कौन है पार्थ सारथी बिस्वाल, जो अनिल अंबानी केस में हुए अरेस्ट; जानें कैसे किया फ्रॉड, SBI को भी नहीं बख्शा
ED ने बिस्वाल ट्रेडलिंक प्रा. लि. के डायरेक्टर पार्थ सारथी बिस्वाल को 68 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी केस में गिरफ्तार किया है. उन्होंने SBI के नाम पर फर्जी मेल बनाकर SECI को गारंटी भेजी थी. इस मामले में रिलायंस पावर का नाम भी आया है. ऐसे में चलिए जानते हैं आखिर कौन है पार्थ सारथी बिस्वाल, कैसे करता था इतना बड़ा फर्जीवाड़ा और रिलायंस पावर से उसका क्या कनेक्शन है.
Who is Partha Sarathi Biswal: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की शिकायत के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ किया है, जिसमें बैंकों की फर्जी गारंटी बनाकर करोड़ों रुपये की ठगी की गई. इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड ओडिशा की एक कंपनी बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड (BTPL) का मैनेजिंग डायरेक्टर पार्थ सारथी बिस्वाल है. इसे अब ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है. इस केस में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर का नाम भी सामने आया है. ऐसे में सवाल उठता है. आखिर कौन है पार्थ सारथी बिस्वाल, कैसे करता था इतना बड़ा फर्जीवाड़ा और रिलायंस पावर से उसका क्या कनेक्शन है चलिए जानते हैं.
कौन है पार्थ सारथी बिस्वाल?
पार्थ सारथी बिस्वाल ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड (BTPL) का मैनेजिंग डायरेक्टर है. यह कंपनी 2019 में शुरू की गई थी. जांच में पाया गया कि इस कंपनी का कोई ठोस दफ्तर या वैध कारोबारी रिकॉर्ड नहीं है. कंपनी का रजिस्टर्ड ऑफिस एक रिहायशी पते पर मिला, जहां से कोई जरूरी दस्तावेज नहीं बरामद हुए. ED के मुताबिक, बीटीपीएल के ऑफिस से लीगल रिकॉर्ड जैसे अकाउंट बुक्स और शेयरधारकों की जानकारी गायब मिली है.
ED की जांच में कैसे फंसा पार्थ?
ED को यह मामला दिल्ली पुलिस EOW की नवंबर 2024 में दर्ज की गई FIR के आधार पर मिला. जांच में सामने आया कि BTPL कई बड़ी कंपनियों के लिए फर्जी बैंक गारंटी जारी करती थी और इसके बदले आठ फीसदी तक की कमीशन लेती थी.
रिलायंस ग्रुप से कैसे जुड़े?
इस पूरे केस में सबसे चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब जांच में पता चला कि रिलायंस पॉवर लिमिटेड की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस NU BESS लिमिटेड ने SECI (Solar Energy Corporation of India Limited) के लिए जमा किए गए 68.2 करोड़ की बैंक गारंटी BTPL के जरिए ही दी थी. इसके एवज में BTPL को करीब 5.4 करोड़ रुपये मिले. बाद में रिलायंस ग्रुप ने खुद यह दावा किया कि वे इस फर्जीवाड़े का शिकार हुए हैं और उन्होंने इस संबंध में EOW में अक्टूबर 2024 में केस दर्ज करवाया था.
कैसे होता था फर्जीवाड़ा?
बिस्वाल और उसकी टीम पर आरोप है कि वे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के नाम से फर्जी बैंक गारंटी तैयार करते थे. असली ईमेल डोमेन sbi.co.in की जगह s-bi.co.in नाम से फर्जी ईमेल बनाकर संबंधित एजेंसियों को भ्रमित किया जाता था. SECI को भी इसी तरीके से फर्जी मेल भेजे गए. ED की जांच में सामने आया है कि कंपनी के कम से कम 7 गुप्त बैंक खाते हैं जिनमें करोड़ों रुपये का लेनदेन हुआ. कंपनी में डमी डायरेक्टर्स लगाए गए थे ताकि असली मालिकों की पहचान छुपाई जा सके. साथ ही Telegram ऐप के disappearing message मोड का इस्तेमाल कर बातचीत की जाती थी, जिससे कोई सबूत न बचे.
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