पर खरीदकर ग्राहकों को बेचना होता है. साथ ही इंस्टॉलेशन और आफ्टर-सेल्स सर्विस देना होता है. जिसके लिए ब्रांड द्वारा ट्रेनिंग, सॉफ्टवेयर, लीड जनरेशन जैसी सुविधाएं मिलती हैं.

एजेंसी और डीलरशिप में क्या है फर्क ?

दोनों ही मॉडल भारत में तेजी से बढ़ती सौर ऊर्जा इंडस्ट्री का अहम हिस्सा हैं. लेकिन इनका काम करने का तरीका, नियम-कानून, और कमाई का सिस्टम एक-दूसरे से काफी अलग होता है. इसलिए सही ऑप्शन चुनने से पहले यह समझना जरूरी है कि कौन-सा मॉडल हमारे बजट, एक्सपीरियंस और इलाके के हिसाब से ज्यादा फायदे का हो सकता है. चलिए टेबल के जरिए समझते हैं,

विशेषता (Feature) सोलर एजेंसी सोलर डीलरशिप
शुरुआती निवेश3 लाख से 10 लाख या उससे ज्यादा2 लाख से 5 लाख (ब्रांड पर निर्भर करता है)
लाइसेंस / मंजूरीMNRE या राज्य सरकार से मंजूरी लेनी होती हैसरकार से लाइसेंस नहीं चाहिए, सिर्फ ब्रांड से एग्रीमेंट चाहिए
कमाई का तरीकासरकारी प्रोजेक्ट्स, सब्सिडी और कंसल्टिंग से पैसा मिलता हैप्रोडक्ट बेचने से मुनाफा, इंस्टॉलेशन चार्ज और सर्विस से कमाई
जोखिम का स्तरथोड़ा ज्यादा – कागजी काम और सरकारी नियमों का पालन जरूरी होता हैकम – ब्रांड से ट्रेनिंग और सपोर्ट मिल जाता है
बिजनेस बढ़ाने की संभावनाज्यादा – बड़े सरकारी टेंडर और कॉमर्शियल प्रोजेक्ट्स में मौकासीमित – लोकल मार्केट या ब्रांड के तय इलाके तक ही काम
सोर्स- APN SOLAR

सोलर एजेंसी के क्या फायदे हैं?

सरकारी सब्सिडी और टेंडर में भागीदारी. इससे बड़ी इंडस्ट्री या सरकारी संस्थानों तक पहुंच. इसके अलावा MNRE से मान्यता मिलने पर विश्वास और प्रतिष्ठा बढ़ती है.

सोलर एजेंसी के क्या नुकसान हैं?

वहीं इसके नुकसान की बात की जाए तो यह ज्यादा तकनीकी और कागजी प्रक्रिया है. इसमें शुरुआत में मुनाफा आने में समय लगता है.

सोलर डीलरशिप के क्या फायदे हैं?

इसके बिजनेस के लिए शुरुआती निवेश काफी कम होती है. इसके तहत हमें ब्रांड से ट्रेनिंग, मार्केटिंग और तकनीकी सपोर्ट मिलता है. इसके अलावा लोकल लेवल पर तेजी से नाम बन सकता है.

क्या है नुकसान?

इसका सबसे बड़ा नुकसान ये है कि यह सीमित क्षेत्रीय मार्केट है यानी इसका मार्केट सीमित है. साथ ही इसका ब्रांड पर निर्भरता और कम मार्जिन है.

भारत में सोलर डीलरशिप कैसे शुरू करें?

देश में सोलर पैनल डीलरशिप शुरू करना क्लीन एनर्जी के बिजनेस में आने का सबसे आसान तरीका है. आज के समय में लोग घरों, दुकानों और गांवों में तेजी से सोलर सिस्टम लगा रहे हैं. ऐसे में बड़ी-बड़ी सोलर कंपनियां नई डीलरशिप देकर छोटे उद्यमियों को कम पैसों में यह बिजनेस शुरू करने का मौका दे रही हैं. अगर आप सोलर फ्रैंचाइजी मॉडल चुनना चाहते हैं या खुद की डीलरशिप शुरू करना चाहते हैं, तो आपको कुछ जरूरी बातें जाननी होंगी, जैसे कि कितना निवेश लगेगा, कितनी जगह चाहिए और किस ब्रांड से साझेदारी करना सही रहेगा.

