POK में क्या कुछ बड़ा होने वाला है? दो दिन में चार बयान, भारत का पाकिस्तान पर बदला-बदला सा रुख… बता रहा सबकुछ
India-Pakistan: भारत के इस आक्रामक रूख पर सभी की नजरें इस वजह से टिक गई हैं, क्योंकि शांति के समय में भारत, पाकिस्तान के खिलाफ इस तरह का रवैया नहीं अपनाता रहा है. भारत का पाकिस्तान को लेकर रुख थोड़ा नया-नया और बदला बदला सा लगता है.

India-Pakistan: भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव कभी भी सतह से दूर नहीं रहता और जब भी सामने आता है विस्फोटक हो जाता है. मई में ऑपरेशन सिंदूर इसका ताजा उदाहरण था. अब ऐसा लग रहा है कि तनाव एक नए क्षेत्र में फैल सकता है, क्योंकि गुरुवार और शुक्रवार को पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने आक्रामक रूख दिखाया है. रक्षा मंत्री से लेकर एयर फोर्स चीफ और सेना प्रमुख ने पाकिस्तान को सख्त में लहजे में सुधरने की चेतावनी दे दी है. इसके बाद विदेश मंत्रालय ने पाक अधिकृत कश्मीर में फैली अशांति के लिए पाकिस्तान को आड़े हाथ लिया. कुल मिलाकर भारत के इस आक्रामक रूख पर सभी की नजरें इस वजह से टिक गई हैं, क्योंकि शांति के समय में भारत, पाकिस्तान के खिलाफ इस तरह का रवैया नहीं अपनाता रहा है. भारत का पाकिस्तान को लेकर रुख थोड़ा नया-नया और बदला बदला सा लगता है, जिसे कुछ बड़ा होने के संकेत के तौर पर देखा जाने लगा है.
रक्षा मंत्री ने दी चेतावनी
इस्लामाबाद को गुजरात के सर क्रीक में क्षेत्रीय आक्रमण के खिलाफ चेतावनी दी गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत के ज्यादा हिस्से, यानी सर क्रीक के आधे हिस्से पर अवैध कब्जा करने की कोशिशों का ऐसा जवाब दिया जाएगा जो ‘इतिहास और भूगोल’ बदल देगा.
POK में फैली अशांति पर बोला विदेश मंत्रालय
शुक्रवार को भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में फैली अशांति के लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान के दमनकारी दृष्टिकोण और संसाधनों की व्यवस्थित लूट को जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें 12 लोग मारे गए हैं और 150 से अधिक घायल हुए हैं. अपने पड़ोस में ताजा उथल-पुथल पर अपनी पहली टिप्पणी में, विदेश मंत्रालय (MEA) ने पाक अधिकृत कश्मीर में नागरिकों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई बर्बरता की निंदा की और अपने इस दावे को पुष्ट किया कि यह क्षेत्र पाकिस्तान के ‘जबरन’ और ‘अवैध कब्जे’ में है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हमने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शनों की खबरें देखी हैं, जिनमें निर्दोष नागरिकों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई बर्बरता भी शामिल है.’ उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान को उसके भयावह मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.
सेना इस बार नहीं दिखाएगी संयम
विदेश मंत्रालय के पीओके पर आए बयान से पहले सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान को कड़े शब्दों में चेतावनी दे डाली. जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा , ‘अगर पाकिस्तान दुनिया के नक्शे पर बने रहना चाहता है, तो आतंकवाद का समर्थन बंद कर दे.’ राजस्थान के अनूपगढ़ में एक सैन्य चौकी पर बोलते हुए, जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारतीय सेना इस बार कोई संयम नहीं दिखाएगी. उन्होंने संकेत दिया कि अगर इस्लामाबाद आतंकवाद का एक्सपोर्ट बंद नहीं करता है, तो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का दूसरा संस्करण दूर नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि इस बार हम ऑपरेशन सिंदूर 1.0 जैसा संयम नहीं रखेंगे. इस बार हम कुछ ऐसा करेंगे जिससे पाकिस्तान को सोचना पड़ेगा कि वह भूगोल में अपनी जगह बनाए रखना चाहता है या नहीं. अगर पाकिस्तान भूगोल में अपनी जगह बनाए रखना चाहता है, तो उसे राज्य प्रायोजित आतंकवाद बंद करना होगा. उन्होंने जवानों से तैयार रहने को भी कहा. सेना प्रमुख ने कहा, ‘अगर ईश्वर ने चाहा, तो आपको जल्द ही मौका मिलेगा. शुभकामनाएं.’
