राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप का कहर, अब तक 11 बच्चों की मौत, जांच में सामने आए खतरनाक केमिकल
वैसे तो भारत को फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड कहा जाता है, क्योंकि यहां से बड़ी मात्रा में दवाएं विदेशों को सप्लाई होती है. लेकिन कफ सिरप की घटना भारत की दवाओं की क्वालिटी पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा किया हैं. चलिए समझते हैं कि सिरप पीने से बच्चों की मौत का क्या कारण हो सकता है और अब तक कौन-कौन सी कंपनियां जांच के घेरे में हैं.
राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. कफ सिरप पीने से अब तक 11 बच्चों की जान चली गई है. इनमें मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से 9 बच्चों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि राजस्थान के भरतपुर और सीकर से 1-1 बच्चे की मौत दर्ज की गई है. पीड़ित परिवारों का आरोप है कि नकली कफ सिरप पीने से ये मौतें हुईं. जांच एजेंसियों ने पाया है कि कई कंपनियों ने दवा बनाने में न तो क्वालिटी जांच की और न ही कच्चे माल का रिकॉर्ड रखा है. लेबलिंग में भी गड़बड़ियां मिलीं है. वैसे तो भारत को फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड कहा जाता है, क्योंकि यहां से बड़ी मात्रा में दवाएं विदेशों को सप्लाई होती है.
लेकिन ऐसी घटनाएं भारत की दवाओं की क्वालिटी पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं. चलिए समझते हैं कि सिरप पीने से बच्चों की मौत का क्या कारण हो सकता है, अब तक कौन-कौन सी कंपनियां जांच के घेरे में हैं.
अब तक जांच में क्या सामने आया
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने संदिग्ध सिरप के सैंपल इकट्ठा किए हैं. राजस्थान सरकार ने मुख्यमंत्री मुफ्त दवा योजना के तहत बांटे जा रहे सिरप पर रोक लगा दी है, वहीं मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में दो ब्रांड के सिरप पर बैन लगा है. जांच में सामने आया कि जांचे गए 23 सैंपल में से 3 में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) मिले हैं. ये केमिकल आमतौर पर गाड़ियों के कूलेंट और ब्रेक फ्लूड में मिलाए जाते हैं.
क्या है डायएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) और कितना खतरनाक है?
डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) एक औद्योगिक रसायन है. इसका इस्तेमाल कार, पेंट, प्लास्टिक, कॉस्मेटिक और एंटीफ्रीज बनाने में किया जाता है. जब यह शरीर में जाता है, तो यह किडनी और नसों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है. बच्चों में तो इसका असर और खतरनाक होता है और किडनी फेल जैसी स्थिति बन सकती है.
सामान्यत: कफ सिरप को गाढ़ा और चिकना बनाने के लिए कंपनियां प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल करती है, जो सुरक्षित है. लेकिन यह महंगा होता है. लागत घटाने और मुनाफा बढ़ाने के लिए कंपनियां उसकी जगह DEG या EG जैसे जहरीले और सस्ते केमिकल का इस्तेमाल कर लेती हैं.
इसे सिरप में क्यों मिलाया जाता है?
डायथिलीन ग्लाइकॉल सिरप को पतला और मीठा बना देता है. बच्चों को यह आसानी से पीने लायक लगता है और कंपनियों के लिए उत्पादन लागत भी कम हो जाती है. लेकिन भारत में यह पूरी तरह प्रतिबंधित है. असली समस्या यह भी है कि दवा उत्पादन और निगरानी व्यवस्था को लेकर भारत को अभी तक WHO की पूरी मान्यता नहीं मिली है. यानी रेग्युलेशन और क्वालिटी कंट्रोल में कई खामियां हैं.
किन कंपनियों के नाम सामने आए
केसन्स फार्मा (K Sons Pharma) की बनाई गई कफ सिरप से राजस्थान के सीकर में बच्चों की मौत हुई है. इस कंपनी के खिलाफ 2023 और फरवरी 2025 में ड्रग सेफ्टी कानून तोड़ने के मामले पहले भी दर्ज हो चुके हैं. सिरप 40 बार क्वालिटी चेक में फेल होने के बावजूद सरकारी अस्पतालों में सप्लाई किया गया. इसके अलावा, स्रेसन फार्मा (Sresan Pharma) तमिलनाडु की कंपनी ने Coldrif और Nextro-DS नाम के कफ सिरप बनाए, जिनसे मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत हुई है. फिलहाल इन प्रोडक्ट्स को तमिलनाडु सरकार ने तुरंत बैन कर दिया है.
इसे भी पढ़ें- ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने 5 पाक F-16 और JF-17 विमान मार गिराए, भारत का एक भी जेट नहीं गिरा; IAF चीफ का बड़ा खुलासा