कितना है शुरुआती निवेश?

डीलरशिप शुरू करने के लिए आपको 2 से 5 लाख रुपये का निवेश करना होता है. इसमें ऑफिस, डीलरशिप फीस, मार्केटिंग खर्च शामिल होता है. इसके अलावा परामर्श और कस्टमर्स से बातचीत के लिए आपको पास करीब 100 से 200 वर्ग फीट का ऑफिस होना चाहिए.

MNRE अप्रूव्ड सोलर एजेंसी कैसे खोले ?

भारत में अगर आप सोलर एजेंसी खोलना चाहते हैं, तो MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) से मान्यता प्राप्त करना होता है. MNRE सिर्फ उन्हीं कंपनियों को काम करने की इजाजत देता है जो तकनीकी रूप से सक्षम हों और सरकारी नियमों का पूरा पालन करती हों.

MNRE से सोलर एजेंसी की मान्यता कैसे लें?

MNRE द्वारा मान्यता प्राप्त सोलर एजेंसी बनने के लिए आपको एक कदम-दर-कदम रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन प्रोसेस से गुजरना होता है.

कौन बन सकता है MNRE अप्रूव्ड एजेंसी?

  • आपका बिजनेस रजिस्टर्ड होना चाहिए (Private Ltd, LLP, Partnership या Proprietorship).
  • आपके पास ऑन-ग्रिड या ऑफ-ग्रिड सोलर इंस्टॉलेशन का अनुभव होना चाहिए.
  • आपकी कंपनी के पास तकनीकी स्टाफ और अच्छी आर्थिक स्थिति होनी चाहिए.
  • PAN, GST और कंपनी रजिस्ट्रेशन से जुड़े डॉक्यूमेंट्स होने चाहिए.
  • अगर आपने पहले भी कोई रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट किया है, तो और बेहतर माना जाएगा.

किन दस्तावेजों की जरूरत होगी?

  • कंपनी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
  • PAN और GST के दस्तावेज
  • पिछले 2 साल की बैलेंस शीट (ऑडिट की हुई)
  • पहले किए गए सोलर प्रोजेक्ट्स का डिटेल – जैसे कार्य आदेश, फोटो, और कंप्लीशन सर्टिफिकेट
  • आपकी तकनीकी टीम की लिस्ट और उनकी योग्यता
  • कंपनी के अधिकृत व्यक्ति का ID प्रूफ

आवेदन कैसे करें?

  • इसके लिए सबसे पहले MNRE की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं.
  • फिर Channel Partner Registration या Vendor Empanelment” विकल्प खोजें (रूफटॉप सोलर सेक्शन में).
  • ऑनलाइन फॉर्म भरें और सारे जरूरी दस्तावेज अपलोड करें.
  • दस्तावेजों की जांच और तकनीकी मूल्यांकन का इंतज़ार करें.
  • जब आपका आवेदन पास हो जाएगा, तो आपको एक यूनिक MNRE Vendor Code मिलेगा और आपकी कंपनी ऑफिशियल लिस्ट में जुड़ जाएगी.

आपके लिए कौन-सा मॉडल है बेहतर?

Tier-1 शहरों (दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु) के लिए सरकारी प्रोजेक्ट्स ज्यादा होने से एजेंसी मॉडल फायदेमंद है. वहीं Tier-2 और 3 शहरों (गोरखपुर, इंदौर, जयपुर) के लिए डीलरशिप मॉडल अच्छा चलेगा क्योंकि रेसिडेंशियल सोलर की मांग तेजी से बढ़ रही है.

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