ये हैं भारत के निवेश के महारथी, अरबों का है पोर्टफोलियो; इनमें से एक का D-Mart से है कनेक्शन
दमानी, शाह, सिंघानिया, और झुनझुनवाला ने साबित किया है कि धैर्य और मजबूत कंपनियों पर ध्यान देकर उन्होंने भारत के बाजारों में बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है. अगर आप भी निवेश की दुनिया के महारथी बनना चाहते है तो इन भारतीय निवेशकों को फॉलो करना एक शानदार शुरुआत हो सकती है.
Top 3 Indian investors in India: निवेश कि दुनिया के दिग्गज बादशाह वॉरेन बफेट को शायद ही कोई नहीं जानता होगा. उनकी सोच और निवेश के तरीकों की वजहों से वे किसी परिचय के मोहताज नहीं है. हालांकि उन्होंने हाल ही में घोषणा की कि वे इस साल रिटायर हो रहे हैं. भारत में भी कुछ ऐसे निवेशक हैं, जो बफेट के तरीकों को अपनाकर कामयाबी हासिल कर रहे हैं. आइए, तीन ऐसे भारतीय निवेशकों के बारे में जानें जिन्होंने निवेश कि दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है.
राधाकृष्ण दमानी (Radhakrishna Damani)
राधाकृष्ण दमानी भारत को रिटेल का किंग कहा जाता है. दमानी ने मुंबई में छोटे स्तर से शुरुआत की और स्टॉक ट्रेडिंग से लेकर एवेन्यू सुपरमार्ट्स (डीमार्ट) जैसी कंपनी बनाई, जिसके आज देशभर में 300 से ज्यादा स्टोर हैं. दमानी लंबे समय तक निवेश बनाए रखते हैं और ऐसी कंपनियों में पैसा लगाते हैं, जो मजबूत और सस्ती हों. उनकी रणनीति कम लागत में काम करना, संपत्ति खरीदना, और ग्राहकों को सस्ते दाम देना. इससे डीमार्ट की लोकप्रियता और मजबूती बढ़ती है.
दमानी के पास 13 कंपनियों के शेयर हैं. इनकी कीमत 2,12,380 करोड़ रुपये है. उनकी सबसे बड़ी हिस्सेदारी डीमार्ट में है. वे अपने शेयर लंबे समय तक रखते हैं, चाहे बाजार में उतार-चढ़ाव आए. उदाहरण के तौर पर वे अडवाणी होटल्स, अपटेक, ब्लू डार्ट और ट्रेंट जैसी कंपनियों में एक दशक से निवेश किए हुए हैं.
नेमिश शाह (Nemish Shah)
नेमिश शाह साल 1984 से एनम होल्डिंग्स के सह-संस्थापक हैं. शाह को सस्ती लेकिन मजबूत कंपनियां ढूंढने में महारत हासिल है. शाह ज्यादा शोर-शराबे में विश्वास नहीं करते. वे अपनी मेहनत और रिटर्न से अपनी पहचान बनाते हैं. उनकी निवेश रणनीति में धैर्य सबसे बड़ा गुण है. उनके पास 6 कंपनियों के शेयर हैं, जिनकी कीमत 3,173 करोड़ रुपये है. ये सभी शेयर वे एक दशक से ज्यादा समय से रखे हुए हैं, भले ही बाजार में कितना भी उतार-चढ़ाव आया हो.
उनका पोर्टफोलियो मशीनरी और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में है. उनकी कई कंपनियां अपने उच्चतम दाम से 30 फीसदी कम पर हैं, लेकिन शाह ने धैर्य नहीं खोया. वे ऐसी कंपनियां चुनते हैं, जो मजबूत आधार और लगातार विकास वाली हों. वे कंपनी चुनने से पहले प्रबंधन की गुणवत्ता, ईमानदारी, और नवाचार पर ध्यान देते हैं. शाह का कहना है, “भारत में निवेश करते समय प्रबंधन की गुणवत्ता सबसे जरूरी है.
सुनील सिंघानिया (Sunil Singhania)
सुनील सिंघानिया अबक्कस एसेट मैनेजर के संस्थापक हैं और SME कंपनियों में निवेश के लिए मशहूर हैं. वे ऐसी कंपनियां चुनते हैं, जिन्हें लोग नजरअंदाज करते हैं, लेकिन जिनमें बड़ी संभावनाएं होती हैं. बफेट की तरह, वे डर के माहौल में खरीदारी करने में यकीन रखते हैं. सिंघानिया एक CFA चार्टरहोल्डर हैं और CFA ग्लोबल बोर्ड में पहले भारतीय थे. साल 2018 में उन्होंने अबक्कस शुरू किया, जो 1 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश संभालता है. उनका पोर्टफोलियो 20 कंपनियों का है, जिसकी कीमत 2,465 करोड़ रुपये है. उनकी सबसे बड़ी हिस्सेदारी सरदा एनर्जी एंड मिनरल्स में है, जिसे वे साल 2021 से रखे हुए हैं.
सिंघानिया का निवेश मैन्युफैक्चरिंग, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में है. वे जोखिम और स्थिरता का संतुलन बनाए रखते हैं. उनकी मिडकैप कंपनियां तेजी से बढ़ती हैं, जबकि ब्लू-चिप शेयर स्थिरता देते हैं. वे मैनेजमेंट, इनकम और समय जैसे पहलुओं पर ध्यान देते हैं.