SEA ने किया डी-ऑयल्ड राइस ब्रान निर्यात पर रोक हटाने की मांग, पीएम को लिखा पत्र; कहा- किसानों की आमदनी पर है संकट

देश की खाद्य तेल उद्योग की सबसे बड़ी संस्था SEA ने केंद्र सरकार से डिऑयल्ड राइस ब्रान के निर्यात पर लगी रोक हटाने की अपील की है. SEA का कहना है कि इस प्रतिबंध से न केवल किसानों की आमदनी प्रभावित हो रही है, बल्कि घरेलू प्रोसेसरों और उद्योगों को भी नुकसान हो रहा है. फिलहाल यह निर्यात प्रतिबंध सितंबर 2025 तक लागू है.

डी-ऑयल्ड राइस ब्रान Image Credit:

देश की खाद्य तेल उद्योग की सबसे बड़ी संस्था Solvent Extractors’ Association of India (SEA) ने केंद्र सरकार से डिऑयल्ड राइस ब्रान (DORB) के निर्यात पर लगी रोक हटाने की अपील की है. SEA का कहना है कि इस प्रतिबंध से न केवल किसानों की आमदनी प्रभावित हो रही है, बल्कि घरेलू प्रोसेसरों यानी कारखाने, कंपनियां या यूनिट्स और उद्योगों को भी नुकसान हो रहा है. फिलहाल यह निर्यात प्रतिबंध सितंबर 2025 तक लागू है.

प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से की अपील

SEA की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि संस्था ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित कई केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखकर मांग की है. जिसमें कहा गया है कि इस प्रतिबंध को 30 सितंबर 2025 के बाद आगे न बढ़ाया जाए. संस्था ने यह पत्र खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह को भी भेजा है.

SEA ने बताया कि साल 2023 में प्रतिबंध लागू होने से पहले भारत हर साल 5 से 6 लाख टन DORB का निर्यात करता था, जिससे देश को करीब 1,000 करोड़ रुपये की आमदनी होती थी. ये निर्यात मुख्य रूप से एशियाई देशों में होते थे ताकि पशु आहार और दूध की कीमतों को स्थिर रखा जा सके.

हो रहा है भारी नुकसान ?

इसके अलावा संस्था का यह भी कहना है कि प्रोटीन मील की कीमतें करीब 50 फीसदी गिर गई हैं, इसके बावजूद दूध की कीमतें बढ़ रही हैं, जबकि DORB की कीमत घटकर 10,000 से 11,000 रुपये प्रति टन तक आ गई है. SEA का कहना है कि प्रतिबंध का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया और इस वजह से देश ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी हिस्सेदारी भी DDGS और मक्का जैसे विकल्पों के हाथों खो दी है.

क्या है डिऑयल्ड राइस ब्रान?

जब चावल को मिल में पॉलिश किया जाता है, तो उसके दाने की ऊपर की परत निकलती है. इस परत को राइस ब्रान कहते हैं. यह परत पोषक तत्वों से भरपूर होती है और इसमें तेल (Rice Bran Oil) भी होता है. राइस ब्रान से तेल निकालने के बाद जो ठोस पदार्थ (Solid Material) बचता है, उसे डिऑयल्ड राइस ब्रान कहते हैं. यह तेल निकाले जाने के बाद भी प्रोटीन, फाइबर और मिनरल्स से भरपूर रहता है.

क्या होता है उपयोग ?

DORB का सबसे ज्यादा उपयोग पशुओं, खासकर दूध देने वाले पशुओं के चारे में किया जाता है, क्योंकि यह सस्ता और पोषक तत्वों से भरपूर होता है. साथ ही मुर्गी पालन (Poultry) और मछली पालन (Fish Farming) के लिए भी इसे फीड में मिलाया जाता है. इसके अलावा इसका इस्तेमाल फूड प्रोसेसिंग और दूसरे उद्योगों में भी होता है.

निर्यात पर लगी रोक हटाने से कैसे मिलेगा लाभ

SEA का मानना है कि निर्यात पर लगी रोक हटाने से न केवल किसानों की इनकम बढ़ेगी बल्कि ग्रामीण स्तर पर रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा. इससे चावल मिलों और राइस ब्रान एक्सट्रैक्शन यूनिट्स की क्षमता का बेहतर उपयोग होगा. इसके नतीजे में भारत की ग्लोबल कंपटीशन मजबूत होगी.

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