एयरपोर्स चीफ ने सामने रखी ऑपरेशन सिंदूर की तस्वीर
जनरल द्विवेदी की यह चेतावनी एयर चीफ मार्शल एपी सिंह की उस टिप्पणी के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय सेना ने मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका निर्मित एफ-16 और चीनी जेएफ-17 सहित चार से पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को मार गिराया था.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद करारा जवाब देने के लिए भारत द्वारा यह विशाल सैन्य अभियान चलाया गया था. 7 मई को भारतीय सेना ने लंबी दूरी के सटीक हथियारों का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान और पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर) में नौ आतंकी शिविरों पर हमला किया था. आतंकी शिविरों पर हमले ने दोनों देशों के बीच लगभग युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर दी थी. इस दौरान भारतीय वायुसेना प्रमुख ने दावा किया था कि पाकिस्तान ने अपने पांच लड़ाकू विमान और एक ‘बिग बर्ड’, संभवतः एक एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग और कंट्रोल एयरक्राफ्ट, खो दिया है.
वर्षों से भारत दृढ़ता से कहता रहा है कि पीओके देश का अभिन्न अंग है. मई में सैन्य कर्रवाई के बाद, भारत ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ भविष्य की बातचीत केवल उस क्षेत्र की वापसी के बारे में होगी.
विरोध प्रदर्शनों की चपेट में पीओके
हाल के वर्षों में पीओके अपने सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों में से एक की चपेट में है. व्यापारियों, वकीलों और नागरिक समूहों के गठबंधन, अवामी एक्शन कमेटी (AAC) और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच बातचीत विफल होने के बाद, मुजफ्फराबाद, मीरपुर, कोटली, रावलकोट और नीलम घाटी के हजारों निवासी सड़कों पर उतर आए. अवामी एक्शन कमेटी ने ‘बंद और चक्का जाम हड़ताल’ के साथ जवाबी कार्रवाई की, जिससे जन-जीवन ठप हो गया.
स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तानी सेना द्वारा प्रदर्शनकारियों पर की गई गोलीबारी में कई लोग मारे गए हैं और दर्जनों घायल हुए हैं. बाजार बंद हैं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट ठप है और इलाका कड़ी सुरक्षा और व्यापक नजरबंदी के बीच तनावग्रस्त है.
38-सूत्रीय मांग
आंदोलन के केंद्र में 38-सूत्रीय मांगों का एक व्यापक चार्टर है, जिसके बारे में प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह दशकों की उपेक्षा और टूटे वादों का प्रतीक है. जहां कई मांगें जीवन-यापन के मुद्दों पर केंद्रित हैं, जैसे कि सब्सिडी वाला आटा, चीनी और घी, उचित बिजली दरें और स्थानीय जलविद्युत तक पहुंच. वहीं कुछ अन्य मांगें क्षेत्र के राजनीतिक ढांचे पर प्रहार करती हैं, जिसमें पाकिस्तान में शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधायी सीटों को रद्द करना, अभिजात वर्ग के विशेषाधिकारों पर अंकुश लगाना और भ्रष्टाचार व राजनीतिक संरक्षण से निपटने के लिए न्यायपालिका में सुधार करना शामिल है.
इस चार्टर में व्यापक सामाजिक-आर्थिक राहत की भी मांग की गई है. व्यापारियों के लिए टैक्स में कटौती, विलंबित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, बेहतर स्कूल और अस्पताल, स्थानीय युवाओं के लिए समान रोज़गार के अवसर, आपदा प्रभावित परिवारों के लिए आवास और किसानों के लिए बेहतर नीतियों की मांग की गई है.
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