क्यों ज्यादा Diversification से घटती है कमाई की ताकत, जानें वॉरेन बफेट का अनोखा सबक

वॉरेन बफेट का मानना है कि बहुत ज्यादा शेयरों में पैसा फैलाने से गहराई से समझ कम हो जाती है. वे इसे deworsification यानी नुकसान करने वाली डाइवर्सिफिकेशन कहते हैं. उनका फॉर्मूला साफ है कुछ मजबूत कंपनियों को अच्छे से समझकर उनमें ज्यादा निवेश करो. यही रणनीति उन्हें Oracle of Omaha बनाती है.

वॉरेन बफेट

दुनिया के सबसे सफल निवेशकों में वॉरेन बफेट का नाम सबसे ऊपर आता है. वे अपने सरल और शानदार विचारों के लिए मशहूर हैं. साल 1984 में शेयरहोल्डर्स को लिखे लेटर में उन्होंने मजाकिया अंदाज में लिखा, अगर आपके पास 40 पत्नियां हों, तो आप किसी को भी अच्छे से नहीं जान पाएंगे. असल में यह लाइन उनके निवेश दर्शन को समझाती है. बफेट मानते हैं कि बहुत ज्यादा शेयरों में पैसा बांटना यानी ओवर-डाइवर्सिफिकेशन करना सही नहीं है. उनका कहना है कि कुछ ही कंपनियों को गहराई से समझना और उन्हीं पर ध्यान लगाना निवेशकों के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है.

क्यों हैं बफेट डाइवर्सिफिकेशन के खिलाफ?

अधिकतर बड़े संस्थागत निवेशक अपना पैसा कई कंपनियों में फैलाते हैं. इसका कारण होता है जोखिम को कम करना. लेकिन बफेट मानते हैं कि ज्यादा कंपनियों में पैसा लगाने से गहराई से समझ विकसित नहीं हो पाती. वे इसे deworsification यानी नुकसान करने वाली डाइवर्सिफिकेशन कहते हैं.

क्यों खास है यह सोच?

Modern Portfolio Theory कहती है कि ज्यादा डाइवर्सिफिकेशन से जोखिम घटता है. लेकिन बफेट का अनुभव कुछ और कहता है. उन्होंने कम लेकिन मजबूत कंपनियों में निवेश कर Berkshire Hathaway को शानदार रिटर्न दिलाया. यही वजह है कि उन्हें Oracle of Omaha कहा जाता है.

क्या है बफेट का फॉर्मूला?

बफेट का मानना है कि शेयर चुनते समय खुद को कंपनी का मालिक समझो. अगर कोई बिजनेस सच में समझ आता है और उस पर भरोसा है, तो उसमें ज्यादा पैसा लगाओ. म्यूचुअल फंड या ETF में निवेश करने वाले लोग हजारों कंपनियों का छोटा हिस्सा रखते हैं. इससे जोखिम तो कम होता है, लेकिन कंपनियों को समझना लगभग नामुमकिन हो जाता है. बफेट का संदेश साफ है — कम कंपनियों को गहराई से समझो और उन्हीं में निवेश करो.

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