एमएसएमई सेक्टर में जान फूंकने की तैयारी में बिहार सरकार, 2900 करोड़ रुपये किए जारी
बिहार उद्योग विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि राज्य ने पिछले वर्ष शुरू की गई नई योजनाओं सहित, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए लगभग 2,900 करोड़ रुपये वितरित किए हैं. वर्तमान में, कुल 74,540 लाभार्थियों को लाभ पहुंचाया गया है.
बिहार सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को बढ़ावा देने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं, जो राज्य की आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. यह जानकारी उद्योग विभाग के शीर्ष अधिकारी ने दी. अधिकारी के मुताबिक, राज्य ने पिछले वर्ष शुरू की गई नई योजनाओं सहित, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए लगभग 2,900 करोड़ रुपये वितरित किए हैं. वर्तमान में, कुल 74,540 लाभार्थियों को लाभ पहुंचाया गया है.
दरअसल, बिहार में छोटे और मझोले उद्योगों (MSMEs) की एक मजबूत आधारशिला है. राज्य में इनोवेशन को बढ़ावा देने और उद्यमिता की विशाल संभावनाओं को खोलने के लिए, 2018 में मुख्यमंत्री उद्यमी योजना (MMUY) और 2023 में बिहार लघु उद्यमी योजना (BLUY) शुरू की गई. ये योजनाएं राज्य में MSMEs को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करती हैं.
इस पर उद्योग विभाग की सचिव ने क्या कहा?
उद्योग विभाग की सचिव, बंधना प्रेयाशी ने पीटीआई को बताया कि MMUY के तहत 2018 से अब तक 34,441 लाभार्थियों को 2,697 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं, जबकि BLUY के तहत अब तक 40,099 लाभार्थियों को 200 करोड़ रुपये की पहली किस्त दी गई है.
प्रेयाशी ने कहा कि बिहार एक ओर बड़ी विनिर्माण इकाइयों के लिए निवेश आकर्षित कर रहा है, तो दूसरी ओर, राज्य सरकार एमएसएमई को जमीन स्तर पर फलने-फूलने के लिए भी एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बना रही है. बिहार लघु उद्यमी योजना का उद्देश्य गरीब परिवारों के एक सदस्य को नौकरी के अवसर प्रदान करना है जिनकी मासिक आय 6,000 रुपये से कम है.
राज्य सरकार प्रत्येक लाभार्थी को 2 लाख रुपये तीन किस्तों में प्रदान कर रही है जिससे वे सूक्ष्म और लघु औद्योगिक और प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना और संचालन कर सकें.
उद्योग सचिव ने कहा कि सरकार की नीतियों के तहत बिहार ने महत्वपूर्ण निवेश संवर्धन गतिविधियों को देखा है, जिससे यह देश में एक उभरते व्यापार और औद्योगिक केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है. बिहार बिजनेस कनेक्ट 2023 के दौरान 278 कंपनियों ने 50,530 करोड़ रुपये के निवेश के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.
राज्य सरकार ने औद्योगिक निवेश संवर्धन नीति (BIPP), बिहार लॉजिस्टिक्स नीति 2023, एथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति 2021 और वस्त्र और चमड़ा नीति 2022 को लागू किया है, जो औद्योगिक विकास और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए हैं.
इन नीतियों के तहत, 481 आवेदनों को स्टेज-1 मंजूरी दी गई है, जिसमें प्रस्तावित निवेश राशि 4,512.85 करोड़ रुपये है. कुल 175 इकाइयों को वित्तीय प्रोत्साहन के लिए मंजूरी दी गई है, जिसमें 2,195.10 करोड़ रुपये का निवेश है, जो राज्य की निवेश प्रोत्साहन नीतियों की शुरुआत के बाद का उच्चतम आंकड़ा है.
2023-24 में, 255 स्टार्टअप्स को मान्यता दी गई. अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक, बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (BIADA) ने 427 इकाइयों को प्लॉट/शेड आवंटित किए हैं, जिनका कुल निवेश 6,145 करोड़ रुपये है, और 35,224 रोजगार सृजित किए हैं.
उद्योग सचिव ने आगे बताया कि औद्योगिक क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को प्राथमिकता दी गई है. 2023-24 के लिए 409.33 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है और विशेष सहायता के तहत 212.68 करोड़ रुपये की स्वीकृति एकता मॉल के निर्माण के लिए दी गई है. चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में, 149 इकाइयों को स्टेज -1 मंजूरी दी गई है, जिसका प्रस्तावित निवेश राशि 3,950.48 करोड़ रुपये है.
वर्तमान में, बिहार का मल्टी-सेक्टर विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) स्थापित करने का प्रस्ताव और कुमारबाग में अनुमोदित किया गया है. सरकार निर्यात संवर्धन परिषद (EPCs) की स्थापना पर भी काम कर रही है, जिससे बिहार के निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने व्यवसाय का विस्तार करने में मदद मिलेगी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 3 अगस्त को नवादा जिले के वारिसलीगंज प्रखंड में अडानी समूह की अम्बुजा सीमेंट की सहायक कंपनी, अम्बुजा कंक्रीट नॉर्थ प्राइवेट लिमिटेड के 1,600 करोड़ रुपये के सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट का शिलान्यास किया. यह राज्य में सीमेंट उद्योग के लिए सबसे बड़ी निवेश परियोजना मानी जाती है.
इस परियोजना से लाभ
इस परियोजना से 250 सीधी नौकरियां और 1,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां उत्पन्न होने की उम्मीद है. अडानी समूह ने बिहार में विभिन्न क्षेत्रों में अतिरिक्त 5,500 करोड़ रुपये का निवेश करने का निर्णय लिया है, जिसमें सीमेंट निर्माण (मुजफ्फरपुर ), लॉजिस्टिक्स (पटना के पास) और कृषि उद्योग से संबंधित परियोजनाएं (अररिया, किशनगंज और बेगूसराय) शामिल हैं. इन निवेशों से कुल 40,000 रोजगार सृजित होंगे.