बिहार-बंगाल सहित इन राज्यों में बिछेगी 574 km रेल लाइन, 13 जिलों के लोगों को मिलेगा फायदा
कैबिनेट ने 11,169 करोड़ की लागत से रेलवे के चार मल्टी-ट्रैकिंग प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है. ये प्रोजेक्ट 6 राज्यों के 13 जिलों में 574 किमी नए ट्रैक बिछाएंगे, जिससे 43 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. इससे माल ढुलाई क्षमता में 95.91 MTPA की बढ़ोतरी होगी. ऐसे में आइए जानते हैं इन चारों प्रोजेक्ट्स की क्या हैं खासियतें और कितनी लगेगी लागत.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में रेलवे मंत्रालय के चार मल्टी-ट्रैकिंग प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है. इनकी कुल लागत 11,169 करोड़ रुपये है. इसका मकसद देश के अलग-अलग हिस्सों में रेलवे नेटवर्क को मजबूत बनाना, माल ढुलाई की क्षमता बढ़ाना और लाखों लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी देना है. यह मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के 13 जिलों से होकर गुजरेगी. ऐसे में आइए जानते हैं इन चारों प्रोजेक्ट्स की क्या हैं खासियतें और कितनी लगेगी लागत.
कौन से प्रोजेक्ट हैं शामिल और कितनी लागेगी लागत?
- इटारसी-नागपुर चौथी लाइन (मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र):
इस प्रोजेक्ट के तहत 339 किलोमीटर लंबी नई चौथी रेल लाइन बनेगी. इस रूट पर कुल 37 स्टेशन और 36 बड़े पुल शामिल होंगे. - औरंगाबाद-पारभनी तक डबल लाइन बनाना (महाराष्ट्र):
177 किलोमीटर लंबी इस डबल लाइन परियोजना पर 2,179 करोड़ रुपये की लागत आएगी. - अलुआबाड़ी रोड-न्यू जलपाईगुड़ी तीसरी और चौथी लाइन (पश्चिम बंगाल-बिहार):
121 किलोमीटर लंबी यह लाइन किशनगंज (बिहार) के पास से होकर गुजरेगी. इस पर 1,786 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. - डांगोपोसी-जारोली तीसरी और चौथी लाइन (ओडिशा-झारखंड):
इस प्रोजेक्ट की लंबाई और लागत का पूरी जानकारी फिलहाल शेयर नहीं किया गया है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण औद्योगिक रूट का हिस्सा है.
6 राज्यों के 13 जिलों को मिलेगा सीधा फायदा
यह प्रोजेक्ट महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा और झारखंड के 13 जिलों में है. इससे कुल 2,309 गांवों को जोड़ा जाएगा, जिनकी जनसंख्या लगभग 43 लाख है. इन सभी प्रोजेक्ट्स को 2028-29 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इससे भारतीय रेलवे का नेटवर्क करीब 574 किलोमीटर तक बढ़ेगा और ट्रेनों की आवाजाही पहले से ज्यादा तेज, सुरक्षित और नियमित हो सकेगी.
कैसे मिलेगा फायदा?
ये सभी रूट्स कोयला, सीमेंट, क्लिंकर, जिप्सम, फ्लाई ऐश, कंटेनर, एग्रीकल्चर प्रोडक्ट और पेट्रोलियम जैसे सामानों के परिवहन के लिए बेहद जरूरी हैं. इन लाइनों के निर्माण से रेलवे की माल ढुलाई क्षमता में 95.91 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) की बढ़ोतरी होगी. यानी इससे लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री को बड़ा लाभ होगा.
किस योजना से जुड़ी है ये प्रोजेक्ट ?
इन सभी प्रोजेक्ट्स को प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत तैयार किया जाएगा है. जिसका मकसद मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक एफिशिएंसी को बढ़ावा देना है. इससे लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही पहले से ज्यादा तेज, सुगम और लागत-कुशल हो सकेगी.
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